राजस्थान में स्मार्ट मीटर को लेकर चल रहा विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुँच गया है। भजनलाल सरकार इसे लेकर बैकफुट पर नज़र आ रही है। क्योंकि बिजली वितरण कंपनियों (DISCOM) ने स्मार्ट मीटर की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला किया है, जिसके तहत अब नए बिजली कनेक्शन और खराब मीटरों को बदलने के लिए पुराने (गैर-स्मार्ट) मीटरों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
बताया जा रहा है कि स्मार्ट मीटरों की कमी, कर्मचारियों की अपर्याप्त संख्या और जनता के जबरदस्त विरोध के बाद यह फैसला लिया गया है। स्मार्ट मीटर के खिलाफ ग्रामीण और शहरी इलाकों में उभरे जनांदोलन ने सरकार को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया। आइए इस विवाद की जड़ और इसके पीछे के कारणों को विस्तार से समझते हैं।
स्मार्ट मीटर की अनिवार्यता खत्म
बता दें, डिस्कॉम चेयरपर्सन आरती डोगरा के कार्यालय से 20 अगस्त को जारी एक आदेश में स्मार्ट मीटर की गाइडलाइन में बड़ा बदलाव किया गया था। अब नए बिजली कनेक्शन के लिए स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य नहीं होगा। इसके साथ ही, खराब या जले हुए मीटरों को बदलने के लिए गैर-स्मार्ट मीटर का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। हालांकि, जिन क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा है या पूरा हो चुका है, वहाँ नए कनेक्शन और खराब मीटर केवल स्मार्ट मीटर से ही बदले जाएँगे।
डिस्कॉम की अध्यक्ष आरती डोगरा ने बताया कि स्मार्ट मीटरों की आपूर्ति में कमी और एडवांस्ड मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर (एएमआईएसपी) के पास कर्मचारियों की कमी के कारण यह निर्णय लिया गया है। कई क्षेत्रों में नए कनेक्शन और खराब मीटर बदलने का काम रुका हुआ था, जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही थी। इस संशोधन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को त्वरित सेवाएँ प्रदान करना और बिजली आपूर्ति में व्यवधान को कम करना है। यह नियम स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया पूरी तरह से सुचारू होने तक लागू रहेगा।
क्या हैं विभाग के नए नियम?
नए दिशानिर्देशों के तहत, नए कनेक्शन केवल उन्हीं फीडरों पर स्मार्ट मीटर से दिए जाएँगे जहाँ स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा है या पूरा हो चुका है। यह काम एएमआईएसपी द्वारा किया जाएगा। वहीं, जिन क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू नहीं हुआ है, वहाँ डिस्कॉम गैर-स्मार्ट मीटर से नए कनेक्शन देगा। खराब या जले हुए मीटरों पर भी यही नियम लागू होगा। स्मार्ट मीटर वाले क्षेत्रों में खराब मीटर को स्मार्ट मीटर से बदला जाएगा, जबकि अन्य क्षेत्रों में गैर-स्मार्ट मीटर का उपयोग किया जाएगा।
इसके अलावा, विद्युत आपूर्ति नियम-2021 के तहत शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 72 घंटे के भीतर मीटर बदलने की अनिवार्यता बरकरार रहेगी। दो महीने तक मीटर न बदलने पर उपभोक्ता को बिजली बिल में 5 प्रतिशत की छूट मिलेगी और इस छूट की राशि संबंधित अभियंता से वसूली जाएगी। जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान लागू किया गया है।
स्मार्ट मीटर क्या है?
आपको बता दें कि स्मार्ट मीटर आधुनिक तकनीक पर आधारित बिजली मीटर होते हैं, जो उपभोक्ताओं को उनकी बिजली खपत का रियल-टाइम डेटा प्रदान करते हैं। ऊर्जा मंत्री के अनुसार, इन मीटरों को मोबाइल ऐप के माध्यम से जोड़ा जा सकता है, जिससे उपभोक्ता दिन-रात की बिजली खपत पर नज़र रख सकते हैं। स्मार्ट मीटर का उद्देश्य बिजली बिलों में पारदर्शिता बढ़ाना और उपभोक्ताओं को अपनी खपत नियंत्रित करने में मदद करना है। इससे बिजली बिलों से जुड़ी शिकायतों में कमी आने की उम्मीद थी।
स्मार्ट मीटर के विरोध का कारण?
हालांकि, स्मार्ट मीटर लगने के बाद से ही पूरे राज्य में इसका विरोध शुरू हो गया था। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर को लेकर कई शिकायतें दर्ज कराईं। लोगों का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनके बिजली के बिल कई गुना बढ़ गए हैं। कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की कि मीटर रीडिंग गलत है, जिसके कारण बिल बिना किसी आधार के बढ़ रहा है।
इसके अलावा, स्मार्ट मीटर की प्रीपेड व्यवस्था को लेकर भी असंतोष है, क्योंकि उपभोक्ताओं को बार-बार रिचार्ज करवाना पड़ता है, जो उनके लिए असुविधाजनक है। लोगों का यह भी आरोप है कि बिजली विभाग ने स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती। कई जगहों पर उपभोक्ताओं की सहमति के बिना जबरन स्मार्ट मीटर लगा दिए गए।इससे जनाक्रोश बढ़ा और कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। हाल ही में स्मार्ट मीटर हटाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर झुंझुनू जिले में जिला बंद का आयोजन किया गया। झुंझुनू के साथ-साथ चिड़ियावा, खेतड़ी, पिलानी और उदयपुरवाटी में भी बाजार बंद रहे।
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