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Apple का आईफोन बनाना हुआ मुश्किल, चीन की इस चाल के सामने कंपनी हुई पस्त!

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Apple के लिए भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना जितना जरूरी है, उतनी ही बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. चीन की चाल का असर कंपनी की मुसीबतें बढ़ा रहा है. Foxconn की टेलंगाना स्थित फैक्ट्री, जो Apple के AirPods बनाती है, वहां इन दिनों Dysprosium Rare Earth मेटल की कमी के चलते प्रोडक्शन पर असर पड़ा है. ये AirPods में लगे मैग्नेट और बाकी इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के लिए जरूरी होता है. ये मैटेरियल चीन से आता है और फिलहाल चीन ने इसके एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है.

कहां है ये फैक्ट्री और क्या है मामला?

Foxconn Interconnect Technology (FIT) की फैक्ट्री तेलंगाना के Kongara Kalan में है. ये हैदराबाद से लगभग 45 किलोमीटर दूर है. ये प्लांट Apple के लिए AirPods बनाता है और भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में बड़ा कदम माना जाता है. लेकिन अब इस प्लांट में Dysprosium की कमी के वजह से AirPods का प्रोडक्शन स्लो पड़ गया है.

चीन की चाल से कैसे बढ़ी Apple की मुश्किलें?

चीन ने अप्रैल 2025 में सात Rare Earth मेटल जैसे Samarium, Dysprosium, Terbium आदि के एक्सपोर्ट पर कंट्रोल लगा दिया है. ये कदम अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ के जवाब में उठाया गया था. अब Foxconn को Dysprosium भेजने के लिए चीनी सरकार की मंजूरी चाहिए, लेकिन अभी तक अप्रूवल नहीं मिला है.

Foxconn ने टेलंगाना सरकार से मदद मांगी, जिन्होंने ये मामला DPIIT और External Affairs Ministry के पास भेजा. EUC (End User Certificate) भी बनवाया गया है, लेकिन अप्रूवल अभी तक नहीं मिला है.

AirPods में क्यों जरूरी है Dysprosium?

Dysprosium का इस्तेमाल Neodymium मैग्नेट को ज्यादा टेंपरेचर पर भी स्टेबल रखने में किया जाता है. इसका इस्तेमाल लेजर सिस्टम, मिलिट्री कम्युनिकेशन और हाई-परफॉर्मेंस डिवाइसेस में भी किया जाता है. इस मेटल के बिना AirPods और कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ठीक से नहीं बन सकते है.

Foxconn का क्या कहना है?

Foxconn ने कहा है कि अभी तक प्रोडक्शन बंद नहीं हुआ है, लेकिन स्लो डाउन जरूर हुआ था. कंपनी के स्टॉक में जो मैटेरियल बचा है उसी से प्रोडक्शन को जारी रखा हुआ है. उम्मीद है कि इस मंथ एंड तक चीन से मंजूरी मिल जाएगी.

भारत सरकार क्या कर रही है?

ये मामला मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स और चीनी एम्बेसी तक पहुंच चुका है. इंडियन एम्बेसी, बीजिंग में चीन सरकार से इस रोक को हटवाने की कोशिश कर रही है. Automotive सेक्टर और Electronics कंपनियों की शिकायतें भी भारत सरकार को मिल चुकी हैं.

चीन का Global Rare Earth Monopoly

China दुनिया का सबसे बड़ा Rare Earth producer है. ये मेटल EVs, Wind Turbines, Robotics, Defense Systems में काम आता है. 18 जुलाई को चीन ने साल की पहली Rare Earth माइनिंग कोटा रिपोर्ट जारी की थी.

Apple भारत में iPhone और AirPods जैसे प्रोडक्ट्स को बनाने की कोशिश तो कर रहा है, लेकिन चीन जैसे देशों की रेयर अर्थ मैटेरियल्स पर पकड़ के वजह से ये काम आसान नहीं है.

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