बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग की कार्यशैली और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर एकतरफा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं के साथ किया गया व्यवहार "अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण" है।
गहलोत ने शुक्रवार को एक प्रेस बयान में कहा कि,
चुनाव आयोग पर ‘पक्षपात’ का आरोप"देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था आज दबाव में काम कर रही है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की रीढ़ हैं, लेकिन जब संवैधानिक संस्थाएं भी दबाव में आ जाएं तो लोकतंत्र की बुनियाद हिल जाती है।"
अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की ओर से विपक्षी नेताओं, खासतौर पर कांग्रेस नेताओं के प्रति कठोर रवैया अपनाया जा रहा है, जबकि सत्तारूढ़ दल के नेताओं के मामलों में नरमी दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को लगातार नोटिस भेजे जा रहे हैं, उनके बयानों की विवेचना एकतरफा ढंग से की जा रही है, जबकि सत्तापक्ष के कई नेताओं के भड़काऊ और आपत्तिजनक बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
लोकतंत्र पर गहरा खतरा: गहलोतगहलोत ने कहा कि यदि संस्थाएं ही न्याय और निष्पक्षता के मूल सिद्धांतों से समझौता करेंगी, तो आम जनता का लोकतंत्र में विश्वास डगमगा जाएगा। उन्होंने आगाह किया कि देश की संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने के प्रयास बेहद चिंताजनक हैं।
बिहार चुनाव के संदर्भ में बयानगहलोत का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां तेज हो चुकी हैं और राजनीतिक दलों में बयानबाजी का दौर जोरों पर है। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के नेता चुनाव आयोग से समान नियमों के तहत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
विपक्ष का समर्थनगहलोत के इस बयान को विपक्षी दलों का भी समर्थन मिल रहा है। कई नेताओं ने कहा है कि चुनाव आयोग को संविधान की मर्यादा के अनुरूप कार्य करना चाहिए, ना कि किसी राजनीतिक प्रभाव में आकर।
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