राजस्थान के झालावाड़ जिले में 8 सितंबर 2025 को एक बड़ा किसान आंदोलन शुरू होने जा रहा है। भारतीय किसान संघ के बैनर तले करीब 50 हज़ार किसान झालावाड़ के मिनी सचिवालय पर अनिश्चितकालीन महापड़ाव देंगे। किसानों की मांग है कि उनकी फसलों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए। कई सालों से अनसुनी की जा रही इस मांग ने अब किसानों के सब्र का बांध तोड़ दिया है। आंदोलन का केंद्र झालावाड़ होगा। इस प्रदर्शन का नेतृत्व भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे और वे स्वयं आंदोलन समाप्त होने तक झालावाड़ में मौजूद रहेंगे।
ट्रैक्टर और वाहनों से पहुँचेंगे किसान
भारतीय किसान संघ के अनुसार, झालावाड़ के 1465 गाँवों से किसान अपने ट्रैक्टर, दोपहिया और चार पहिया वाहनों से जिला मुख्यालय पहुँचेंगे। करीब 8 हज़ार वाहनों के साथ 50 हज़ार से ज़्यादा किसान इस महापड़ाव में शामिल होंगे। किसान अपने साथ खाने-पीने का सामान लाएँगे और धरना स्थल पर ही दाल-बाटी बनाकर भोजन तैयार करेंगे। यह अनिश्चितकालीन धरना तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी माँगें पूरी नहीं कर देती।
जानिए क्यों उठी आंदोलन की चिंगारी
किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकारें चुनावी वादे तो करती हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद किसानों की समस्याओं को भूल जाती हैं। सोयाबीन और मक्का की फसलों में 80 प्रतिशत नुकसान होने के बावजूद अधिकारी इसे केवल 20 प्रतिशत बता रहे हैं। भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री रघुनाथ सिंह ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री बहुत घमंडी हैं, लेकिन इस आंदोलन के बाद उन्हें किसानों की ताकत हमेशा याद रहेगी।
चित्तौड़ प्रांत के 16 जिलों का समर्थन
यह आंदोलन केवल झालावाड़ तक सीमित नहीं है। चित्तौड़ प्रांत के 16 जिलों से किसान संगठन के पदाधिकारी ज्ञापन सौंपने के बाद झालावाड़ पहुँचेंगे। जिलाध्यक्ष राधेश्याम गुर्जर ने कहा कि सरकार को खेती को लाभप्रद बनाने और युवा किसानों को सहारा देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। किसानों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
धरना स्थल पर आत्मनिर्भर व्यवस्था
किसान नेताओं ने कहा कि 11 साल से वे अपनी माँगों को लेकर सरकारों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब 8 सितंबर से मिनी सचिवालय के पास अनिश्चितकालीन धरना शुरू होगा। किसान धरना स्थल पर ही खाना बनाएंगे और सभी ज़रूरी व्यवस्थाएँ खुद करेंगे। प्रदेश पशुपालन प्रमुख किशन पाटीदार ने कहा कि यह आंदोलन किसानों की एकता का प्रतीक होगा।
अब आर-पार की लड़ाई
किसान नेताओं ने साफ़ कहा कि यह आंदोलन उनकी आखिरी लड़ाई है। गाँव-गाँव में जागरूकता फैलाकर किसानों को इस विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार किया गया है। जब तक सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, किसान पीछे नहीं हटेंगे।
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