संसद के मॉनसून सत्र में सोमवार को लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा शुरू हुई. पहले दिन इस चर्चा की शुरुआत देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की.
इस दौरान देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर से लेकर कई विपक्षी नेताओं ने अपनी बात कही.
कई ऐसे मौक़े भी आए जब कभी सत्ता पक्ष और कभी विपक्ष की ओर से मेज़ें थपथपाई गईं. और दोनों ओर से वार-पलटवार दिखा.
चर्चा की शुरुआत करते हुए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने 2006 के संसद हमले से लेकर 2008 के मुंबई हमले देखे हैं.
उन्होंने कहा, ''अब हमने कहा कि बस अब काफ़ी हो गया और अब हमने 'सुदर्शन' चक्र उठा लिया.''
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अब आतंकवाद के ख़िलाफ़ दृढ़ और सशक्त क़दम उठा रहा है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन जो अशांति फैलाते हैं, उनके ख़िलाफ़ कड़ा क़दम उठाने में भी हम पीछे नहीं हटेंगे.
उन्होंने कहा, ''अगर हम शांति के लिए हाथ बढ़ाना जानते हैं तो अशांति फैलाने वालों के हाथ भी उखाड़ना जानते हैं. दुष्टों के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए.''
राजनाथ सिंह ने कहा, ''पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो दोहरे मापदंड और झूठ पर टिका है. अब वह एक फेल्ड स्टेट की तरह नज़र आ रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए भारत ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने का हमारा संकल्प अडिग है.''
लेकिन चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों के सवालों और टोका-टाकी से संसद का माहौल गर्म हो गया है. दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया.
- 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बहस: '22 अप्रैल से 17 जून तक पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई'
- भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर ट्रंप का नया दावा- 'पांच लड़ाकू विमान मार गिराए गए थे'
- क्वाड देशों के बयान में पहलगाम हमले की निंदा, लेकिन पाकिस्तान पर चुप्पी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर जब बोलने उठे तो कांग्रेस सांसदों ने शोर मचाना शुरू किया.
इस दौरान जयशंकर ने कहा, "पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, करारा, साहस भरा संदेश देना अहम था. हमारी रेड लाइन को पार किया गया था और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर नतीजे होंगे.''
लेकिन जब विदेश मंत्री के बयान के दौरान विपक्षी सांसदों ने टोका-टाकी शुरू की तो गृह मंत्री अमित शाह अपना आपा खो बैठे.
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ''मेरी एक बात पर आपत्ति है. भारत देश का शपथ लिया हुआ विदेश मंत्री यहां स्टेटमेंट दे रहा है, उस पर भरोसा नहीं है. उनको किसी और देश पर भरोसा है. मैं समझ सकता हूं उनकी पार्टी में विदेश का महत्व क्या है. लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि पार्टी की सारी चीज़ें यहां सदन में आकर थोपें. भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं करोगे. शपथ लिया हुआ व्यक्ति यहां बोल रहा है. वह ज़िम्मेदार हैं, इसलिए वह (कांग्रेस) वहां (विपक्ष में) बैठे हैं और 20 साल तक वहां बैठे रहेंगे.''
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ''संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी हमले की निंदा की. पाकिस्तान ने टीआरएफ का बचाव किया. सात मई की सुबह मैसेज दिया गया और पाकिस्तान को सबक सिखाया गया. हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. हमने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया.अपने नागरिकों की रक्षा करना भारत का अधिकार है और भारत अब परमाणु ब्लैकमेलिंग नहीं सहेगा."
उन्होंने कहा, ''भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मध्यस्थ नहीं था. सीज़फ़ायर की पहल पाकिस्तान की ओर से हुई. पाकिस्तान ने सीज़फ़ायर की गुहार लगाई. क्वॉड देशों ने घटना की निंदा की. अमेरिका से तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण हुआ, ये हमारी डिप्लोमेसी है. फ्रांस, जर्मनी और यूरोपीयन यूनियन ने एक स्टैंड लिया, ये हमारी डिप्लोमेसी है.''
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया है कि उन्होंने पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करके सैन्य संघर्ष रुकवा दिया था.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को चरमपंथियों ने हमला कर 26 लोगों को मार दिया था. इनमें से 25 पर्यटक और एक स्थानीय युवक था.
भारत ने इसके बाद 6-7 मई 2025 की रात 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था. इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान में चरमपंथियों के ठिकानों पर हमले किए थे. इसके बाद पाकिस्तान ने भी भारत पर हमले किए थे.
