
भोपाल। पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मुस्लिम समाज द्वारा रविवार को मोहर्रम का पर्व मनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश में भी इस मौके पर राजधानी भोपाल, उज्जैन, बुरहानपुर समेत कई शहरों में मातमी जुलूस निकाले जा रहे हैं। सभी जगह हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग इमामबाड़ों में एकत्रित हुए और धार्मिक विधियों के तहत मातम मनाया।
भोपाल में मुख्य जुलूस की शुरुआत फतेहगढ़ से हुई। इस जुलूस में ताजिए, बुर्राक, सवारियां, परचम, अखाड़े और ढोल-ताशे शामिल थे, जो वीआईपी रोड होते हुए करबला मैदान पहुंचे। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस और ड्रोन कैमरों से लगातार निगरानी की गई। इस मौके पर मौलाना डॉ. रजी-उल-हसन हैदरी ने कहा कि इमाम हुसैन ने हमें पैगाम दिया कि अगर कोई जालिम, बेगुनाहों और मासूमों पर जुल्म कर रहा है तो आवाज उठाना हमारा धर्म और प्राथमिकता होनी चाहिए। इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
वहीं, उज्जैन में भी सुबह 5 बजे से ही मोहर्रम का जुलूस शुरू हुआ। शहरभर में 'या हुसैन' के नारों के साथ माहौल गूंज उठा। एएसपी नीतेश भार्गव ने बताया कि जुलूस की सुरक्षा के लिए 650 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। पुलिस ने ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की। जुलूस सुबह 10 बजे करबला मैदान में समाप्त हुआ।
इधर, बुरहानपुर में रविवार को शिया समाज की ओर से मातमी जुलूस निकाला गया। इसमें कुछ युवा हाथ में तिरंगा झंडा लेकर शामिल हुए। यहां लोग अलम के बीच मातम करते हुए नजर आए। जुलूस सिंधी बस्ती स्थित शिया समाज के इमामबाड़े से निकला। यह रोशन चौक, इकबाल चौक, गांधी चौक, फव्वारा चौक, सिटी कोतवाली रोड, मंडी क्षेत्र से बुधवारा होते हुए वापस समाज के इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त हुआ।
वहीं, इंदौर में भी इमामबाड़ा से सरकारी ताजिए के साथ जुलूस निकाला जा रहा है। यह जुलूस दोपहर 2 बजे शुरू हुआ, जो विभिन्न मार्गों से आगे बढ़ रहा है। इसी तरह मुरैना में भी मोहर्रम पर ताजिए निकालने का सिलसिला शुरू हो चुका है। बड़ोखर की तरफ से निकाले गए ताजियों के आगे चल रहे डीजे पर मातमी धुन बजाई जा रही थी। शहरभर में जुलूस निकालने के बाद सभी ताजिए कब्रिस्तान में ठंडे किए जाएंगे।
गौरतलब है कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल के पहले महीने मोहर्रम की 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा मनाया जाता है। इस दिन निकलने वाले जुलूस के दौरान करबला की जंग का जिक्र किया जाता है, जहां हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए शहादत दी थी
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