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Rajendra Singh Gudha का प्रदर्शन! झुंझुनूं में जमीन विवाद पर पुलिस थाने पर चढ़ाई, विडियो क्लिप में विस्तार से जाने क्या है पूरा विवाद ?

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झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी क्षेत्र के गिरावड़ी गाँव में ज़मीन विवाद अचानक बढ़ गया। विवाद इतना बढ़ गया कि पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को खुद ग्रामीणों का नेतृत्व करना पड़ा। उन्होंने लोगों के साथ मिलकर उदयपुरवाटी थाने का घेराव कर दिया। मौके पर स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने गुस्से में आकर सीधे उदयपुरवाटी थाने के गेट पर हमला बोल दिया। बड़ी संख्या में ग्रामीण और समर्थक भी मौजूद थे, जो पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ज़मीन विवाद में निष्पक्ष कार्रवाई करने के बजाय, उदयपुरवाटी पुलिस ने बल प्रयोग किया। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस प्रशासन का रवैया पक्षपातपूर्ण और दमनकारी है। इसीलिए थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया।

थानाधिकारी को हटाने की मांग
आक्रोशित ग्रामीणों और पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक उदयपुरवाटी थानाधिकारी को नहीं हटाया जाता, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि थानाधिकारी की भूमिका संदिग्ध है और उनके रहते न्याय असंभव है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एएसपी हेमंत कुमार मौके पर पहुँचे और थाने में मौजूद ग्रामीणों व प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने का प्रयास किया। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास किया। उदयपुरवाटी थाना परिसर में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षाकर्मी लगातार स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं। ग्रामीणों में बढ़ती भीड़ और आक्रोश को देखते हुए पुलिस सतर्क है। पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि जनता के साथ अन्याय और पुलिस की मनमानी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो विरोध और भी हिंसक हो सकता है।

पुलिस प्रशासन और जनता के बीच टकराव
उदयपुरवाटी में ज़मीनी विवाद को लेकर उपजे तनाव के कारण पुलिस प्रशासन और जनता के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। ग्रामीण जहाँ निष्पक्ष कार्रवाई की माँग कर रहे हैं, वहीं पुलिस अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार कर रही है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस विवाद को किस प्रकार सुलझाता है और ग्रामीणों को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाता है।

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