14 फरवरी 2019- एक तारीख जो आज भी देश की भावनाओं में दर्ज है. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले में 40 वीर CRPF जवानों की शहादत ने पूरे भारत को हिला कर रख दिया. इस दर्द की गूंज ने जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को भी धीमा कर दिया था. जिस कश्मीर को लोग 'धरती का स्वर्ग' कहते हैं, वहां अचानक पर्यटकों के कदम थम थे. होटलों की बुकिंग्स कैंसिल हुईं, हाउसबोट खाली हुए, टूर गाइड्स बेरोजगार हुए और लोकल मार्केट्स में सन्नाटा पसरा. घरों की खिड़कियां बंद रहीं, दुकानों के शटर भी गिरे रहे. इससे छोटे व्यापारियों को घाटा हुआ, सप्लाई चेन ठप हुए और बेरोजगारी भी बढ़ी. अब बीते दिन पहलगाम में टूरिस्ट पर हुए आतंकी हमले ने पुलवामा आतंकी हमले की याद दिला दी है. आइए विस्तार से जानते हैं उस आतंकी हमले से कैसे जम्मू-कश्मीर की रफ्तार थम गई थी. बिजनेस और बाजार पर पड़ा था असर पूरे देश में थम गया था कारोबार हमले के विरोध में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने एक दिन का 'भारत बंद' बुलाया. इस एक दिन में 7 करोड़ व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे और लगभग ₹25,000 करोड़ का अनुमानित नुकसान हुआ. विदेशी निवेश में आई थी गिरावट हमले के बाद के शुरुआती तीन ट्रेडिंग दिनों में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) ने भारतीय इक्विटी और डेट मार्केट से करीब ₹6,200 करोड़ की निकासी की थी. यह निवेशकों की चिंता और बढ़े हुए जियोग्राफिकल टेंशन को दिखाता है. ई-कॉमर्स बिजनेस पर पड़ा बुरा असरहमले के बाद कश्मीर खासकर पुलवामा जैसे दक्षिणी जिलों में ऑनलाइन शॉपिंग और कोरियर सर्विस में रुकावट आई. कैश ऑन डिलीवरी सर्विस बंद कर दी गईं, जिससे वहां के बिजनेस में करीब 50% की गिरावट देखी गई और स्थानीय रोजगार पर भी बुरा असर पड़ा. पर्यटन पर पड़ा था सबसे गहरा असर एक के बाद एक बुकिंग्स कैंसल होने लगींहमले के बाद कश्मीर घूमने के लिए की गई 80% टूर बुकिंग कैसिंल हो गईं, जिससे इस पर्यटन-बेस्ड अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा. पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई2019 की पहली छमाही में कश्मीर में केवल 3.54 लाख पर्यटक आए, जबकि 2016 में यह संख्या 13 लाख थी. इस गिरावट का मुख्य कारण सुरक्षा को लेकर चिंता और ट्रैवल एडवाइजरी रही. इंटरनेशनल ट्रैवल एडवाइजरी जारी हुईंअमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने कश्मीर यात्रा को लेकर सख्त एडवाइजरियां जारी कीं, जिससे विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई. हवाई यात्रा के किराए में जबरदस्त बढ़ोतरीहमले के बाद श्रीनगर के लिए हवाई किराए में अचानक उछाल आया. रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई से श्रीनगर का एकतरफा किराया ₹41,000 तक पहुंच गया, जबकि सामान्यत यह ₹9,000 से ₹12,000 के बीच होता था. यह मांग में तेजी और ऑपरेशनल चुनौतियों का संकेत था. आर्थिक और सामाजिक स्तर पर व्यापक असर पड़ा पर्यटकों की पसंद में बदलाव आयाहमले के बाद कश्मीर को अनस्टेबल एरिया मानते हुए पर्यटकों ने अपने ट्रेवल प्लान बदल दिए और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे ऑप्शन की ओर ज्यादा रुख किया. इससे कश्मीर के उन स्थानीय बिजनेस पर असर पड़ा जो पर्यटन पर निर्भर थे. कश्मीरी लोगों के प्रति भेदभावहमले के बाद देश के अन्य हिस्सों में कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आईं. इससे न केवल सामाजिक अशांति बढ़ी, बल्कि आर्थिक अलगाव की स्थिति भी पैदा हुई. एग्रीकल्चर सेक्टर पर भी असर पड़ापुलवामा को दूध और स्लेट उत्पादन में अग्रणी माना जाता है, वहां हमले के बाद सप्लाई चेन और बाजार तक पहुंच में रुकावट आईं. इससे एग्रीकल्चर से जुड़े परिवारों की आजीविका पर सीधा असर पड़ा. सरकार और स्थानीय लोगों ने भरोसे का माहौल बनायासरकार ने पर्यटन को फिर से जीवित करने और प्रभावित बिजनेस को सपोर्ट करने के लिए प्रचार अभियान और राहत योजनाएं शुरू कीं. वहीं, स्थानीय होटल मालिकों और टूर ऑपरेटर्स ने मिलकर छूट और भरोसे का माहौल बनाकर पर्यटकों को वापस लाने की कोशिश की.
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