राजस्थान में चिकित्सा सुविधाओं का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद आरबीएम अस्पताल, भरतपुर में अब जटिल से जटिल ऑपरेशन किए जा रहे हैं। ताजा उदाहरण है — हड्डी के कैंसर (Bone Cancer) से पीड़ित मरीज का सफल ऑपरेशन, जो इस अस्पताल के इतिहास में पहला और अत्यंत जटिल शल्य चिकित्सा मामला माना जा रहा है।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, मरीज लंबे समय से हड्डी के कैंसर से पीड़ित था। कैंसर ने न सिर्फ उसकी हड्डी को गलाना शुरू कर दिया था, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने का खतरा भी बढ़ गया था। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में ऑपरेशन का फैसला लिया।
ऑर्थोपेडिक और ऑन्कोलॉजी विभाग की संयुक्त टीम ने करीब 6 घंटे लंबे ऑपरेशन के बाद मरीज को नई जिंदगी दी। डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान हड्डी के कैंसरग्रस्त हिस्से को सावधानीपूर्वक निकालकर कृत्रिम इम्प्लांट (Artificial Bone Implant) लगाया गया, जिससे मरीज अब सामान्य रूप से चल-फिर सकता है।
मुख्य शल्य चिकित्सक डॉ. नितिन अग्रवाल ने बताया, “यह ऑपरेशन अत्यंत जोखिमपूर्ण था। कैंसर हड्डी की नसों तक पहुंच चुका था। हमारी टीम ने आधुनिक तकनीक और सटीक योजना के साथ ऑपरेशन को सफल बनाया।” उन्होंने कहा कि इस तरह की सर्जरी अब तक जयपुर, दिल्ली और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में ही होती थी, लेकिन अब भरतपुर में भी यह संभव है।
अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद आरबीएम अस्पताल में आधुनिक उपकरणों और विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ी है। इसके चलते न सिर्फ भरतपुर जिले, बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से भी मरीज अब यहां इलाज के लिए आने लगे हैं।
मरीज के परिजनों ने कहा, “हम जयपुर जाने की सोच रहे थे, लेकिन डॉक्टरों ने भरोसा दिया कि यहां भी इलाज संभव है। अब मरीज पूरी तरह ठीक है। भरतपुर के लिए यह बड़ी उपलब्धि है।”
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि निकट भविष्य में कैंसर उपचार यूनिट और बोन मैरो सेंटर स्थापित करने की योजना पर काम चल रहा है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के सहयोग से अस्थि रोग, न्यूरो और हृदय रोग विभागों में भी उन्नत सर्जरी शुरू की जाएगी।
आरबीएम अस्पताल में हुए इस ऑपरेशन को राजस्थान के मेडिकल क्षेत्र में नया अध्याय माना जा रहा है। इससे यह साबित होता है कि अब राज्य के छोटे शहरों में भी विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं — और मरीजों को बड़े शहरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
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