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प्रयागराज का गोरा कब्रिस्तान: रहस्यमय कहानियाँ और ऐतिहासिक महत्व

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गोरा कब्रिस्तान का रहस्य

प्रयागराज सिटी से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बैरहना क्षेत्र में गोरा कब्रिस्तान है, जो 168 साल पुराना है। यहाँ 600 से अधिक अंग्रेज़ अफ़सरों की कब्रें हैं। यह कब्रिस्तान अपनी अनोखी डिज़ाइन और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। दिन के समय लोग इसे देखने आते हैं, लेकिन शाम 6 बजे के बाद यहाँ प्रवेश बंद हो जाता है। इसकी सुरक्षा का जिम्मा सरकार ने अपने हाथ में लिया है। इसके बंद होने के पीछे एक डरावनी कहानी भी प्रचलित है।


रूपेश की रहस्यमय मौत

जुलाई 2015 में कीडगंज थाना क्षेत्र के 24 वर्षीय युवक रूपेश की अचानक मृत्यु हो गई। उसके पिता मूलचंद का मानना है कि यह मौत साधारण नहीं थी, बल्कि इसका संबंध गोरा कब्रिस्तान से है। मूलचंद ने बताया कि रूपेश एक शादी से लौटते समय एक नकाबपोश लड़की को लिफ्ट दी थी। लड़की कब्रिस्तान के पास उतरी, और उसके चेहरे को देखने के बाद रूपेश बीमार पड़ गया और 24 घंटे के भीतर उसकी मृत्यु हो गई।


नकाबपोश औरत का आतंक

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस नकाबपोश औरत के अब तक चार लोग शिकार बन चुके हैं, जिनमें से एक की मौत भी हो चुकी है। लोग बताते हैं कि यह औरत रात के समय एक विशेष सड़क पर लिफ्ट मांगती है और जब लोग रुकते हैं, तो अपना चेहरा दिखाती है। इसके बाद लोग बीमार होकर दम तोड़ देते हैं। यह घटना अंधविश्वास या किसी शरारत का विषय बनी हुई है, और पुलिस ने इसकी जांच शुरू की है, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।


गोरा कब्रिस्तान का ऐतिहासिक महत्व

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी के अनुसार, गोरा कब्रिस्तान का निर्माण अंग्रेजों ने बड़े ध्यान से किया था। यहाँ कई वीआईपी अंग्रेजों को महंगे कपड़े और गहनों के साथ दफनाया गया। कब्रों पर महंगी धातुओं के शिलालेख लगे थे, लेकिन आज़ादी के बाद चोरों ने इन शिलापटों को चुरा लिया। प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि 1857 में बने इस कब्रिस्तान में ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की ईसाई कब्र-शैली का मिश्रण देखने को मिलता है, जिसमें गॉथिक शैली की कब्रें प्रमुख हैं।


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