सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने से गर्भवती महिला की मौत हो गई। फरवरी 2024 के बाद से एसएमएस अस्पताल में इस तरह की यह तीसरी घटना है। महिला को हीमोग्लोबिन कम होने और गर्भावस्था संबंधी समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गर्भवती महिला की प्रारंभिक जांच में ए+ और बाद में बी+ ग्रुप का ब्लड सामने आया। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में इस तरह का मामला सामने आने से मरीजों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
केस नंबर-1
12 फरवरी 2024 को सड़क दुर्घटना में घायल 23 वर्षीय सचिन शर्मा को एसएमएस अस्पताल में सर्जरी के दौरान गलत ब्लड चढ़ा दिया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। 23 फरवरी को उसकी मौत हो गई। इस मामले में आईपीसी की धारा 304ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई। सरकार ने एक नर्सिंग अधिकारी को निलंबित कर दिया और तीन डॉक्टरों को पदस्थापन आदेश की प्रतीक्षा (एपीओ) में रखा।
केस नं.-2
दिसंबर 2024 में जेके लोन अस्पताल के स्टाफ ने डीग जिले के मूसापुर गांव के 10 वर्षीय बालक मुस्तफा को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया। उसका ब्लड ग्रुप ओ+ था, लेकिन उसे 5 दिसंबर को एबी+ और फिर 7 दिसंबर को ओ+ ब्लड चढ़ा दिया गया। अस्पताल के किसी भी स्टाफ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। 28 दिसंबर को उपचार के बाद बालक को छुट्टी दे दी गई। चार महीने बाद उसकी मौत हो गई।
केस नं.-3
टोंक जिले के निवाई निवासी 23 वर्षीय गर्भवती महिला चैना को हीमोग्लोबिन कम होने, टीबी और गर्भावस्था संबंधी समस्याओं के चलते 12 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 19 मई को उसके ब्लड सैंपल की जांच की गई, जिसमें उसका ब्लड ए+ पाया गया। महिला पहले से ही एनीमिया से पीड़ित थी, इसलिए 20 मई को मरीज को ब्लड चढ़ाया गया, लेकिन इस दौरान गर्भवती महिला की हालत बिगड़ गई। ऐसे में डॉक्टरों ने ब्लड चढ़ाना बंद कर दिया।
महिला को गलत खून चढ़ाने के बाद क्या हुआ?
जब बाद में खून की जांच की गई तो पता चला कि महिला का खून असल में B+ था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने की वजह से गर्भवती महिला को हेमट्यूरिया (पेशाब में खून आना) की समस्या हुई। इसके अलावा टैचीकार्डिया (दिल की धड़कन तेज होना), बुखार और ठंड लगना जैसे खतरनाक लक्षण भी दिखे।
डॉक्टरों ने गलत खून से किया इनकार
मामले की जांच के बाद एसएमएस अस्पताल के ब्लड बैंक की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में भी 19 मई को किए गए सैंपल ब्लड टेस्ट में "ट्यूब में गलत खून" पाया गया। वहीं, डॉ. स्वाति श्रीवास्तव, जिनकी देखरेख में महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, ने गलत ब्लड ग्रुप के इस्तेमाल से इनकार किया है। उन्होंने कहा, "मैं उस समय छुट्टी पर थी। जब मैंने पूछा कि क्या हुआ तो डॉक्टरों ने बताया कि जब उन्होंने खून चढ़ाना शुरू किया तो महिला की हालत बिगड़ गई।
क्या कहा महिला के परिजनों ने?
डॉ. स्वाति श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज पहले से ही माइलरी टीबी से पीड़ित थी। गर्भ में भ्रूण की मौत के बाद उसे और परेशानी हुई। मरीज के जीजा प्रेम प्रकाश ने बताया कि गलत खून चढ़ाने की जानकारी उनके परिजनों को नहीं दी गई। खून चढ़ाने से पहले महिला की आंखें खुल रही थीं, लेकिन खून चढ़ाने के बाद उसकी हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।
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