भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) ने जन्म प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में अहम बदलाव किए हैं.
12 जून 2025 को जारी एक आधिकारिक नोटिसमें बताया गया कि अब सभी अस्पतालों, ख़ासकर सरकारी अस्पतालों को ये सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे के जन्म के बाद मां को अस्पताल से छुट्टी देने से पहले ही जन्म प्रमाण पत्र दे दिया जाए.
यह निर्देश इसलिए जारी किया गया है क्योंकि बीते समय में जन्म प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में कई अनियमितताएं सामने आई थीं.
इससे पहले भी रजिस्ट्रार कार्यालय ने सरकारी और निजी अस्पतालों को चेतावनी दी थी कि वे क़ानून का पालन नहीं कर रहे हैं. 12 जून के नए निर्देश में ये साफ़ किया गया है कि जन्म के तुरंत बाद ही मां को प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा.
क्या बदलाव किया गया है?भारत में जन्म प्रमाण पत्र, जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रेशन (आरबीडी) अधिनियम 1969 की धारा 12 के तहत जारी किया जाता है.
इस अधिनियम को 2023 में संशोधित किया गया था.
अब भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने इस प्रक्रिया में बदलाव करते हुए निर्देश दिया है कि बच्चे के जन्म के बाद, जैसे ही उसका पंजीकरण पूरा हो जाए, रजिस्ट्रार को सात दिनों के भीतर इलेक्ट्रॉनिक या दूसरे माध्यम के ज़रिए धारा 8 और 9 के तहत जन्म प्रमाण पत्र जारी करना होगा.
साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे की मां को अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही प्रमाण पत्र सौंप दिया जाए.
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भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने एक नोटिस जारी कर बताया है कि जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया में बदलाव आम लोगों की सुविधा के लिए किए गए हैं.
नोटिस में कहा गया है कि रजिस्ट्रार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे अस्पताल में बच्चे का जन्म होते ही उसका पंजीकरण करें और तुरंत जन्म प्रमाण पत्र जारी करें, ताकि मां को अस्पताल से छुट्टी से पहले यह प्रमाण पत्र मिल सके.
इससे आम लोगों को सुविधा होगी और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के प्रति भरोसा भी बढ़ेगा.
नोटिस में आगे लिखा गया है, "आप यह सराहना करेंगे कि पंजीकरण प्रक्रिया को आम लोगों के लिए आसान बनाने के प्रयास में इस कार्यालय ने कई अहम क़दम उठाए हैं. इनमें 1969 के जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में संशोधन, राज्य नियमों में बदलाव और एक नया केंद्रीय सीआरएस पोर्टल बनाना शामिल है."
"जन्म प्रमाण पत्र के बढ़ते महत्व को देखते हुए यह आवश्यक है कि यह दस्तावेज़ नवजात की मां को अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही सौंपा जाए, ख़ास तौर से उन सरकारी अस्पतालों में जहां देश के 50% से अधिक संस्थागत जन्म होते हैं."
यह कैसे काम करेगा?यह निर्देश देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जारी किया गया है, जिसमें सभी सरकारी और निजी अस्पताल शामिल हैं.
नोटिस में कहा गया है कि सरकारी अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहले से ही पंजीकरण इकाइयों के रूप में कार्य कर रहे हैं.
अब इन इकाइयों के रजिस्ट्रार को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित और जागरूक किया जाएगा कि जन्म प्रमाण पत्र जल्द से जल्द जारी किया जाए, क्योंकि हाल के वर्षों में इसकी आवश्यकता और मांग तेज़ी से बढ़ी है.
पहले क्या थी प्रक्रिया?रजिस्ट्रार द्वारा जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम 1969 की धारा 12 में 2023 में संशोधन किया गया.
इसके बाद 1 अक्टूबर 2023 से सभी संस्थागत जन्मों को एक केंद्रीय सरकारी पोर्टल पर पंजीकृत करने का प्रावधान लागू हुआ.
इस संशोधन से पहले हर राज्य अपने स्तर पर डेटा तैयार करता था और फिर उसे गृह मंत्रालय के साथ साझा करता था. लेकिन अब सभी डेटा सीधे केंद्रीय पोर्टल पर दर्ज किया जाता है.
इस केंद्रीकृत डेटा का उपयोग वोटर लिस्ट, राशन कार्ड और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर जैसे अन्य सरकारी रिकॉर्ड को सटीक बनाए रखने के लिए किया जाता है.
क्यों पड़ी इसकी ज़रूरत?यह निर्देश इसलिए जारी किया गया क्योंकि भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने पाया कि कई सरकारी और निजी अस्पताल जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ी क़ानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रहे हैं.
रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा 17 मार्च को जारी एक नोटिस में बताया गया था कि लगभग 10% जन्म पंजीकृत नहीं हो रहे थे.
साथ ही, अस्पतालों को 21 दिनों के भीतर जन्म और मृत्यु से संबंधित डेटा साझा करने के लिए आगाह भी किया गया था.
इसके अलावा, नोटिस में यह भी कहा गया कि इस क़दम का उद्देश्य लोगों को सुविधा देना और इस पंजीकरण प्रणाली पर आम जनता का भरोसा बढ़ाना है.
साथ ही, वे बिना अतिरिक्त भागदौड़ के अपने नवजात का जन्म प्रमाण पत्र समय पर प्राप्त कर सकें.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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