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एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विशेष चर्चा के दौरान सवाल उठाया कि जब पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने कहा था कि "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते" और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कई प्रतिबंध लगाए थे, तो 14 सितंबर को एशिया कप में भारत की क्रिकेट टीम पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कैसे खेलेगी?
उन्होंने कहा, ''जिन इंसानों को बैसरन की वादियों में मारा गया था. पाकिस्तान से ट्रेड बंद है. वहां के प्लेन यहां नहीं आ सकते. जल क्षेत्र में जहाज़ नहीं आ सकता है. आपका ज़मीर ज़िंदा क्यों नहीं है. किस सूरत से आप पाकिस्तान से क्रिकेट खेलेंगे.''

ओवैसी ने यह भी कहा कि उनका अपना ज़मीर भारत और पाकिस्तान के बीच वह क्रिकेट मैच देखने की इजाज़त नहीं देता.
उन्होंने कहा, ''जब हम पानी नहीं दे रहे हैं. अस्सी फ़ीसदी पानी हम पाकिस्तान का ये कह कर रोक रहे हैं कि पानी और ख़ून साथ नहींं बहेगा. आप क्रिकेट मैच खेलेंगे. मैडम मेरा ज़मीर तो गवारा नहीं करता कि मैं उस मैच को देखूंगा.''
ओवैसी ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या उसमें इतना साहस है कि वह पहलगाम हमले में मारे गए जवानों के परिवारों को फोन कर यह कह सके कि ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए बदला ले लिया गया है, और अब वे भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देख सकते हैं?
ओवैसी ने कहा, "सरकार बताए कि इस आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी किसकी है? अगर यह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) की ज़िम्मेदारी है, तो उन्हें बर्खास्त किया जाए अगर ख़ुफ़िया एजेंसी या पुलिस की लापरवाही है, तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए. ज़िम्मेदारी तो तय करनी ही होगी."
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लोकसभा में सोमवार को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने विदेश नीति पर सवाल उठाए.
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को लेकर भी सवाल पूछे कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फ़ायर कराया.
कांग्रेस सांसद ने कहा, ''हमारी सरकार के समय जब आंख दिखाने की बारी आई, तब हमने अमेरिका को आंख भी दिखाई और हाथ मिलाने की बारी आई तो हाथ भी मिलाया.''
''मुंबई हमले के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद के सेफ हैवन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. क्या संघ की विदेश नीति भी बदल गई है?''
''आप यही तय नहीं कर पा रहे हो कि अमेरिका से हाथ मिलाना है या आंख दिखाना है. या तो डोनाल्ड का मुंह बंद कराओ या भारत में मैकडॉनल्ड्स बंद कराओ. भारत एक महाशक्ति है. अमेरिका को भी यह पता चलना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान को एक तराज़ू पर नहीं तौल सकते.''
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, ''अमेरिका को भी चुनना होगा कि उसे भारत के साथ कैसे संबंध चाहिए. जब तुर्की ने पाकिस्तान की मदद की तो पीएम साइप्रस गए. अच्छा संदेश गया. लेकिन असली दुश्मन चीन को संदेश देना था, तो ताइवान चले जाते. विदेश मंत्री बीजिंग चले गए और कहा कि हमारे संबंधों में सुधार हो रहा है.''
उन्होंने अग्निवीर स्कीम और रक्षा बजट में कटौती का ज़िक्र करते हुए सरकार को घेरा.
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, ''यूपीए के समय भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमानों के 41 स्क्वॉड्रन मंज़ूर हुए थे. आज धरातल पर 31 स्क्वॉड्रन हैं. हमारी फौज को आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया जाए, रक्षा बजट बढ़ाया जाए. आज तीन फ्रंट की बात चल रही है. इसलिए सरकार को देश की फौज को मज़बूत करने पर ध्यान देना चाहिए.''
संसद में मानसून सत्र में भाग लेने के बाद राहुल गांधी ने बीते बुधवार को कहा था, ''ट्रंप 25 बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान में सीज़फ़ायर कराया. वह कौन हैं? यह उनका काम नहीं है. भारत के प्रधानमंत्री पूरी तरह से चुप हैं.''
"उन्होंने एक बार भी ट्रंप के दावों का जवाब नहीं दिया. प्रधानमंत्री क्या बोलेंगे. कैसे बताएंगे कि ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ समझौता करवाया है?"
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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