काबुल, 13 अगस्त . एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हजारों अफगान, जिनमें 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता हथियाने के बाद शरण लेने वाले कई लोग भी शामिल हैं, अब शरीफ सरकार की नई गैर-कानूनी विदेशियों की वापसी योजना के तहत अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं. 2023 के अंत में इस नीति को फिर से लागू करने के बाद से अवैध अफगान शरणार्थियों पर देशव्यापी कार्रवाई की गई है.
प्रमुख अफगान समाचार एजेंसी खामा प्रेस के अनुसार, सिर्फ अप्रैल में ही 1,44,000 से अधिक अफगान नागरिक अफगानिस्तान लौटे, जिनमें करीब 30,000 को जबरन निकाला गया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के आदेश के तहत अब इस आदेश का विस्तार इस्लामाबाद और पाकिस्तान के अन्य बड़े शहरी केंद्रों तक हो गया है, जहां पुलिस छापों में अफगान परिवारों को हिरासत में लेकर डिपोर्टेशन सेंटर भेजा जा रहा है.
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने इन कार्रवाई को जबरन प्रत्यावर्तन का एक रूप करार दिया है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है. पाकिस्तानी अधिकारियों के इस फैसले से महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, विकलांगों और अपने पेशे के कारण जोखिम में रहने वाले लोगों सहित कमजोर समूहों पर असर पड़ा है.
पाकिस्तान में पली-बढ़ी अफगान लड़कियों पर इसका खास असर पड़ा है, क्योंकि उन्हें अब ऐसे देश भेजा जा रहा है, जहां तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा रखा है.
सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज की एल्सा इमदाद हुसैन ने एक ऐसे शरणार्थी कानून को लागू करने की मांग की थी, जो ‘मानव-केंद्रित और लैंगिक दृष्टिकोण वाला’ हो, लेकिन इस अपील पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
अफगान शरणार्थी ऐसे देश में लौट रहे हैं, जो आर्थिक पतन, जलवायु आपदाओं और मानवीय संकट का सामना कर रहा है. पाकिस्तान से लौटे अफगान शरणार्थियों को तालिबान प्रशासन की ओर से सीमित मदद मिल रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान से लौटे कई परिवार अब तंबू बस्तियों में शरण ले रहे हैं.
अफगान अधिकारियों ने पाकिस्तान पर शरणार्थियों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करने का आरोप लगाया है, जबकि तालिबान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद ने इसे ‘क्रूर रवैया’ बताते हुए खत्म करने की अपील की है. खामा प्रेस के अनुसार, तालिबान के इस आश्वासन के बावजूद कि अफगान भूमि का इस्तेमाल इस्लामाबाद के खिलाफ नहीं किया जाएगा, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है.
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पीओआर कार्डधारकों को जून तक रहने की आधिकारिक अनुमति के बावजूद गिरफ्तारी और हिरासत का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तानी अधिकारियों की कार्रवाई के तहत अफगानिस्तान के स्वामित्व वाले छोटे व्यवसाय भी बंद हो गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ पाकिस्तानी, जिनमें संपत्ति के दस्तावेज बनाने वाले तथाकथित ‘फ्रंट मैन’ भी शामिल हैं, अफगानिस्तान से जाने वाले लोगों का शोषण कर रहे हैं.
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आरएसजी/डीकेपी
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