Next Story
Newszop

डब्ल्यूएचओ ने टीबी रिसर्च और वैक्सीन ट्रायल में गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्राथमिकता देने की अपील की

Send Push

New Delhi, 21 अगस्त . विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैश्विक स्वास्थ्य जगत से अपील की है कि तपेदिक (टीबी) अनुसंधान और टीका परीक्षणों में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्राथमिकता दी जाए. टीबी दुनिया की सबसे संक्रामक बीमारियों में से एक है, लेकिन इस संवेदनशील समूह को लंबे समय से शोध और नैदानिक परीक्षणों से बाहर रखा जाता रहा है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हर साल करीब 2 लाख गर्भवती या प्रसव के बाद महिलाएं टीबी से प्रभावित होती हैं, फिर भी उनकी भागीदारी अनुसंधान में बेहद कम रहती है. इसके चलते साक्ष्यों में बड़ी कमी बनी रहती है और उन्हें जीवन रक्षक दवाओं और टीकों तक पहुंचने में देरी होती है. गर्भावस्था और प्रसव के बाद की अवस्था में टीबी का खतरा आम लोगों की तुलना में अधिक होता है, और यह स्थिति माताओं और शिशुओं दोनों के लिए गंभीर जटिलताओं और मृत्यु का जोखिम बढ़ा देती है.

डब्ल्यूएचओ की एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस और यौन संचारित संक्रमण विभाग की निदेशक डॉ. टेरेजा कासेवा ने कहा, “टीबी अनुसंधान का लाभ टीबी से पीड़ित सभी लोगों तक पहुंचना चाहिए, जिनमें गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी शामिल हैं. अब समय आ गया है कि उनके समावेशन को प्राथमिकता दी जाए एक विचार के रूप में नहीं, बल्कि समान, साक्ष्य-आधारित देखभाल की दिशा में एक बुनियादी कदम के रूप में.”

इस दिशा में डब्ल्यूएचओ ने एक आम सहमति वक्तव्य जारी किया है, जिसे 80 से अधिक वैश्विक विशेषज्ञों ने तैयार किया है. इसमें पांच अहम क्षेत्रों (प्री-क्लिनिकल अनुसंधान, टीबी दवा शोध, टीका परीक्षण, मातृ टीबी निगरानी और वकालत) पर फोकस किया गया है.

वक्तव्य में सुझाव दिया गया है कि गर्भवती और प्रसव के बाद महिलाओं पर टीबी से जुड़ा डेटा बेहतर निगरानी और रिपोर्टिंग के जरिए जुटाया जाए, समय रहते नए यौगिकों और टीकों पर अध्ययन किया जाए, और उन्हें सभी चरणों के दवा परीक्षणों तथा वयस्क टीबी वैक्सीन अनुसंधान में शामिल किया जाए.

साथ ही, कानूनी, नैतिक और नियामक बाधाओं को दूर करने के लिए प्रभावित समुदायों की भागीदारी बढ़ाने की अपील की गई है. यह दस्तावेज शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं, प्रायोजकों और नागरिक समाज को एक स्पष्ट रोडमैप प्रदान करता है ताकि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीबी अनुसंधान में समान रूप से शामिल किया जा सके.

जेपी/जीकेटी

Loving Newspoint? Download the app now