New Delhi, 14 अक्टूबर . विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की Tuesday को जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर तीन में से एक व्यक्ति ऐसी स्थितियों के साथ जी रहा है जो उसके मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं, जबकि तंत्रिका संबंधी विकारों के कारण हर साल 11 मिलियन (1 करोड़ दस लाख) लोगों की जान चली जाती है.
New Delhi, 14 अक्टूबर . विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की Tuesday को जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर तीन में से एक व्यक्ति ऐसी स्थितियों के साथ जी रहा है जो उसके मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं, जबकि तंत्रिका संबंधी विकारों के कारण हर साल 11 मिलियन (1.1 करोड़) लोगों की जान चली जाती है.
स्ट्रोक, नवजात शिशु मस्तिष्क विकृति, माइग्रेन, अल्जाइमर रोग और अन्य मनोभ्रंश, डायबिटिक न्यूरोपैथी, मेनिन्जाइटिस, इडियोपैथिक एपिलेप्सी, समय से पहले जन्म से जुड़ी तंत्रिका संबंधी जटिलताएं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार और नर्वस सिस्टम कैंसर को मृत्यु और विकलांगता में योगदान देने वाली शीर्ष 10 तंत्रिका संबंधी स्थितियों के रूप में पहचाना गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि ये तंत्रिका संबंधी स्थितियां अब वैश्विक आबादी के 40 प्रतिशत से अधिक को प्रभावित करती हैं, फिर भी दुनिया में तीन में से एक से भी कम देशों के पास न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (तंत्रिका संबंधी विकारों) से निपटने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति है.
चिंताजनक रूप से, इन बीमारियों के उच्च बोझ के बावजूद, निम्न-आय वाले देशों में उच्च-आय वाले देशों की तुलना में 80 गुना से भी कम न्यूरोलॉजिस्ट हैं.
कई निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में राष्ट्रीय योजनाओं, बजट और वर्कफोर्स का भी अभाव है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य संवर्धन, रोग निवारण एवं नियंत्रण विभाग के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फरार ने कहा, “दुनिया में हर तीन में से एक से ज्यादा लोग अपने मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं, इसलिए हमें उनकी जरूरतों के अनुसार स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.”
फरार ने कहा, “इनमें से कई तंत्रिका संबंधी बीमारियों को रोका जा सकता है या उनका प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है, फिर भी ज्यादातर लोगों की पहुंच इन तक नहीं है. खासकर ग्रामीण और अल्प-सेवा वाले क्षेत्रों में (जहां इंटरनेट या प्राइमरी हेल्थ केयर जैसी बुनियादी सेवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं), जहां इसे सामाजिक कलंक के तौर पर देखा जाता है या उनका बहिष्कार किया जाता है और उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है. हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा कि हम मरीजों और उनके परिवारों को प्राथमिकता दें और मानसिक सेहत को प्राथमिकता दी जाए और उसमें समुचित निवेश किया जाए.”
102 देशों के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला है कि 63 देशों में तंत्रिका संबंधी विकारों से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति है, लेकिन केवल 34 देशों ने ही इनके समाधान के लिए समर्पित धन उपलब्ध होने की सूचना दी है.
मजबूत नीतिगत ढांचों के बिना, स्वास्थ्य प्रणालियां खंडित, संसाधनों से वंचित और मरीजों और परिवारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त रहती हैं.
इसके अलावा, आवश्यक सेवाएं भी अधिकांश लोगों की पहुंच से बाहर पाई गईं, केवल 49 देशों ने अपने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज लाभ पैकेजों में तंत्रिका संबंधी विकारों को शामिल किया.
स्ट्रोक यूनिट, बाल चिकित्सा तंत्रिका विज्ञान, पुनर्वास और पैलिएटिव केयर जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं अक्सर शहरी क्षेत्रों में ही सीमित या केंद्रित रहती हैं, जिससे ग्रामीण और वंचित आबादी जीवनरक्षक और जीवन-निर्वाह देखभाल से वंचित रह जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने Governmentों से आग्रह किया है कि वे साहसिक नेतृत्व और निरंतर निवेश के माध्यम से तंत्रिका संबंधी विकारों को नीतिगत प्राथमिकता बनाएं; सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ कर न्यूरोलॉजिकल केयर तक पहुंच का विस्तार करें.
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केआर/
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