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भारतीय रेलवे का बड़ा टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड! अब वायर नहीं, फाइबर से चलेगा रेलवे का सिग्नल सिस्टम, जाने क्या होंगे इसके फायदे ?

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रेलवे जल्द ही ऑप्टिकल फाइबर सिस्टम को बढ़ावा देगा। सिग्नल का संचालन वायर सिस्टम की जगह ऑप्टिकल फाइबर के जरिए होगा। इसको लेकर रेलवे ने कुछ डिवीजनों में काम भी शुरू कर दिया है। धीरे-धीरे सभी ट्रैक पर ऑप्टिकल फाइबर लाइन बिछाई जाएगी। मौजूदा सिग्नल सिस्टम में सिग्नल को अलग-अलग वायर के जरिए कंट्रोल किया जाता है। इसमें काफी समय लगता है। कई बार खराबी की आशंका बनी रहती है। अब इसकी जगह ऑप्टिकल फाइबर केबल का इस्तेमाल किया जाएगा।

हैवी वायरिंग की जरूरत नहीं
ऑप्टिकल फाइबर एक एडवांस सिग्नल तकनीक है। इसमें रेलवे ट्रैक पर लगे सिग्नल को सीधे फाइबर लाइन से कंट्रोल किया जाता है। इसमें हैवी वायरिंग की जरूरत नहीं होती। ऑपरेटिंग सिस्टम फाइबर के जरिए ही चलता है।

कंट्रोल रूम से सीधे मिलेंगे सिग्नल
नई तकनीक में लैंप आउटपुट मॉड्यूल डिवाइस लगाई जाती है। यह डिवाइस कंट्रोल रूम से सीधे सिग्नल को ऑप्टिकल फाइबर के जरिए सिग्नल तक भेजती है। इससे सिग्नल जल्दी पहुंचते हैं। काम भी आसानी से हो जाता है

ये होंगे फायदे
-रेलवे ट्रैक पर सिग्नल ऑप्टिकल फाइबर से कंट्रोल होंगे
-भारी वायरिंग से मिलेगी राहत, ऑप्टिकल फाइबर से होगा काम
-सभी सिग्नल एक साथ ब्लैंक नहीं होंगे
-सिस्टम से जुड़ा पंखा मशीन को गर्म होने से बचाएगा
-एक लाइन में तकनीकी खराबी आने पर दूसरी लाइन देगी सपोर्ट

फॉल्ट की संभावना कम
मौजूदा सिग्नल सिस्टम में कंट्रोल सिस्टम वायर से जुड़े होते हैं। इसमें काफी समय लगता है और खराबी आने पर उसे ठीक करने में भी समय लगता है। ऑप्टिकल फाइबर केबल आधारित होता है। इसमें तकनीकी खराबी को ठीक करना आसान होता है। हाई बैंडविड्थ और तेज स्पीड के कारण ऑप्टिकल फाइबर कॉपर वायर से ज्यादा तीव्र होता है। फाइबर ऑप्टिक्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस के अधीन नहीं होते हैं। फाइबर थ्रेड के जरिए सूचना प्रकाश तरंगों के रूप में संचारित होती है।

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