देशभर के नेशनल हाइवे पर फ़ास्टैग इस्तेमाल करने वालों के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में एक अहम घोषणा की है, जिससे बड़ी राहत मिल सकती है.
अब निजी गाड़ी चालक चाहें तो फ़ास्टैग का स्पेशल पास बनवा सकते हैं. एक बार पास बनवाने के बाद यह पूरे एक साल के लिए मान्य रहेगा.
कहा गया है कि यह योजना हाईवे पर सफ़र को आसान और किफ़ायती बनाएगी.
सबसे पहले इस सालाना पास के फ़ायदे और विशेषताएं जान लीजिए. इस पास की सालाना फ़ीस 3000 रुपये तय की गई है. यह पास एक साल में 200 ट्रिप के लिए वैध होगा और इसका लाभ देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों यानी नेशनल हाइवेज़ पर मिलेगा.
यह भी अहम बात है कि यह पास केवल निजी, गैर-वाणिज्यिक वाहनों के लिए है.
सरकार ने इस योजना की शुरुआत टोल प्लाज़ा पर वेटिंग टाइम घटाने, भीड़ कम करने और यात्रा को ज़्यादा किफ़ायती बनाने के मकसद से की है.
पास कब से लागू होगा और कैसे ले सकते हैं?निजी गाड़ियों के लिए यह पास 15 अगस्त से प्रभावी होगा. इसे राजमार्ग यात्रा ऐप, एनएचएआई की वेबसाइट और परिवहन मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से सक्रिय किया जा सकेगा और आगे रिन्यू भी किया जा सकेगा.
इसके लिए जल्द ही एक लिंक उपलब्ध कराया जाएगा.
दो सौ ट्रिप का क्या मतलब है?केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया पर एक बयान में बताया कि फ़ास्टैग सालाना पास के तहत एक ट्रिप का मतलब एक टोल प्लाज़ा को पार करना होगा. इस तरह, एक सालाना पास से एक साल के भीतर 200 टोल प्लाज़ा बेरोकटोक पार किए जा सकेंगे.
टोल फ़ीस में कितना फ़ायदा होगा?अभी टोल प्लाज़ा पर अलग-अलग शुल्क वसूला जाता है — कहीं 50 रुपये, कहीं 80 रुपये, तो कहीं 100 रुपये तक. लेकिन दावा किया गया है कि इस पास के ज़रिए औसतन टोल टैक्स महज 15 रुपये प्रति ट्रिप पड़ेगा.
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी टोल प्लाज़ा पर औसतन 50 रुपये चुकाने पड़ें, तो 200 ट्रिप पर कुल टोल 10,000 रुपये हो जाएगा. लेकिन इस सालाना पास के ज़रिए केवल 3,000 रुपये में 200 टोल प्लाज़ा पार किए जा सकेंगे.
क्या ये देश में सभी हाइवे पर लागू होगा?फ़ास्टैग सालाना पास का लाभ देश में एनएचएआई के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर मिलेगा. ध्यान दें कि यह पास केवल नेशनल हाइवे के लिए मान्य है; राज्य राजमार्गों (स्टेट हाइवे) या स्थानीय टोल प्लाज़ा पर यह काम नहीं करेगा.
सालाना पास काम कैसे करेगा?यह पास रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफ़आईडी) तकनीक पर आधारित मौजूदा फ़ास्टैग सिस्टम से जुड़ा होगा.
उपयोग शुरू करने से पहले फ़ास्टैग में इस सालाना पास को सक्रिय करना होगा.
क्या है 60 किलोमीटर वाला टोल विवाद?
दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ष 2022 में कहा था कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर दो टोल प्लाज़ा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए. यानी यदि आप एक टोल प्लाज़ा से होकर गुजरते हैं और 60 किलोमीटर से पहले ही दूसरा टोल प्लाज़ा आ जाता है, तो वह अवैध माना जाएगा.
सरकार ने यह व्यवस्था इसलिए की थी ताकि यात्रियों को बार-बार टोल न चुकाना पड़े. हालांकि, कई लोगों ने मंत्री के इस बयान को गलत ढंग से पेश किया. कुछ लोगों ने यह धारणा बना ली कि घर से 60 किलोमीटर की दूरी तक टोल फ्री रहेगा, जबकि यह नियम केवल दो टोल प्लाज़ा के बीच की दूरी पर लागू होता है.
जिन लोगों के घर टोल प्लाज़ा के पास हैं, उनके लिए पहले 'मंथली पास' की सुविधा दी गई थी ताकि उन्हें हर दिन टोल न देना पड़े. लेकिन अब सालाना पास आने के बाद उन्हें मंथली पास की ज़रूरत नहीं रहेगी.
पास को शुरू करने का मकसद क्या है?इस पास का उद्देश्य टोल प्लाज़ा पर वाहनों की भीड़ कम करना, फ़ास्टैग से जुड़े विवादों को घटाना, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा को आसान बनाना है.
यह पास हाईवे पर सहज और किफ़ायती यात्रा सुनिश्चित करने में मदद करेगा.
सरकार बैरियर-लेस टोलिंग सिस्टम पर काम कर रही है. इस प्रणाली में ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) और फ़ास्टैग का इस्तेमाल किया जाएगा.
चुनिंदा हाईवे और एक्सप्रेसवे पर इसका परीक्षण जारी है. इस सिस्टम में वाहन की नंबर प्लेट को पहचानकर स्वत: ही टोल शुल्क काट लिया जाएगा.
क्या होता है टोल टैक्स?टोल टैक्स एक तरह का 'कर' है, जो सरकार या किसी अधिकृत एजेंसी द्वारा हाईवे, बड़े पुल, टनल या एक्सप्रेसवे के इस्तेमाल के बदले वसूला जाता है.
कई बार राज्य राजमार्गों (स्टेट हाइवे) पर भी टोल टैक्स लिया जाता है. सरकार इस राशि का उपयोग सड़कों के निर्माण, मरम्मत, रखरखाव और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए करती है.
टोल टैक्स चुकाने के कई तरीके हैं, जैसे नकद भुगतान, डिजिटल माध्यम और फ़ास्टैग के ज़रिए. हालांकि, राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करते समय फ़ास्टैग को अनिवार्य कर दिया गया है.
क्या होता है फ़ास्टैग?फ़ास्टैग, नेशनल हाइवे पर टोल टैक्स वसूली के लिए इस्तेमाल होने वाला एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है. इसकी मदद से आप बिना रुके और नकद भुगतान किए टोल टैक्स चुका सकते हैं.
फ़ास्टैग एक छोटा स्टिकर होता है, जिसमें रेडियो फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफ़िकेशन (आरएफ़आईडी) तकनीक लगी होती है. जब वाहन टोल प्लाज़ा से गुजरता है, तो यह स्टिकर ऑटोमैटिक स्कैन होता है और टोल राशि आपके फ़ास्टैग से लिंक्ड वॉलेट या बैंक खाते से अपने आप कट जाती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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