भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया राजघराने से जुड़े 40 हजार करोड़ के संपत्ति विवाद में आखिरकार समाधान की उम्मीद जागी है। न्यायालय में लगभग 15 साल से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीन बुआओं (वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और ऊषा राजे) के बीच विवाद चल रहा है। मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने शुक्रवार को आपसी सहमति से विवाद सुलझाने का आदेश दिया है।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने ज्योतिरादित्य और उनकी तीनों बुआओं को आगामी 60 दिन में राजीनामे का आवेदन कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है। वहीं 90 दिन के भीतर संपत्ति के विवाद को सुलझाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद कंप्लाइंस रिपोर्ट कोर्ट में पेश करना होगी। इस मामले पर पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता चैन सिंह ने बताया कि न्यायालय द्वारा पक्षकारों को निर्देश दिए गए हैं कि वह आपसी सूझबूझ के साथ इस मामले को 90 दिन के भीतर समेट लें और मामले को अपने अनुसार देखें। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो कोर्ट ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा है कि उक्त याचिका को फिर से बहाल कर दिया जाएगा।
सिंधिया परिवार का यह विवाद महाराज जीवाजीराव सिंधिया की 1961 में हुई मृत्यु के बाद से शुरू हुआ था। उन्होंने कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी, जिसके कारण संपत्ति का स्पष्ट बंटवारा नहीं हो सका। उसके बाद माधव राव सिंधिया का भी असमय निधन हो गया। इसके बाद सिंधिया राजघराने की संपत्ति को लेकर कानूनी विवाद वर्ष 2010 में शुरू हुआ। राजमाता विजयाराजे सिंधिया की बेटियों वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और ऊषा राजे ने अपने भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ अदालत में दावा पेश किया। उनकी दलील थी कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का भी बराबरी का अधिकार है। दूसरी ओर ज्योतिरादित्य ने भी इस संपत्ति पर अपना अधिकार जताया। मामला पहले जिला अदालत में चला, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद वर्ष 2017 में यह ग्वालियर हाईकोर्ट पहुंचा। यहां इसे सिविल रिवीजन के रूप में दर्ज किया गया।
संपत्ति विवाद के दावे में कुल 28 पक्षकार बनाए गए हैं। इनमें सिंधिया परिवार के 13 ट्रस्ट शामिल हैं, क्योंकि इन ट्रस्टों के नाम करोड़ों की संपत्तियां दर्ज हैं। इनमें सिंधिया पार्टीज एंड सर्विसेज, कृष्णाराम और बलदेव इन्वेस्टमेंट कंपनी और जयविलास ट्रस्ट प्रमुख हैं। इनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, माधवी राजे सिंधिया, प्रियदर्शनी राजे सिंधिया और चित्रांग्दा राजे को भी पक्षकार बनाया है।
40 हजार की संपत्ति में यह शामिल
सिंधिया परिवार का 12.40 लाख वर्गफीट में बना जयविलास पैलेस है, जिसकी कीमत लगभग 10 हजार करोड़ रुपये है। आजादी के समय के सिंधिया परिवार के 100 से अधिक कंपनियों के शेयर थे। शिवपुरी में माधव विलास पैलेस, हैप्पी विलास और जार्ज कैसल कोठी जैसी संपत्तियां हैं। उज्जैन में कालियादेह पैलेस। दिल्ली में ग्वालियर हाउस, राजपुर रोड पर एक प्लाट और सिंधिया विला। पुणे में पद्म विलास पैलेस, वाराणसी में सिंधिया घाट और गोवा में विठोबा मंदिर सहित अन्य संपत्तियां भी हैं जिनका बंटवारा होना है।
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