Next Story
Newszop

ईरान और इसराइल संघर्ष में फंसे भारतीय, धमाकों और धुएं के बीच जान बचाने की जद्दोजहद

Send Push
Getty Images शुक्रवार से ही इसराइल ईरान की राजधानी तेहरान पर हवाई हमला कर रहा है

38 वर्षीय हफ़सल ई मुल्लन जब फ़ोन पर बात करते हैं तो ऐसा लगता वह सुबह की जॉगिंग के दौरान हांफ रहे हो. लेकिन उनका कहना है कि वह ईरान की राजधानी तेहरान से बहुत दूर शांत शहर यज़्द में एक सुरक्षित घर में हैं.

तेहरान में सोमवार तड़के मिसाइलों के हमले, इमारतों से उठता धुआं और होटल से मेट्रो स्टेशन की शरण में भागना, यह सब 48 घंटे बीत जाने के बाद भी उनके लिए अब भी सदमे जैसा है.

बीबीसी हिंदी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "ये बेहद भयावह था, लेकिन हमारे कारोबारी सहयोगियों के परिवार ने हमसे कहा कि हम उनकी तीन गाड़ियों में से एक में बैठ जाएं. हम तेहरान से यज़्द तक 10 घंटे चले. रास्ते भर दोनों ओर धुआं उठता दिखा."

हफसल और उनके सहयोगी 47 साल के मोहम्मद थेन्गाकूडान केरल के मलप्पुरम ज़िले से हैं.

बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

दोनों दुबई की एक ट्रेडिंग कंपनी के लिए काम करते हैं और तेल-गैस सेक्टर के लिए इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक पुर्ज़े बनाने वाले एक कारखाने का दौरा करने तेहरान पहुंचे थे.

हफ़सल की यह तेहरान की तीसरी यात्रा थी लेकिन इस बार वे ईरान-इसराइल युद्ध में फंस गए.

  • ईरान-इसराइल जंग और भड़की तो चीन क्या कर सकता है?
  • ख़ामेनेई ने ट्रंप की बमबारी की धमकी का ये दिया जवाब
स्थानीय परिवार ने की मदद image Getty Images मंगलवार को इसराइल ने ईरान की राजधानी तेहरान में एक आयल रिफ़ाइनरी पर हमला किया

शेल्टर के लिए अंडरग्राउंड मेट्रो में जाने से पहले हफ़सल सबसे पहले अपने होटल से भारतीय दूतावास पहुंचे थे लेकिन वहां एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था, 'क्लोज़्ड.'

उन्होंने बताया, "दूतावास नई जगह पर शिफ़्ट हो चुका था. जब हमने संपर्क किया तो कहा गया कि जहां हो, वहीं रहो. लेकिन जिस परिवार ने हमें निकाला, उसने कहा कि हालात बहुत ख़राब हो रहे हैं साथ चलो."

वो कहते हैं, "शुक्रवार से ही फ़ायरिंग शुरू हो गई थी. दूतावास इंस्टाग्राम और एक्स के ज़रिए संपर्क बनाए रखने को कहता रहा, लेकिन इंटरनेट ही नहीं था तो कैसे पोस्ट देखें? उन्होंने कहा कि बाहर निकालने की कोई योजना नहीं है. ऐसे में जब उस परिवार ने हमें कार में दो सीटें ऑफर कीं, तो हम तैयार हो गए."

हफ़सल कहते हैं, "यज़्द में हालात शांत हैं. परिवार ने हमें ऐसी जगह रखा है जहां एसी है जबकि वो खुद बिना एसी वाले कमरों में रह रहे हैं. लेकिन अभी तक दूतावास से कोई स्पष्ट गाइडेंस नहीं मिली है कि देश से बाहर कैसे निकलें."

  • आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई: जेल की कोठरी से ईरान के सर्वोच्च नेता तक का सफ़र
  • ईरान में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स वहां क्या पढ़ने जाते हैं?
कर्नाटक के छात्रों का अनुभव image Getty Images रविवार को भी इसराइल ने तेहरान में कई जगह हवाई हमला किया

लेकिन तेहरान में मेडिसिन और धार्मिक पढ़ाई करने वाले कर्नाटक के छात्रों का अनुभव बिल्कुल अलग रहा.

