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अफ़ग़ानिस्तान का वह सैन्य अड्डा, जिसका नाता ट्रंप बार-बार चीन से जोड़ते हैं

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Getty Images

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अफ़ग़ानिस्तान से अपनी सेना की वापसी के बाद से कई बार यह कह चुके हैं कि अमेरिका को अफ़ग़ानिस्तान का बगराम सैन्य अड्डा नहीं छोड़ना चाहिए था.

लगभग हर बार जब उन्होंने काबुल के उत्तर में स्थित परवान प्रांत में बगराम के सैन्य अड्डे का ज़िक्र किया, तो उसके तुरंत बाद ही चीन के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने दावा किया कि चीन ने बगराम एयर बेस पर क़ब्ज़ा कर लिया है.

डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे हाल में 7 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में कहा था, "अगर मैं होता तो बगराम का बड़ा सैनिक अड्डा अपने पास ही रखता जो अब चीन के कंट्रोल में है."

बगराम दुनिया के सबसे मज़बूत एयरबेस में से एक है जो कंक्रीट और स्टील से बना हुआ है. बगराम एक बहुत बड़ा बेस था. यह सैकड़ों किलोमीटर लंबी मज़बूत दीवारों से घिरा हुआ था. इसके आसपास का क्षेत्र सुरक्षित था और कोई भी बाहरी इसके अंदर नहीं जा सकता था."

अमेरिका के लिए अहम एयरबेस image Getty Images

बीबीसी ने सैटेलाइट तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए बगराम अड्डे का विस्तृत जायज़ा लिया है, ताकि यह मालूम किया जा सके कि क्या इस बड़े सैनिक अड्डे में हाल में होने वाले बदलाव यहां चीन की मौजूदगी का सबूत हैं.

हमने अफ़ग़ानिस्तान में बगराम एयरबेस और चीन के उस इलाक़े के बीच का फ़ासला भी तय किया है जहां चीन कथित तौर पर सैनिक व परमाणु गतिविधियों में लगा हुआ है.

हमारा मक़सद इसका अंदाज़ा लगाना था कि क्या इन दोनों इलाक़ों के बीच का सफ़र वाक़ई एक ही घंटे का है.

ऐसा करना इसलिए ज़रूरी था क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यह दावा कर चुके हैं कि बगराम अफ़ग़ानिस्तान में उस जगह से केवल एक घंटे की दूरी पर है जहां चीन परमाणु हथियार बना रहा है.

बगराम सैन्य अड्डे के महत्व का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले दो दशकों में तीन अमेरिकी राष्ट्रपति इस अड्डे का दौरा कर चुके हैं. इनमें जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप शामिल हैं.

जो बाइडन ने साल 2011 में बगराम एयरपोर्ट का दौरा किया था, लेकिन उस समय वह अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे.

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सोवियत संघ ने बनवाया था यह सैन्य ठिकाना

सोवियत संघ ने यह सैनिक अड्डा 1950 के दशक में परवान प्रांत में बनाया था. बगराम 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़े के दौरान सोवियत सैनिकों का बहुत ही महत्वपूर्ण अड्डा समझा जाता था.

11 सितंबर के हमलों और अमेरिका की तरफ़ से 'आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध' की घोषणा करने के बाद अमेरिकी सैनिक दिसंबर 2001 में इस अड्डे पर उतरे और उन्होंने यहां क़ब्ज़ा जमा लिया.

लगभग दो दशकों तक यह अड्डा अलक़ायदा और तालिबान के ख़िलाफ़ लड़ाई का केंद्र रहा.

यह सैनिक अड्डा 77 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां इतने बैरक और क्वार्टर्स हैं कि एक समय में यहां दस हज़ार से अधिक सैनिक रह सकते हैं.

बगराम के दो रनवेज़ में से एक ढाई किलोमीटर से अधिक लंबा है. डोनाल्ड ट्रंप के मुताबिक़, "इस अड्डे में सबसे मज़बूत और सबसे बड़ा कंक्रीट रनवे है. इस रनवे की मोटाई लगभग दो मीटर है."

image BBC सैटेलाइट तस्वीरों से क्या पता चलता है?

