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इस पुलिस अधिकारी की वज़ह से पत्थर तोड़ने वाले दिलीप सिंह बनें 'द ग्रेट खली'…

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‘द ग्रेट खली!’ कभी एक समय करते थे पत्थर तोड़ने का काम, फ़िर ऐसे बन गए रेसलर…

आपसे अगर कोई पूछें कि आप दिलीप सिंह राणा के बारें में जानते है? तो यह तय बात है कि अधिकतर जवाब नहीं में आएगा और कुछ लोग तो शायद आश्चर्य के साथ उलटकर पूछ सकते हैं कि कौन दिलीप सिंह राणा! वहीं अगर हम पूछे कि ‘द ग्रेट’ के बारें में तो परिचित होंगे ही। तो फ़िर सभी का जवाब हां में ही रहेगा। यह पूर्ण विश्वास है। बता दें कि धिरैना राजपूत परिवार में ग्रेट खली का जन्म 27 अगस्त 1972 को हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ। जिनसे आज भारत ही नहीं पूरा विश्व वाक़िफ़ है। दिलीप सिंह राणा खली का असली नाम है। डब्ल्यूडब्ल्यूई (WWE) का नाम जब भी हमारे ज़ेहन में आता है तो भारत की तरफ़ से एक ही चेहरा हमारे आंखों के सामने घूमता है और वह है द ग्रेट खली का नाम। बहुत कम लोगों को ही पता है कि रेसलिंग की दुनिया में भारत का सिर ऊंचा करने वाले खली का बचपन बेहद ही गरीबी में बीता और उन्हें पढ़ाई छोड़कर पत्थर तक तोड़ने को विवश होना पड़ा। लेकिन दिलीप सिंह राणा मज़बूत इरादों के व्यक्ति ठहरे और वो कठिन संघर्षों के बल पर दिलीप सिंह से ‘द ग्रेट खली’ बनकर उभरें।

मालूम हो कि इनका बचपन सिर्फ़ मुसीबतों में ही नहीं गुजरा। अपितु बचपन से ही इनका शरीर बाकी बच्चों से काफी अलग और विशाल था। फ़िर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कभी अपने आपको नहीं कोसा कि मैं क्यों शरीर के मामले में बाकी बच्चों से अलग क्यों हूँ। बल्कि वह सिर्फ़ मेहनत करने में लगें रहें। कुछ समय पत्थर तोड़ने के बाद दिलीप सिंह राणा ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की। लेकिन इनकी किस्मत बदली सन 1994 में। एक इंटरव्यू के दौरान खली ने बताया था कि सन 1994 के दौर में पंजाब में उग्रवाद अपने चरम पर था। उस समय पंजाब पुलिस आईजी ‘महल सिंह भुल्लर’ हुआ करते थे। उन्होंने नौजवानों को पंजाब पुलिस में भर्ती करने का फैसला इसलिए किया ताकि देश के युवाओं का ध्यान उग्रवाद की तरफ ना जाए।

ऐसे में उस दौर में हर रोज 200 से 300 लड़के पंजाब पुलिस में भर्ती हो रहें थे। जिस किसी की भी सेहत और हाइट अच्छी थी उसे पंजाब पुलिस में शामिल कर लिया जाता था। इसमें मैं भी शामिल था, क्योंकि मेरी हाइट 7 फुट 1 इंच है। जब पंजाब पुलिस के आईजी महल सिंह भुल्लर की नजर दिलीप सिंह राणा पर पड़ी तो उन्होंने दिलीप सिंह को पंजाब पुलिस ज्वाइन करा दिया। इसके बाद खली ने पंजाब पुलिस में 1 साल तक शॉटपुट में अपने हाथ आजमाए फिर वह ‘बॉडी बिल्डिंग’ करने लगे।

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दिलीप सिंह एक इंटरव्यू के दौरान यह बताते है कि जब वह बॉडी बिल्डिंग किया करते थे। उस समय उनके यहां नया-नया केवल टीवी आया था। टीवी पर उन्होंने पहली बार डब्ल्यूडब्ल्यूई (WWE) की फाइट देखी तो उन्हें लगा कि यह कोई इंग्लिश फिल्म हैं। खली को रेसलिंग देखना अच्छा लगता था। जब भी टीवी पर पहलवानों को लड़ते देखते तो उन्हें लगता था कि मैं भी क्यों नहीं ऐसा रेसलर बन सकता हूं। खली ने बताया कि मुझे मेरे साथी ‘अंडरटेकर’ कहा करते थे, यही बात उनके दिमाग़ में घूमने लगीं। इसके बाद उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई (WWE) के बारे में पता किया और दोस्तों की मदद से ईमेल किया।

डब्ल्यूडब्ल्यूई (WWE) से खली को हरी झंडी मिलने के बाद उन्होंने 4 साल तक जापान में ट्रेनिंग ली। बता दें कि खली जापानी फिल्मों में भी नजर आ चुके हैं। इसके साथ-साथ उन्हें कई बॉलीवुड फिल्मों में भी देखा जा चुका है। साल 2005 में दिलीप सिंह डब्ल्यूडब्ल्यूई में नजर आए। देखते ही देखते उन्होंने कई दिग्गज रेसलर को हराया और वह दिलीप सिंह से ‘द ग्रेट खली’ बन गए। वे 2014 तक डब्ल्यूडब्ल्यूई मे रहे। इस दौरान उन्होंने ट्रिपल एच, द रॉक, ब्रॉक लेसनर, जॉन सीना, बिग शो, अंडरटेकर, रैंडी ऑर्टन समेत कई दिग्गज रेसलरो को टक्कर दी।

ग्रेट खली बताते है कि मैं भारत से था इसलिए डब्ल्यूडब्ल्यूई मैनेजमेंट ने भारत की संस्कृति और इतिहास को देखा। मैंने कई दिग्गजों को हराया था इसलिए शुरू-शुरू में मेरा नाम ‘ग्रेट काली’ मिला। मां काली ने जिस तरह राक्षसों का रूप धारण किया था उसी के तर्ज पर मुझे यह नाम दिया गया था। लेकिन धार्मिक रूप से किसी को आपत्ति ना हो इसलिए मैंने अपना नाम ग्रेट काली से ‘द ग्रेट खली’ रख लिया। कुल-मिलाकर देखें तो दिलीप सिंह राणा को खली बनाने में किसी का अगर सबसे बड़ा रोल रहा। तो वह आईजी ‘महल सिंह भुल्लर’ का रहा। वरना न तो दिलीप सिंह पुलिस में आ पाते और न ही खली बन पाते।

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