क्या आपका बॉस अक्सर आपसे नाराज़ रहता है? क्या आपकी मेहनत को नज़रअंदाज़ किया जाता है या आपको छोटी-छोटी बातों पर ताने सुनने पड़ते हैं? वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कार्यस्थल पर बॉस के साथ तनाव और ग़लतफ़हमी सिर्फ़ आपकी कार्यशैली का नतीजा नहीं है, बल्कि यह आपकी कुंडली में कुछ ग्रहों की अशुभ स्थिति का भी संकेत हो सकता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों जैसे बह्त होरा पाराशर शास्त्र और मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार, ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति कार्यस्थल पर मतभेद, गलतफहमी और असफलता का कारण बनती है। वैदिक ज्योतिष में कुछ ग्रहों का कार्यस्थल और बॉस के साथ संबंधों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इन ग्रहों की अशुभ स्थिति या दशा के कारण बॉस के साथ तनाव, ग़लतफ़हमी और काम में रुकावटें पैदा हो सकती हैं। आइए जानते हैं इसके लिए कौन से ग्रह ज़िम्मेदार हैं और इनके प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है?
शास्त्र क्या कहते हैं?
प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में भी ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण कार्यस्थल में आने वाली समस्याओं का ज़िक्र किया गया है। बृहत् पाराशर होरा शास्त्र के अध्याय 24 के श्लोक 12-15 में कहा गया है कि 'दशमे पापग्रहसनदति वा नीचस्थितौ, कर्मक्षेत्र विघ्नः सन्नदति'। इसका अर्थ है कि दशम भाव में पाप ग्रहों की युति या दुर्बल स्थिति कार्यक्षेत्र में बाधाओं और असफलताओं का कारण बनती है। यह ग्रंथ विशेष रूप से शनि और राहु के दशम भाव में होने पर बॉस या उच्च अधिकारियों के साथ मतभेदों के बारे में बात करता है। इसी प्रकार, मुहूर्त चिंतामणि के अध्याय 3 के श्लोक 8-10 में बुध और मंगल की अशुभ स्थिति के कारण कार्यस्थल में संचार में त्रुटियों और तनाव का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि 'बुधस्य पापदृष्ट्या सन्नदविप्लवः, कर्मस्थाने विवादः भवति'। इसका अर्थ है कि जब पाप ग्रहों की बुध पर दृष्टि होती है, तो कार्यस्थल में विवाद और संचार में व्याकुलता होती है। वहीं, कुछ उपाय करके आप अपने करियर में भी जैकपॉट मार सकते हैं।
शनि के अशुभ प्रभाव
शनि को कार्यस्थल पर अनुशासन, कड़ी मेहनत और ज़िम्मेदारी का प्रतीक माना जाता है। यदि आपकी कुंडली में शनि नीच राशि जैसे मेष या तीसरे, छठे या आठवें भाव में हो, तो यह बॉस से मतभेद और काम में देरी का कारण बन सकता है। शनि की अशुभ दृष्टि या साढ़ेसाती के प्रभाव से व्यक्ति को कार्यस्थल पर अपने वरिष्ठों से असहयोग और आलोचना का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब शनि दशम भाव में हो या अशुभ ग्रहों की दृष्टि में हो। इससे मुक्ति पाने के लिए हर शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ और 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है और कार्यस्थल में स्थिरता लाता है। इसके अलावा, शनिवार के दिन काले उड़द या काले जूते दान करें। यह शनि की शांति के लिए बहुत प्रभावी है। इसके साथ ही, कार्यस्थल पर धैर्य और विनम्रता बनाए रखें, क्योंकि शनि धैर्य की परीक्षा लेता है।
राहु भी देता है परेशानियाँ
राहु भ्रम, गलत संवाद और अनावश्यक कठिनाइयों का कारण है। यदि राहु आपकी कुंडली के दशम, लग्न या सप्तम भाव में हो, तो यह बॉस के साथ गलतफहमी और संवाद में त्रुटियाँ पैदा कर सकता है। मुहूर्त चिंतामणि में कहा गया है कि राहु की अशुभ स्थिति कार्यस्थल पर गलत निर्णय, अनुचित व्यवहार और बॉस के साथ तनाव को बढ़ावा देती है। राहु के प्रभाव से व्यक्ति बॉस के सामने अपनी बात गलत तरीके से रखता है और भ्रमित करने वाली स्थितियाँ पैदा करता है। इसके लिए बुधवार के दिन भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें और 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र भ्रमित करने वाली स्थितियों को दूर करता है और संवाद में स्पष्टता लाता है। इसके अलावा, शनिवार के दिन बहते जल में एक नारियल प्रवाहित करें। इससे राहु का अशुभ प्रभाव कम होता है। कार्यस्थल पर अपनी बात स्पष्ट और संक्षिप्त रखें ताकि कोई गलतफहमी न हो।
मंगल भी देता है परेशानियाँ
मंगल ग्रह साहस और ऊर्जा का प्रतीक है, लेकिन इसकी अशुभ स्थिति कार्यस्थल पर आक्रामकता और विवाद का कारण बन सकती है। यदि कुंडली में मंगल नीच कर्क राशि में हो या शनि या राहु की दृष्टि दशम भाव पर हो तो बॉस के साथ तीखी बहस और गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं। जातक पारिजात के अनुसार, मंगल की अशुभ स्थिति व्यक्ति को कार्यस्थल पर जल्दबाजी और गुस्सैल व्यवहार की ओर ले जाती है, जिससे बॉस की नाराजगी बढ़ती है। इसके लिए मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में लाल चंदन और लाल फूल चढ़ाएं। 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे मंगल का नकारात्मक प्रभाव कम होता है और कार्यस्थल पर शांति आती है। किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर मंगलवार के दिन मसूर की दाल या लाल मूंगा दान करें। कार्यस्थल पर क्रोध पर नियंत्रण रखें और बॉस के साथ संवाद में शांतिपूर्ण तरीका अपनाएं।
सूर्य का अशुभ प्रभाव
सूर्य आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतीक है, लेकिन अगर कुंडली में सूर्य तुला राशि में हो या राहु-केतु के साथ युति में हो, तो यह अहंकार और बॉस के साथ मनमुटाव का कारण बन सकता है। सूर्य की अशुभ स्थिति कार्यस्थल पर उच्च अधिकारियों के साथ मतभेद और अनादर पैदा करती है। सूर्य का प्रभाव व्यक्ति को बॉस के सामने अति आत्मविश्वास या अहंकारी व्यवहार की ओर ले जा सकता है। इससे मुक्ति पाने के लिए प्रतिदिन सुबह तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएँ और 'ॐ ह्रीं सूर्याय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। रविवार को गेहूँ, गुड़ या लाल कपड़ा दान करें। कार्यस्थल पर विनम्र और सहयोगात्मक रवैया अपनाएँ, क्योंकि सूर्य का अशुभ प्रभाव अहंकार को बढ़ा सकता है।
आप ये आसान उपाय कर सकते हैं
सोमवार को शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाएँ और 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे सभी ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और कार्यस्थल में शांति आती है।
अपने कार्यस्थल की उत्तर दिशा में एक छोटा सा पानी का फव्वारा या नीला शीशा लगाएँ। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और तनाव कम होता है।
अपने बॉस के साथ बातचीत में हमेशा स्पष्ट और सम्मानजनक रहें। मानसिक शांति बनाए रखने के लिए नियमित रूप से ध्यान या योग करें।
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