आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास के साथ, स्वास्थ्य सेवा में मशीनों और मानवों के बीच सहयोग बढ़ रहा है। विशेष रूप से डायग्नोस्टिक इमेजिंग जैसे एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है। पहले, फ्रैक्चर, ट्यूमर या संक्रमण का पता लगाने के लिए इन इमेजिंग तकनीकों की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब AI के कारण ये प्रक्रियाएं और भी अधिक सटीक और स्मार्ट हो गई हैं।
छोटी से छोटी जानकारी का पता लगाना
डॉ. सुमोल रत्ना के अनुसार, AI-आधारित सिस्टम कुछ ही सेकंड में हजारों इमेजेज का विश्लेषण कर सकते हैं और उन सूक्ष्म भिन्नताओं की पहचान कर सकते हैं जिन्हें मानव आंखें नहीं देख पातीं। जब ट्यूमर विकसित होते हैं, तो टिशू में होने वाले छोटे-छोटे परिवर्तन जो डायग्नोस्टिक स्कैन पर प्रभाव डाल सकते हैं, उन्हें तुरंत पहचाना जा सकता है। पहले, इसके लिए एक अनुभवी डॉक्टर की आवश्यकता होती थी। यह प्रक्रिया अधिक कुशल बनाती है और चिकित्सकों को निदान और उपचार के निर्णय लेने में अधिक आत्मविश्वास प्रदान करती है।
तकनीक में सुधार
AI चिकित्सकों को इस तरह से सक्षम बनाता है कि वे पिछले इमेजिंग अध्ययन की तुलना वर्तमान इमेजेज से कर सकें और चिकित्सकों को यह प्रमाण दे सकें कि क्या बीमारी बढ़ रही है या ठीक हो रही है। मौजूदा इमेजिंग अध्ययन तुरंत हस्तक्षेप की अनुमति देते हैं, बशर्ते कि यह मरीज के लिए सर्वोत्तम हो और वास्तविक समय के करीब हो।
क्या AI डॉक्टरों का स्थान लेगा?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डॉक्टरों का प्रतिस्थापन नहीं है, बल्कि यह एक विश्वसनीय सहायक है जो सटीकता और सहायता को बढ़ावा देता है। स्वास्थ्य सेवा में तकनीक की बढ़ती भूमिका के साथ, AI के माध्यम से स्मार्ट इमेजिंग चिकित्सकों को समय बचाने में मदद कर रही है, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह जीवन को बचाने में सहायक है।
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