बांसवाड़ा-डूंगरपुर और गुजरात की सीमा में माही और मोरन नदियों के संगम से लेकर कडाणा बैकवाटर तक की यह तस्वीर चौंकाने वाली है। पानी में दिखाई दे रही इन नावों में हाई पावर मोटर लगाकर और पानी के नीचे से बजरी खींचकर माफिया रोजाना 500 टन बजरी राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के कई जिलों में तस्करी कर रहे हैं। यह पूरा काम अवैध है, क्योंकि यहां बजरी खनन का कोई पट्टा नहीं है।
पारसोलिया से लेकर गुजरात के गलियाकोट और कडाणा बैकवाटर तक 23 किलोमीटर तक बजरी खनन हो रहा है। 8 पॉइंट पर बड़ी नावें लगाकर बजरी निकाली जा रही है। माही नदी में 6.27 किलोमीटर क्षेत्र में अवैध खनन हो रहा है। माफिया के लोग 15 से 20 छोटी नावों के जरिए भी नजर रखते हैं।
भास्कर के 2 रिपोर्टर और फोटो जर्नलिस्ट ने पहले कैमरे के जरिए अवैध खनन पॉइंट तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया, क्योंकि इन रास्तों पर माफिया के लोगों के अलावा किसी और को प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसलिए, भास्कर टीम ने ड्रोन की मदद ली और ड्रोन के ज़रिए ये तस्वीरें सामने लाईं।
नाव में एक मोटर लगाई जाती है और पाइप के ज़रिए बजरी खींचकर किनारों पर खाली की जाती है। पाइपलाइन के ज़रिए बजरी किनारों पर जमा होती रहती है। बजरी के साथ आने वाला पानी वापस नदी में चला जाता है। इकट्ठी हुई बजरी को ट्रैक्टर या डंपर में भरकर बेचने के लिए ले जाया जाता है।
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