यदि आपके बाल लगातार झड़ रहे हैं या गंजापन बढ़ रहा है, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है! पतंजलि ने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण शोध किया है, जिसके परिणाम बेहद सकारात्मक रहे हैं।
आजकल, बदलती जीवनशैली और असंतुलित आहार के कारण गंजेपन की समस्या आम होती जा रही है। युवा और वयस्क सभी इस समस्या से प्रभावित हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, पतंजलि ने आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित एक शोध किया है, जिसके परिणाम चौंकाने वाले हैं। इस अध्ययन में न केवल बालों के झड़ने की समस्या को नियंत्रित किया गया, बल्कि नए बालों की वृद्धि भी देखी गई।
शोध की प्रक्रिया और परिणाम
पतंजलि की टीम ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के तहत 6 सप्ताह तक कई मरीजों का उपचार किया। ये मरीज पहले से विभिन्न आधुनिक चिकित्सा विधियों का सहारा ले चुके थे, लेकिन उन्हें स्थायी राहत नहीं मिली थी। शोध के अनुसार, यदि सही तरीके से उपचार किया जाए, तो गंजेपन का स्थायी समाधान संभव है।
इस शोध में उन मरीजों को शामिल किया गया था जो सिर और शरीर के अन्य हिस्सों से बाल झड़ने की समस्या का सामना कर रहे थे। इनमें से कुछ मरीज एलोपेसिया एरीटा जैसी गंभीर स्थिति से भी पीड़ित थे। मरीजों को 6 सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती कर पंचकर्म और अन्य आयुर्वेदिक विधियों से उपचार किया गया।
पंचकर्म और आयुर्वेदिक उपचार
मरीजों को रोजाना पंचकर्म थेरेपी दी गई, जिसमें शिरोधारा, अभ्यंग (तेल मालिश), और बस्ती (एनिमा) जैसी प्रक्रियाएं शामिल थीं। इसके अलावा, मुंह और नाक के माध्यम से आयुर्वेदिक दवाएं भी दी गईं। नियमित सिर की मालिश से स्कैल्प में रक्त संचार बढ़ा, जिससे रोमछिद्र सक्रिय होने लगे।
शोध में शामिल मरीजों ने बताया कि पहले जहां बालों का झड़ना नहीं रुक रहा था, वहीं इस उपचार के तीसरे सप्ताह के बाद गिरते बालों की संख्या में भारी कमी आई। छठे सप्ताह तक कुछ मरीजों के सिर पर नए बाल उगने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी थी।
एलोपैथिक इलाज से निराश मरीजों को राहत
शोध में यह भी बताया गया कि जिन मरीजों ने पहले विग, हेयर ट्रांसप्लांट और एलोपैथिक ट्रीटमेंट लिए थे, उन्हें स्थायी राहत नहीं मिली। कुछ समय के लिए बालों की ग्रोथ हुई, लेकिन बाद में वही समस्या लौट आई। पतंजलि के आयुर्वेदिक उपचार से पहली बार उन्हें स्थायी समाधान मिला।
पतंजलि की रिसर्च में यह स्पष्ट किया गया कि केवल बाहरी उपचार नहीं, बल्कि शरीर के अंदर से दोषों को संतुलित करने की आवश्यकता होती है। जब शरीर का वात और पित्त संतुलन में आता है, तो बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और Hair Regrowth की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से शुरू हो जाती है।
शोध का महत्व और भविष्य की योजनाएं
पतंजलि की इस रिसर्च को नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में भी प्रकाशित किया गया है। यह दावा किया गया है कि यह आयुर्वेदिक पद्धति केवल बालों के झड़ने को रोकने तक सीमित नहीं है, बल्कि गंजेपन को जड़ से समाप्त करने में भी सक्षम है। शोध में यह भी कहा गया है कि इस पद्धति को और अधिक वैज्ञानिक अध्ययन और ट्रायल्स के माध्यम से वैश्विक मान्यता दिलाई जा सकती है।
आज के समय में, युवा पीढ़ी कॉस्मेटिक हेयर सॉल्यूशंस पर लाखों रुपये खर्च कर रही है, वहीं पतंजलि की यह रिसर्च उन्हें एक सुरक्षित और स्थायी समाधान देने का वादा करती है। पतंजलि ने कहा है कि वे इस शोध पर आगे और विस्तार से काम करेंगे और जल्द ही इसके आधार पर एक व्यापक उपचार पद्धति आम जनता के लिए उपलब्ध कराएंगे।
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