वजन कम करने की बात हो और नींबू पानी का नाम न लिया जाए, ऐसा शायद ही हो। सुबह-सुबह गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर पीना पुराने समय से वजन घटाने का एक लोकप्रिय उपाय रहा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ नींबू पानी से पेट की चर्बी कम हो जाती है? विशेषज्ञों की मानें तो जवाब है—”नहीं पूरी तरह से।”
नींबू पानी शरीर को डिटॉक्स करने में जरूर मदद करता है, लेकिन अगर पेट की जिद्दी चर्बी से छुटकारा चाहिए, तो इसके साथ कुछ और चीजें मिलानी होंगी। ये तीन घरेलू, सस्ती और प्राकृतिक चीजें आपके नींबू पानी को एक सुपरफैट बर्निंग ड्रिंक में बदल सकती हैं।
1. शहद (Honey): मीठा, मगर असरदार
नींबू पानी में शहद मिलाने से उसका स्वाद बेहतर होता है ही, साथ ही ये शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेजी से बढ़ाता है। शहद में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स फैट सेल्स को तोड़ने में मदद करते हैं।
कैसे इस्तेमाल करें:
गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़ें और 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं।
2. दालचीनी (Cinnamon): चर्बी की दुश्मन
दालचीनी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए जानी जाती है। लेकिन इसका एक और कमाल का फायदा है—फैट बर्निंग। ये आपके शरीर में जमा अतिरिक्त फैट को घोलने का काम करती है, खासकर पेट के आसपास।
कैसे इस्तेमाल करें:
रातभर एक चुटकी दालचीनी को पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को गुनगुना करके उसमें नींबू का रस मिलाएं और पी लें।
3. अदरक का रस (Ginger Juice): मेटाबॉलिज्म का बूस्टर
अदरक में थर्मोजेनिक गुण होते हैं जो शरीर की गर्मी बढ़ाते हैं और मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं। इससे फैट तेजी से बर्न होता है और डाइजेशन भी सुधरता है।
कैसे इस्तेमाल करें:
नींबू पानी में आधा चम्मच अदरक का रस मिलाएं। चाहें तो थोड़ी हल्की मात्रा में काली मिर्च भी डाल सकते हैं जिससे असर और बढ़ जाएगा।
क्यों जरूरी है ये कॉम्बिनेशन?
नींबू शरीर को डिटॉक्स करता है, शहद मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है, दालचीनी फैट को ब्रेक करती है और अदरक मेटाबॉलिज्म को थर्मल किक देती है। ये चारों मिलकर शरीर में जमा जिद्दी पेट की चर्बी को तेजी से घटाने में मददगार हो सकते हैं।
हालांकि, ये कोई जादुई उपाय नहीं है। इसके साथ संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद भी जरूरी है।
विशेषज्ञों की सलाह
पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के घरेलू पेय शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते, बशर्ते इन्हें संतुलित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह से अपनाया जाए—खासकर यदि आपको गैस्ट्रिक, हाइपर एसिडिटी या लो बीपी जैसी समस्याएं हैं।
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