एक बड़ा घर तबाह हो गया जिसमें लगभग 60 लोग रह रहे थे. इसमें क़रीब 25 लोगों की मौत हो गई.

यह घटना भारतीय छात्रों के हॉस्टल के बगल में हुई, जहां कश्मीर और कर्नाटक (गौरीबिदनूर, चिक्कबल्लापुर) से आने वाले स्टूडेंट्स रह रहे थे.

सैयद मोहम्मद तकी के पिता मीर रज़ा आगा ने बीबीसी हिंदी से कहा, "हमारे बच्चे जितने डरे हुए थे, हम भी उतने ही डरे हुए थे. घटना रविवार रात की है. भारतीय दूतावास के कर्मचारी तुरंत स्थानीय पुलिस के साथ हॉस्टल पहुंचे और सभी को तेहरान से निकालकर क़ोम भेजा, जो वहां से 200 किमी दूर है."

गौरीबिदनूर के सभी छात्र शहीद बेहेश्ती मेडिकल यूनिवर्सिटी या धार्मिक शिक्षा संस्थानों में पढ़ते हैं.

उन्होंने बताया, "मेरे बेटे की तीन परीक्षाएं हो चुकी थीं और नौ बाकी थीं. रविवार को परीक्षा थी लेकिन टाल दी गई और कॉलेज ने छात्रों से कहा कि पहले अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करें."

चौथे साल की मेडिकल छात्रा फ़रीहा मेहदी की मां शबाना ने बताया, "मेरी बेटी को दूतावास ने बाकी छात्रों के साथ हॉस्टल से निकाल लिया है और वो फिलहाल तेहरान से 300 किमी दूर हैं. सटीक जगह नहीं पता लेकिन उन्हें कहा गया है कि उन्हें आर्मीनिया ले जाया जा रहा है ताकि वे वहां से भारत लौट सकें."

  • हवाई ताक़त, ख़ुफ़िया एजेंट और अमेरिकी हथियारः इसराइल ने ईरान तक ऐसे बनाई अपनी पहुंच
  • ईरान में ख़ौफ़, सदमा और भ्रम, इसराइली हमलों के बाद क्या कह रहे हैं लोग?
इसराइल में क्या हाल हैं? image Getty Images ईरान ने इसराइल के तेल अवीव के एक रिहायशी इलाक़े को निशाना बनाया

जहां ईरान में भारतीय छात्रों और कारोबारियों की ज़िंदगी दहशत में है वहीं इसराइल के तेल अवीव में हालात इतने तनावपूर्ण नहीं हैं.

तेल अवीव में केयरगिवर का काम करने वाले बीजू पुल्लन ने बीबीसी हिंदी से कहा, "यहां सब ठीक है. हम सभी सुरक्षित हैं. जब भी सायरन बजता है सब लोग बंकर में चले जाते हैं. लेकिन मैं और मेरा एम्प्लॉयर घर में ही रहते हैं."

उन्होंने कहा, "यह अब हमारी आदत बन चुकी है. हां डर तो रहता है ख़ासकर तेल अवीव में, लेकिन चिंता की कोई बड़ी बात नहीं है."

केयरगिवर्स वे होते हैं जो बुज़ुर्गों और बीमारों की देखभाल का प्रशिक्षण लेकर इसराइल में काम करते हैं.

बीजू ने कहा, "हमारे मकान में एक लिफ़्ट है लेकिन मेरा एम्प्लॉयर भी बंकर में नहीं जाता और मैं भी नहीं जाता."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

  • ईरान का परमाणु कार्यक्रम कितना बड़ा है और इसराइल के निशाने पर रहा नतांज़ क्यों ख़ास है?
  • तेहरान छोड़ते वो ईरानी लोग जो शेयर कर रहे हैं अपने घर की 'आख़िरी तस्वीरें'
  • इसराइल के हाइफ़ा को क्यों निशाना बना रहा है ईरान, इस शहर का भारत कनेक्शन भी है
image
Loving Newspoint? Download the app now