गंगनहर में पूरा सिंचाई पानी उपलब्ध कराने की मांग को लेकर किसानों ने आक्रोश दिखाया। सुबह से ही जिले भर के विभिन्न किसान संगठनों के सैकड़ों किसान कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर एकत्र होने लगे। दोपहर होते-होते विरोध प्रदर्शन तेज हो गया और पुलिस प्रशासन ने किसानों को कलेक्ट्रेट में प्रवेश करने से रोक दिया। इस दौरान किसानों ने बैरिकेड्स हटाकर कलेक्ट्रेट को घेर लिया और किसान सिंचाई विभाग का गेट तोड़कर अंदर घुस गए।
जिला कलेक्टर और सिंचाई विभाग कार्यालय पर कब्जा कर लिया। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच नोकझोंक और झड़प भी हुई। स्थिति को देखते हुए कलेक्ट्रेट के सभी गेटों पर बैरिकेड्स लगाकर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। किसानों की मांग थी कि गंगनहर में तुरंत 2500 क्यूसेक सिंचाई पानी छोड़ा जाए। किसानों का आरोप था कि नहर में कम पानी दिया जा रहा है। खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। गंगनहर में पूरा पानी न आने से खरीफ फसलों की बुवाई समय पर नहीं हो पा रही है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि गंगनहर में पानी नहीं बढ़ाया गया और बढ़ा हुआ पानी नियमित रूप से नहीं छोड़ा गया तो 20 मई को सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक जिले भर में किसान कर्फ्यू रहेगा। किसानों की मांगों को गंभीरता से लिया गया है।
जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में किसानों के प्रतिनिधियों से वार्ता की गई। इसमें सहमति बनी कि जैसे ही भाखड़ा व पौंग बांध से छोड़ा गया पानी हरिके बैराज पर पहुंचेगा और वहां का पौंड लेवल मेंटेन होगा, बीकानेर नहर में 2200 क्यूसेक पानी लाने का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद 21 मई से गंगनहर में 2500 क्यूसेक पानी दिया जाएगा। वर्तमान में गंगनहर में 1000 की जगह 1073 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। स्थिति में सुधार हो रहा है। भाखड़ा बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है, जो जल्द ही हरिके बैराज पर पहुंच जाएगा। प्रदर्शन के दौरान अखिल भारतीय किसान सभा, किसान संघर्ष समिति, टेल किसान समिति, ग्रामीण किसान मजदूर समिति और किसान सेना ने संयुक्त मोर्चा बनाकर नई कार्यकारिणी गठित की। दिलबाग सिंह संधू को अध्यक्ष चुना गया।
उन्होंने बताया कि समाधान नहीं होने पर 20 मई को चक्का जाम करने की चेतावनी दी गई थी। फिलहाल प्रशासन से समझौते के बाद चक्का जाम और आंदोलन स्थगित कर दिया गया है। आंदोलन में किसान नेता रणजीत सिंह राजू, कालू थोरी, गैलेक्सी बराड़, मनिंदर सिंह मान, संतवीर सिंह मोहनपुरा, रविंद्र तारखान, रामकुमार सहारण, विक्रमजीत सिंह शेरगिल, अमर सिंह बिश्नोई, अमतेंद्र सिंह क्रांति, अवतार सिंह संधू, सुभाष सहगल, मास्टर केवल सिंह, रिशपाल सिंह मक्कासर समेत कई नेता शामिल हुए। किसान संगठनों ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन अपना वादा पूरा नहीं करता है तो अगली बार आंदोलन और बड़ा और निर्णायक होगा।
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