नई दिल्ली, 11 मई . केंद्र सरकार अपस्ट्रीम ऑयल सेक्टर में गैस उत्सर्जन की जांच के लिए नियम को सख्त करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए ड्राफ्ट पॉलिसी भी तैयार कर ली गई है.
अपस्ट्रीम ऑयल एंड गैस एक्सप्लोरेशन और उत्पादन क्षेत्र के लिए तैयार की गई केंद्र की नई ड्राफ्ट पॉलिसी का उद्देश्य गैस फ्लेयरिंग गतिविधियों सहित खनिज तेल संचालन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और फ्लेयर्ड गैस की करीब से निगरानी करना है.
तेल क्षेत्रों से उत्पादन के दौरान गैस का नियमित रूप से प्रज्वलन होता रहता है, क्योंकि उत्पादन क्षेत्रों में गैस के उपयोग के लिए फैलिसिटीज जैसे रिइंजेक्शन, ऑन-साइट उपयोग, बाजार तक परिवहन आदि की कमी होती है.
ड्राफ्ट पॉलिसी में यह प्रावधान है कि सभी पट्टेधारक और ठेकेदारों को प्रत्येक कैलेंडर तिमाही के अंत से पंद्रह दिनों के भीतर निश्चित फॉर्मेट के अनुसार तिमाही आधार पर प्रज्वलित गैस की मात्रा और उससे संबंधित उत्सर्जन की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी.
नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि हर पट्टेदार और ठेकेदार खनिज तेल उत्पादक परिचालन के दौरान होने वाली ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के उपाय अपनाएगा और लागू पर्यावरण कानूनों और मानदंडों का अनुपालन करेगा.
ड्राफ्ट नियमों में कहा गया है कि प्रत्येक पट्टेदार और ठेकेदार को पट्टे पर दिए गए क्षेत्र से खनिज तेल का उत्पादन शुरू होने के 180 दिनों के भीतर खनिज तेल परिचालन से ग्रीनहाउस उत्सर्जन के स्रोतों की पहचान और मापने से विधि के लिए एक निगरानी प्लान प्रस्तुत करना होगा.
ड्राफ्ट नियमों में आगे कहा गया कि पट्टेदार या ठेकेदार भारत सरकार को एक पर्यावरण प्रबंधन योजना और आपदा योजना प्रस्तुत करेगा, जिसमें भूजल दूषित होने और वायुमंडलीय उत्सर्जन सहित पर्यावरण के लिए जोखिम को कम करने के उपायों की रूपरेखा होगी.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने ड्राफ्ट नियमों पर पक्षकारों से टिप्पणियां मांगी हैं.
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एबीएस/
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