उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक, कुंभ भगदड़ में 37 लोगों की मौत हुई.
लेकिन बीबीसी की गहन पड़ताल में पता चला है कि प्रयागराज के कुंभ में भगदड़ की घटनाओं में कम-से-कम 82 लोगों की मौत हुई थी.
महाकुंभ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के मुताबिक, "...37 में 35 मृतकों के आश्रितों के बैंक खातों में 25-25 लाख की मुआवज़ा राशि हस्तांतरित की जा चुकी है. एक मृतक की पहचान नहीं होने और एक मृतक के लावारिस होने के कारण मुआवज़ा राशि नहीं दी जा सकी है."
हालांकि अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने भगदड़ में मारे गए लोगों की आधिकारिक सूची प्रकाशित नहीं की है. ना ही ये जानकारी सार्वजनिक की है कि किन परिवारों को 25-25 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया गया.
कम-से-कम 26 परिवारों को मिला 5-5 लाख कैश
में बीबीसी को कम से कम 26 ऐसे परिवार मिले, जिन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से उन्हें पांच-पांच लाख रुपए कैश मिले हैं.
ये परिवार, उन परिवारों से अलग हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 25-25 लाख रुपए का मुआवज़ा मिला है.
पड़ताल में सामने आया कि उत्तर प्रदेश में 18, बिहार में 5, पश्चिम बंगाल में 2 और झारखंड में 1 मृतक के परिवार को पांच-पांच लाख रुपए कैश के बंडल दिए गए.
कैश के बंडल दिए जाने के मामले में बीबीसी ने सरकार का पक्ष जानने के लिए कई बार प्रदेश पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी भी स्तर से कोई जवाब नहीं मिला.
दिनेश पटेल, उत्तर प्रदेश में बलिया ज़िले के रहने वाले हैं. कुंभ भगदड़ में उनकी पत्नी रीना पटेल और बेटी रोशनी की मौत हो गई थी.
परिवार में दो मृतक होने की वजह से दिनेश पटेल को 10 लाख रुपए कैश मिले हैं. ऐसा ही कुछ जौनपुर में धर्मराज राजभर और देवरिया के ठाकुर कुशवाहा के साथ भी हुआ.
धर्मराज राजभर की पत्नी रमपत्ति देवी और बहू रीता देवी की कुंभ भगदड़ में मौत हुई थी.
इसी तरह ठाकुर कुशवाहा की पत्नी- संकेशा देवी और बेटी लाली की कुंभ भगदड़ में मौत गई थी.
बीबीसी की पूरी पड़ताल यहां पढ़ें-
कुंभ भगदड़: सरकार ने कहा 37 लोगों की मौत, बीबीसी पड़ताल में कम-से-कम 82 मौतों की पुष्टि
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सभी 26 मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस के शामिल होने की बात परिजनों ने कही है. ज्यादातर मामलों में फोटो और वीडियो परिजनों के पास हैं.
बीबीसी को इन परिवारों से ऐसे कई वीडियो और फोटो मिले हैं, जिनमें पुलिस टीमें 500 रुपए के नोटों का बंडल देते हुए दिख रही हैं.
25 मार्च को कुछ लोग पांच लाख रुपए लेकर बिहार के गोपालगंज में तारा देवी के घर पहुंचे थे. तारा देवी की मौत कुंभ भगदड़ में हुई थी. परिवार का कहना है, "सादे कपड़ों में पुलिस के लोग आए थे."
परिवार को पांच लाख रुपए देने के बाद बकायदा इन लोगों ने एक वीडियो बनाया. इस वीडियो में मृतक तारा देवी के बेटे धनंजय कुमार बोलते हुए सुने जा सकते हैं-
"मैं धनंजय कुमार, मेरी माता तारा देवी, हम कुंभ मेले में गए थे नहाने के लिए. मेरी मां की मृत्यु हो गई. यहां पर साहब लोग आए थे. यूपी के साहब हैं. पांच लाख रुपए हमें दिए. हमने प्राप्त किए हैं."
ऐसी ही तस्वीर पश्चिम बंगाल के पश्चिमी बर्धमान से सामने आई. करीब एक हजार किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश पुलिस पांच लाख रुपए कैश लेकर मृतक विनोद रुइदास के घर पहुंची.
पुलिस ने पांच लाख रुपए परिवार को देते हुए तस्वीर भी ली. विनोद रुइदास के रिश्तेदार विष्णु ने बताया, "यूपी सरकार से तीन ऑफिसर और एक ड्राइवर आया था. चार लोग थे. दीदी के हाथ में पांच लाख रुपए कैश देकर गए हैं."
देवरिया के ठाकुर कुशवाहा, बलरामपुर के शिवप्रसाद पांडे और अन्य मृतकों के परिवारों ने भी ऐसे वीडियो हमारे साथ साझा किए हैं, जहां यूपी पुलिस परिवार को पांच-पांच लाख रुपए कैश दे रही है.
