मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा ने बृहस्पतिवार को विशेष जन सुरक्षा विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया, जिसका उद्देश्य ‘‘अर्बन नक्सल’’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है। गृह विभाग का भी प्रभार संभाल रहे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक सदन में पेश किया। फडणवीस ने कहा कि राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति द्वारा संशोधनों के साथ इसे मंजूरी दी गई थी। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा।
अब विधानपरिषद में पेश होगा बिल
विपक्षी दलों ने विधेयक के कुछ पहलुओं पर आपत्ति जताई थी, जिसमें ‘‘अर्बन नक्सल’’ शब्द की व्यापक व्याख्या का दावा भी शामिल है। विधेयक को विधानपरिषद में पेश किया जाना अभी बाकी है। फडणवीस ने कहा कि राज्य और देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है तथा लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ काम करने वाले संगठनों की गतिविधियों पर अंकुश लगाना समय की मांग है। उन्होंने कहा, ‘‘शक्ति का दुरुपयोग नहीं होगा। यह एक संतुलित कानून है तथा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और झारखंड में लागू कानूनों से कहीं अधिक प्रगतिशील है।’’
'सलाहकार बोर्ड' के गठन का प्रावधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि संयुक्त प्रवर समिति के किसी भी सदस्य ने विधेयक के खिलाफ कोई असहमति नहीं व्यक्त की। विधेयक पेश करते हुए, फडणवीस ने कहा कि इसका अंतिम मसौदा तैयार करते समय लोगों से प्राप्त 12,500 से अधिक सुझावों पर विचार किया गया। विधेयक में एक 'सलाहकार बोर्ड' का प्रावधान किया गया है, जिसके अध्यक्ष उच्च न्यायालय के सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे तथा एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश और उच्च न्यायालय का एक सरकारी वकील इसके सदस्य होंगे। इस कानून के तहत दर्ज अपराधों की जांच पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) से निम्न स्तर के अधिकारी द्वारा नहीं की जाएगी। यह विधेयक विधानसभा के पिछले शीतकालीन सत्र में पेश किया गया था और संयुक्त प्रवर समिति को भेजा गया था।
देवेंद्र फडवीस की अहम बातें
एक्सट्रीम लेफ्ट विचारधारा के लोग देश की व्यवस्था के खिलाफ बंदूक लेकर खड़े हो गए जिसे नक्सलवाद/माओवाद कहते हैं। लेकिन अब माओवाद खात्मे की ओर जा रहा है। ऐसे में एक्सट्रीम विचारधारा के संगठनों ने दूसरा वर्ग तैयार किया है
अब नक्सली विचारधारा के लोगों को एक्टीव मिलिटेंट मिल नहीं रहे हैं तो माओवादिओं ने पैसीव संगठन तैयार किया है। जो कहने के लिए तो देश के लिए बने हैं लेकिन वो भारत के खिलाफ काम करते हैं।
तेलंगना, ओडिसा, झारखंड, आंध्रप्रदेश ने इस तरह का कानून बनाया है
देश में सबसे ज्यादा एक्सट्रीम लेफ्ट विचारधारा के संगठन महाराष्ट्र में है। कुल 64 संगठन महाराष्ट्र में एक्टिव हैं। अर्बन नक्सलीयों के लिए महाराष्ट्र सेफ हेवन बन गया है।
मुंबई, नासिक, पुणे, नागपुर, अमरावती , बीड, कोकण में इसका फैलाव करना चाहते हैं
ये संगठन पढ़े लिखे टीचर, ब्युरोक्रैट्स तक को ब्रेन वॉश करते हैं
इस कानून के तहत किसी एक व्यक्ति को अरेस्ट नहीं कर सकते हैं
अगर वो किसी संगठन का सदस्य होगा, और वो संगठन बैन होता है तभी किसी को अरेस्ट कर सकते हैं
अगर कोई संगठन इस तरह की गतिविधि में लिप्त है ये पता चलता है तो पहले सरकार को नोटिफिकेशन निकालना होगा। इसके बाद सरकार को तीन सदस्यी बेंच के पास जाना होगा। इस बेंच में हाइकोर्ट जज, रिटायर्ड डिस्ट्रीक्ट जज और हाईकोर्ट के पीपी होंगे। जब ये नोटिफिकेशन को अप्रूव करेंगे तभी संगठन पर कार्रवाई करेंगे।
इसके बाद वो संगठन एक महीने के भीतर हाईकोर्ट को अप्रोच कर सकता है
बहुत ही बैलेंस कानून बना रहे हैं। अन्य चार राज्यों के मुकाबले बहुत ही प्रोग्रेसिव कानून होगा।
ये कानून सिर्फ उन लोगों के खिलाफ है जो देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है। देश विरोधियों के खिलाफ आपको कड़ा कानून बनाना ही होगा।
पहले सिमी संगठन था, जब सिमी पर पाबंदी लगी तो उन्होंने पीएफआई बना दिया।
इस कानून का गलत इस्तमाल नहीं होगा
जो लोग भारत के खिलाफ युद्ध करना चाहते हैं उनके खिलाफ ये कानून है
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