राजस्थान का रेगिस्तानी क्षेत्र वैसे तो अपनी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक किलों और रंग-बिरंगे लोकगीतों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसी धरती पर स्थित एक ऐसा गांव भी है, जिसकी वीरानी आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है। जैसलमेर से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित कुलधरा गांव को भारत के सबसे रहस्यमयी और भूतिया स्थानों में गिना जाता है। इस गांव का एक हिस्सा तो ऐसा है, जहाँ कदम रखते ही लोगों को महसूस होता है कि कोई अदृश्य शक्ति उनका पीछा कर रही है।
गांव का इतिहास और अचानक हुआ पलायन
कुलधरा की कहानी 13वीं शताब्दी से जुड़ी हुई है। यह गांव पालीवाल ब्राह्मणों का प्रमुख निवास स्थान था, जो अपनी बुद्धिमत्ता, व्यापार-कौशल और सांस्कृतिक जीवनशैली के लिए जाने जाते थे। लेकिन एक रात, अचानक पूरे गांव के लोग गायब हो गए। कहा जाता है कि वे बिना किसी को बताए गांव छोड़कर चले गए, और फिर कभी लौटे नहीं। यह रहस्य आज भी इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए एक पहेली बना हुआ है।
भूतिया हिस्से की दास्तान, जहाँ रुकती है साँसें
कुलधरा का एक कोना विशेष रूप से डरावना और अशुभ माना जाता है। गांव के इस हिस्से में आज भी कोई अकेले जाने की हिम्मत नहीं करता। यहां जाने वाले पर्यटकों और शोधकर्ताओं का दावा है कि जब वे इस इलाके में कदम रखते हैं, तो उन्हें लगता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति उनका पीछा कर रही हो। कई लोगों ने यह भी कहा कि उन्हें अपने कंधों पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ, जबकि वहां कोई नहीं था।कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने वहाँ हल्की सी फुसफुसाहटें सुनीं, जैसे कोई अजनबी भाषा में बातें कर रहा हो। कैमरे और मोबाइल फोन इस जगह पर अक्सर काम करना बंद कर देते हैं, और वातावरण अचानक ठंडा हो जाता है, भले ही बाहर चिलचिलाती धूप हो।
श्राप की कहानी और अधूरी प्रेमकथा
कहानी यह भी है कि गांव के पलायन के पीछे जैसलमेर के एक क्रूर दीवान का हाथ था, जिसकी नजर गांव की एक सुंदर ब्राह्मण कन्या पर थी। जब गांववालों ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने गांव छोड़ने का निर्णय लिया, लेकिन जाते-जाते उन्होंने कुलधरा को शाप दिया कि यहाँ फिर कभी कोई बस नहीं पाएगा। यह श्राप आज भी जीवित माना जाता है।
विज्ञान और स्थानीय विश्वास के बीच टकराव
वैज्ञानिकों और तर्कवादी विचारकों का कहना है कि कुलधरा में भूत-प्रेत जैसा कुछ नहीं है। उनका मानना है कि गांव के पतन का कारण पानी की कमी, सामाजिक संघर्ष या राजनीतिक परिस्थितियाँ रही होंगी। लेकिन स्थानीय लोग आज भी इस बात पर अड़े हैं कि गांव में अदृश्य शक्तियाँ मौजूद हैं और कोई भी व्यक्ति रात के समय वहाँ रुकने की हिम्मत नहीं करता।
पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्धि, लेकिन डर बना रहता है कायम
आज कुलधरा राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा संरक्षित स्थल है। दिन में हजारों पर्यटक यहाँ आते हैं, लेकिन जैसे-जैसे सूरज ढलता है, गांव वीरान होने लगता है। गाइड भी शाम होते ही लौट जाते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि सूर्यास्त के बाद वहाँ ठहरना सुरक्षित नहीं।
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