कई परिवारों का ये भी कहना है कि यूपी पुलिस, सादे कपड़ों में पांच लाख रुपए कैश देने घर आई थी.
बिहार में औरंगाबाद की रहने वाली रंजना कुमारी ने बताया, "26 मार्च को दो पुलिसवाले घर आए थे. उन्होंने एक काग़ज़ पर साइन करवाए. उन्होंने उंगली से इशारा कर बताया कि हम आपको पांच लाख रुपए दे रहे हैं. उसमें 500-500 के नोट थे."
रंजना की बेटी सोनम कुमारी की कुंभ भगदड़ में मौत हो गई थी.
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पांच लाख रुपए कैश पाने वाले ज्यादातर परिवारों ने बीबीसी को बताया कि उनकी मर्जी के ख़िलाफ़ उनसे ऐसे कागज़ों पर हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान लगवाए गए जिनमें 'अचानक तबीयत बिगड़ जाने' के बाद मौत होने की बात लिखी हुई थी.
बलिया के एक पीड़ित परिवार का कहना है, "मुझे पैसे देने के बाद कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए. मुझे ना तो उस कागज की फोटो लेने दी और ना ही उसकी कोई कॉपी दी."
बिहार में गोपालगंज की तारा देवी, औरंगाबाद की सोनम कुमारी और जौनपुर की रमपत्ति देवी के परिजनों सहित, अनेक परिजनों ने बीबीसी को बताया, "पुलिस ने पांच लाख रुपए कैश देते वक्त ये भी कहा कि ये पहली किस्त है, धीरे-धीरे पांच लाख रुपए की चार किस्त और आएंगी."
इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक किसी परिवार को मुआवज़े की दूसरी किस्त मिलने की पुष्टि नहीं हुई है.
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जब उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी बिहार के कैमूर में मृतक सुनैना देवी के घर पहुंचे, तो उन्होंने ऐसे कागजों पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया.
बीबीसी से मई महीने में हुई बातचीत में सुनैना देवी के बेटे नितम पटेल ने बताया था, "पुलिस वाले कई बार घर पर पांच लाख रुपये लेकर आए, लेकिन हमने मना कर दिया, क्योंकि सरकार ने 25 लाख रुपए मुआवज़ा देने की घोषणा की थी."
सुनैना देवी के परिजनों ने मुआवज़े की रकम को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी लगाई हुई है.
परिवार के पास घटनास्थल की एक तस्वीर भी है. परिवार का कहना है कि इस तस्वीर में सुनैना देवी कई लाशों के बीच मृत अवस्था में पड़ी देखी जा सकती हैं.
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मृतकों को जो पांच लाख रुपए कैश दिए गए, उसमें सभी नोट पांच सौ रुपए के थे. 50-50 हजार रुपए की 10 गड्डियों का एक बंडल बनाकर पीड़ित परिवारों को दिया गया.
बीबीसी को अपनी पड़ताल में कहीं भी इस बात के कोई संकेत नहीं मिले कि पाँच-पाँच सौ रुपए के नोटों के बंडल सरकारी ख़ज़ाने से विधिक तरीक़े से दिए गए थे.
पड़ताल में यह पता नहीं लग सका कि 26 परिवारों को दिए गए कुल एक करोड़ 30 लाख रुपए कहां और किस मद से आए?
लेकिन सभी 26 मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस के शामिल होने की बात परिजनों ने बीबीसी से कही है.
बीबीसी ने सरकार का पक्ष जानने के लिए कई अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला.
उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक विशाल सिंह और प्रयागराज के ज़िलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ से भी कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.
हालांकि लखनऊ में बुधवार, 11 जून को एक संवाददाता सम्मेलन में जब उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से एक पत्रकार ने बीबीसी की पड़ताल के बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि...आप कोई समाचार चला दें और मैं इसका जवाब दूं, वो नहीं है. लेकिन अगर कुंभ की दुखद दुर्घटना में किसी परिवार ने अपने सदस्य को खोया है, उसका हमने पहले भी दुख ज़ाहिर किया था, आज भी दुख ज़ाहिर करते हैं. इन परिवारों से हमारी संवेदना है, सरकार साथ है."
पड़ताल में सामने आया कि योगी सरकार ने 25-25 लाख रुपए का मुआवज़ा तो मृतकों के परिजनों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) और चेक के जरिए दिया, लेकिन कम से कम 26 लोगों को पांच-पांच लाख रुपए कैश दिए.
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब सरकार के एक-एक रुपए का हिसाब रखा जाता है, ऐसे में इतनी बड़ी नकद रकम कहां से आई और जब लोगों को दी गई तो उसका हिसाब कहां दर्ज किया गया. इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिला है.
