राजस्थान की राजधानी जयपुर को "पिंक सिटी" के नाम से जाना जाता है, और इसका दिल कहे जाने वाला सिटी पैलेस न सिर्फ स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह राजस्थान के गौरवशाली इतिहास की गवाही भी देता है। जयपुर के पुराने शहर के केंद्र में स्थित यह भव्य महल सैकड़ों वर्षों से पर्यटकों, इतिहास प्रेमियों और वास्तुकला के विद्यार्थियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। सिटी पैलेस की भव्यता, इसकी जटिल नक्काशी, शानदार दरबार और संग्रहालय जैसी खासियतें इसे राजस्थान के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बनाती हैं।
महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय की कल्पनासिटी पैलेस का निर्माण 1727 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया था, जो कि जयपुर नगर के संस्थापक भी थे। जब उन्होंने आमेर से राजधानी को जयपुर स्थानांतरित किया, तो सिटी पैलेस को राजपरिवार के आवास के रूप में विकसित किया गया। यह महल ना केवल एक निवास था, बल्कि यहां से राज्य के प्रशासनिक कार्य भी संचालित होते थे। इस महल का डिज़ाइन एक अनूठा मिश्रण है – जहां मुग़ल और राजस्थानी स्थापत्य शैली के साथ-साथ यूरोपीय प्रभाव भी नज़र आते हैं।
विशाल परिसर में बसे अनेक महलजयपुर सिटी पैलेस केवल एक इमारत नहीं, बल्कि यह एक पूरा महल परिसर है, जिसमें कई भवन, प्रांगण, बाग-बगिचे और आंगन शामिल हैं। इसमें सबसे प्रमुख भागों में शामिल हैं — चंद्र महल, मुबारक महल, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, और पृथ्वीनिवास महल।चंद्र महल आज भी शाही परिवार का निवास स्थल है, हालांकि इसके कुछ भागों को गाइड के साथ घूमने की अनुमति है। इसके ऊपरी मंजिल से पूरे जयपुर शहर का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है।मुबारक महल, जो अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है, यहां राजघराने के पोशाकों का संग्रह रखा गया है। इनमें राजा-महाराजाओं के पारंपरिक परिधान, कश्मीरी शॉल, ब्रोकेड साड़ियाँ और महाराजाओं के खास लिबास शामिल हैं।
दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खासदीवान-ए-आम यानी जनता दरबार हॉल और दीवान-ए-खास यानी राजकीय दरबार भी सिटी पैलेस के आकर्षण का हिस्सा हैं। दीवान-ए-खास में दुनिया के सबसे बड़े चांदी के कलश प्रदर्शित हैं, जिनका उपयोग महाराजा सवाई माधोसिंह ने 1901 में इंग्लैंड यात्रा के दौरान गंगाजल ले जाने के लिए किया था। ये कलश गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हैं।
चारों दरवाज़ों की अनूठी भव्यतासिटी पैलेस के चंद्र महल की ओर जाने वाले आंगन में चार मुख्य द्वार हैं, जिन्हें "रिद्धि द्वार", "शुभ द्वार", "लेहरिया द्वार" और "रोज़ द्वार" कहा जाता है। ये द्वार भारतीय ऋतुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और प्रत्येक द्वार की कारीगरी अलग है। इन पर बनी पेंटिंग्स और म्यूरल्स राजस्थान की पारंपरिक कला को जीवंत रूप में दर्शाते हैं।
क्यों जाएं आप यहां?अगर आप इतिहास, कला, संस्कृति और स्थापत्य में रुचि रखते हैं, तो सिटी पैलेस आपके लिए किसी खजाने से कम नहीं है। यहां की गाइडेड टूर सेवा आपको महल के इतिहास, प्रत्येक भाग की भूमिका और उस समय की जीवनशैली से रूबरू कराती है। यह स्थान न केवल फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है, बल्कि यहां का शांत वातावरण, पारंपरिक वेशभूषा में गार्ड्स और सजे-धजे आंगन मन को सुकून देते हैं।
टिकट और समयसिटी पैलेस सुबह 9:30 बजे से शाम 5 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। यहां भारतीय पर्यटकों और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग-अलग टिकट दरें निर्धारित हैं। आप चाहें तो शाही टूर का हिस्सा भी बन सकते हैं, जिसमें आपको चंद्र महल के विशेष हिस्सों तक पहुंच दी जाती है।
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