अमेरिकी सैनिकों की वापसी से पहले और तालिबान के सत्ता में आने के बाद की सैटेलाइट तस्वीरों में साफ़ फ़र्क़ दिखाई देता है. हमने अलग-अलग समय में ली गई बहुत सी सैटेलाइट तस्वीरें देखीं.

उदाहरण के लिए 24 सितंबर 2020 को प्लैनेट लैब्स कंपनी की तरफ़ से ली गई एक सैटेलाइट तस्वीर में इस अड्डे पर कम से कम 35 अलग-अलग जहाज़ दिखाई देते हैं.

लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के लगभग एक साल बाद यानी 15 जुलाई 2022 को ली गई एक तस्वीर में पूरे बेस में एक भी जहाज़ नज़र नहीं आता.

2 अक्टूबर 2020 को ली गई नीचे की दो तस्वीरों में से एक में हमने कुछ जहाज़ों को लाल रंग के घेरे में डाला है.

सन 2011 में ली गई एक और सैटेलाइट तस्वीर में बगराम एयरफ़ील्ड के इलाक़े में कम से कम 120 अलग-अलग जहाज़ों और हेलीकॉप्टरों को दिखाया गया है.

दूसरी तस्वीरों में दो बड़े बदलाव नज़र आ रहे हैं.

एक तो यह कि बेस के कई जगहों से सैकड़ों कंटेनर्स को दूसरी जगह कर दिया गया है. हो सकता है कि यह कंटेनर्स लॉजिस्टिक स्टोरेज के लिए इस्तेमाल किए गए हो.

ऐसा लगता है कि कंटेनर्स को बगराम एयर बेस से बेस के अंदर दूसरे इलाक़ों में ले जाया गया था. बेस में कम से कम दो जगह पर मौजूद लगभग 40 कंटेनर्स को वहां से हटाया गया है.

नीचे दी गई दो तस्वीरें इस बदलाव को ज़ाहिर करती हैं. इनमें से एक 24 जुलाई 2024 को ली गई और दूसरी 25 अप्रैल 2025 को ली गई हैं.

अड्डे की एक और जगह पर सौ से अधिक अलग-अलग गाड़ियां खड़ी देखी जा सकती हैं. ऐसा लगता है कि यह गाड़ियां तालिबान के क़ब्ज़े के बाद अड्डे के कई हिस्सों से इकट्ठी करके एक जगह खड़ी की गई हैं.

बगराम के सैनिक अड्डे के इलाक़े से पिछले तीन सालों में अलग-अलग समय में ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में बहुत ही कम मौक़ों पर कोई गाड़ी बेस की अंदरूनी सड़कों पर चलती फिरती नज़र आती हैं.

इन तस्वीरों को देखकर हम कह सकते हैं कि बगराम सैनिक अड्डे में कोई बड़ा रणनीतिक बदलाव नहीं हुआ है.

image BBC
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हमने सैटेलाइट से ली गई कुछ तस्वीरें सेंटर फ़ॉर स्ट्रैटेजिक ऐंड इंटरनेशनल स्टडीज़ की जेनिफ़र जोन्स को देखने के लिए भेजीं.

उनके अनुसार फ़रवरी 2025 की केवल एक तस्वीर में रनवे पर एक हेलीकॉप्टर खड़ा दिखाया गया है. बाक़ी की दूसरी सैटेलाइट तस्वीरों में, जो 2021 के मध्य से अप्रैल 2025 के बीच ली गई हैं, साफ़ तौर पर कोई जहाज़ नहीं दिखाया गया है.

जेनिफ़र जोन्स के अनुसार यह ज़रूरी नहीं कि पिछले चार वर्षों में इस बेस पर कोई दूसरा जहाज़ नहीं आया हो.

उन्होंने बीबीसी को बताया कि यह भी मुमकिन है कि हवाई जहाज़ की गतिविधि उस समय के दौरान नहीं हुई हो, जब यह सैटेलाइट तस्वीरें ली गई थीं (यानी स्थानीय समय के अनुसार सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच), या हो सकता है कि हवाई जहाज़ को सुरक्षित इलाक़ों में ले जाया गया हो.