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- https://www.bbc.com/hindi/india-46874857

बीबीसी को संगम नोज़ पर हुई भगदड़ के कुछ घंटे बाद मेला अस्पताल में बनाया गया एक वीडियो मिला. इस वीडियो में जमीन पर रखे 18 शव दिख रहे हैं.
पड़ताल के दौरान पांच परिवारों ने इस वीडियो को देखकर अपने परिजन के शव की पहचान की. इनमें एक शव झारखंड के शिवराज गुप्ता का भी है.
शिवराज के बगल में हरियाणा की देवी, प्रयागराज की रीना यादव, असम के नीतिरंजन पॉल और जौनपुर की मनित्रा देवी का शव रखा है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने रामपत्ति देवी, रीना यादव, नीतिरंजन पॉल और मनित्रा देवी की मौत को तो कुंभ भगदड़ में मानते हुए 25 लाख का मुआवज़ा दिया, लेकिन शिवराज गुप्ता के साथ ऐसा नहीं हुआ.
शिवराज गुप्ता के बेटे शिवम गुप्ता का कहना है, "21 मार्च को यूपी पुलिस के एक अधिकारी पांच लाख रुपए कैश लेकर उनके घर पहुंचे."
पड़ताल में सामने आया आया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जिन मृतकों के परिवारों को 25 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया है, उनमें से ज्यादातर मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र में, मृत्यु का स्थान- वार्ड नंबर 7, फोर्ट कैंट, प्रयागराज लिखा है.
वहीं 5 लाख रुपए कैश पाने वाले मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र में, सेक्टर-20 या सेक्टर 21 झूसी, प्रयागराज लिखा है.
शिवराज गुप्ता के परिवार को जो मृत्यु प्रमाण पत्र मिला है, उस पर मृत्यु का स्थान- वार्ड नंबर 7, फोर्ट कैंट, प्रयागराज लिखा है, लेकिन उनके परिवार को 25 लाख रुपए का मुआवज़ा नहीं दिया गया.
इसी तरह 29 जनवरी को कुंभ मेला क्षेत्र में सेक्टर 18 के अंदर सुबह करीब आठ बजे एक बड़ी भगदड़ हुई. मृतकों के परिवारों का कहना है कि कल्पवृक्ष द्वार के पास मुक्ति मार्ग चौराहे पर हुई इस भगदड़ में कई लोग मारे गए.
बीबीसी ने अपनी पड़ताल में इस भगदड़ में मारे गए पांच मृतकों की पहचान की. परिवारों का कहना है कि वे अपनों के शव लेकर सुबह से शाम चार बजे तक घटनास्थल पर बैठे रहे.
पड़ताल में सामने आया कि यहां मारे गए पांच में से तीन मृतकों के परिवारों को तो यूपी सरकार ने पांच लाख रुपए कैश दिए लेकिन दो परिवारों तक पांच लाख रुपए भी नहीं पहुंचे.
कुंभ भगदड़: बीबीसी ने कैसे की पड़ताल?देशभर में 11 राज्यों के 50 से अधिक ज़िलों में की गई इस पड़ताल में बीबीसी ने 100 से अधिक ऐसे परिवारों से मुलाक़ात की जिनका कहना था कि उनके अपनों की मौत कुंभ भगदड़ में हुई है.
बीबीसी के पास इस बात के पुख़्ता सबूत हैं कि कम-से-कम 82 लोग कुंभ भगदड़ में मारे गए, जो परिवार अपनी बात साबित करने के लिए पुख़्ता सबूत नहीं दे सके, उन्हें बीबीसी ने 82 मृतकों की सूची में शामिल नहीं किया है.
बीबीसी ने ज़िला स्तर से लेकर उच्च स्तर तक प्रशासन और पुलिस के कई अधिकारियों से कई बार संपर्क करने की कोशिश की ताकि उनका पक्ष इस रिपोर्ट में शामिल किया जा सके. फ़ोन, व्हाट्सऐप और ईमेल के ज़रिए किए गए अनेक प्रयासों के बाद भी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.
कुंभ भगदड़ में हुई 82 मौतों को बीबीसी ने मौटे तौर पर तीन श्रेणियों में बांटा है. बीबीसी पड़ताल में पहली कैटेगरी उन मृतकों की है, जिनके परिजनों को 25-25 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया गया.
दूसरी कैटेगरी उन मृतकों की है जिनके परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए कैश दिए गए, लेकिन इन लोगों को कुंभ में मारे गए लोगों में नहीं गिना गया है.
वहीं तीसरी कैटेगरी में ऐसे मृतकों को रखा गया है जिनके परिजनों को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है.
बीबीसी की पूरी पड़ताल यहां पढ़ें-
कुंभ भगदड़: सरकार ने कहा 37 लोगों की मौत, बीबीसी पड़ताल में कम-से-कम 82 मौतों की पुष्टि
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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