जोन्स ने कहा कि 2025 की शुरुआत में ली गई कुछ तस्वीरों में हवाई अड्डे के कुछ हिस्सों में ज़मीन पर कुछ काले निशान दिखाई दे रहे हैं जो तेल के भंडार हो सकते हैं.

जेनिफ़र जोन्स के अनुसार एयर बेस की स्थिति का सबसे अहम पहलू इसके रनवे की हालत है. सुरक्षा कारणों से हर सक्रिय रनवे को मलबे से बिल्कुल अलग रखा जाता है.

अप्रैल 2025 की तस्वीरें दोनों रनवे को अच्छी हालत में दिखाती हैं. लेकिन सन 2025 की सैटेलाइट तस्वीरों में कोई जहाज़ नहीं देखा गया.

उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि बगराम एयरबेस बिल्कुल उसी हालत में है जिस तरह अमेरिकी सैनिक वहां से छोड़कर गए थे.

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ट्रंप के दावे की हक़ीकत image Getty Images ट्रंप ये दावा करते रहे हैं कि बगराम एयरबेस उस जगह से सिर्फ़ एक घंटे की दूरी पर है, जहां चीन अपने परमाणु हथियार बनाता है

डोनाल्ड ट्रंप दर्जनों बार बगराम एयर बेस के बारे में बात कर चुके हैं. वह बार-बार कह चुके हैं कि बगराम का महत्व अफ़ग़ानिस्तान की वजह से नहीं बल्कि चीन की पृष्ठभूमि में है.

उनका दावा है, "अफ़ग़ानिस्तान को भूल जाओ. बगराम एयरबेस उस जगह से केवल एक घंटे की दूरी पर है जहां चीन परमाणु हथियार बन रहा है."

लेकिन क्या वाक़ई उन दोनों जगहों के बीच की दूरी एक घंटे में तय की जा सकती है जैसा कि डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दोहराया है?

रूस के अलावा अब तक किसी देश ने तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं दी है लेकिन यह कहा जा सकता है कि चीन और तालिबान के बीच अच्छे संबंध ज़रूर हैं.

दोनों पक्षों ने अफ़ग़ानिस्तान में ऐनक तांबे की खदान के विकास के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो दुनिया की सबसे बड़े तांबे की खदानों में से एक है.

हालांकि अफ़ग़ानिस्तान में अधिकतर देशों का कोई कूटनीतिक मिशन नहीं है लेकिन चीन ने अपना राजदूत यहां भेज रखा है.

बगराम एयर बेस से चीन की सबसे नज़दीक परमाणु प्रयोगशाला 2 हज़ार किलोमीटर की दूरी पर उत्तर पश्चिम चीन में 'लोप नूर' नाम के क्षेत्र में है.

यह सपष्ट नहीं है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति एक घंटे की दूरी की बात करते हैं तो उनका इससे क्या मतलब होता है?

यह दूरी ज़मीन के रास्ते से किसी भी हालत में एक घंटे की नहीं है.

लेकिन लॉकहीड एसआर- 71 ब्लैकबर्ड जैसे आधुनिक सैनिक जेट का इस्तेमाल करते हुए इस फ़ासले को हवा में लगभग एक घंटे में पूरा किया जा सकता है.

बगराम सैनिक अड्डे और चीन का बार-बार ज़िक्र करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के उलट तालिबान सरकार और चीन ने हमेशा ऐसे दावों को नकार दिया है.

बीबीसी ने व्हाइट हाउस से डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को सिद्ध करने के लिए सबूत मांगे कि चीन बगराम में मौजूद है, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया.

हमने तालिबान सरकार से इजाज़त मांगी कि हम ख़ुद उस सैन्य अड्डे पर जाएं और देखें कि वहां क्या हो रहा है, लेकिन हमें इजाज़त नहीं दी गई.

पिछले तीन सालों से बगराम एयर बेस पर तालिबान की सेनाएं अमेरिकी सैनिकों के छोड़े गए सैन्य साज़ो-सामान का इस्तेमाल करते हुए सैनिक परेड और दूसरे समारोह आयोजित कर रही हैं.

यह सैनिक अड्डा अमेरिका ने साल 2021 में रात के अंधेरे में उस समय की अफ़ग़ान सरकार को बताए बिना छोड़ दिया था.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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