गडग, 17 जुलाई . कर्नाटक के पूर्व Chief Minister और सांसद बसवराज बोम्मई ने कहा कि दलितों और पिछड़े वर्गों का विकास सिर्फ मौखिक घोषणाओं से नहीं होगा और Chief Minister सिद्दारमैया का मानना है कि सिर्फ घोषणाओं से लोगों का पेट भर सकता है. उन्होंने सरकार से इन समुदायों के लिए आरक्षित निधि का उचित आवंटन करने का आग्रह किया.
बसवराज बोम्मई ने Thursday को कर्नाटक के गडग में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि Chief Minister सिर्फ दलितों के बारे में बातें करते हैं. अगर वह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निधि का उचित आवंटन करें तो यह काफी है. इसी तरह पिछड़े वर्गों के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए कोई विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि आठ ओबीसी निगम हैं, फिर भी एक को भी धनराशि नहीं मिली है. वे ओबीसी के उत्थान का दावा करते हैं, लेकिन मौजूदा योजनाओं के लिए धन नहीं देते. दलित कल्याण योजनाओं के लिए आरक्षित निधि में कटौती की जा रही है, Chief Minister को इस पर ध्यान देना चाहिए. किसी को बोर्ड या निगम का अध्यक्ष नियुक्त करने मात्र से वास्तविक परिवर्तन नहीं आता. अगर समुदायों का वास्तविक विकास करना है तो योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचना आवश्यक है. सिर्फ दिखावटी बातों से कुछ नहीं होता. सिद्दारमैया का मानना है कि केवल घोषणाओं से ही पेट भरा जा सकता है.
प्रदेश भाजपा के भीतर असंतोष के बारे में उन्होंने इनकार कर दिया और कहा कि कर्नाटक भाजपा में कोई असंतोष की गतिविधियां नहीं हैं. पार्टी आलाकमान को सब कुछ पता है और वे आवश्यक निर्णय लेंगे.
बोम्मई ने फसल बीमा के लिए किसानों के नामांकन की आड़ में एजेंटों की बढ़ती उपस्थिति के बारे में कहा कि उपायुक्तों ने इस मुद्दे पर पहले ही बैठकें कर ली हैं. अतीत में लगभग 20 प्रतिशत फसल बीमा लाभार्थी फर्जी थे और उन्होंने अधिकारियों को इस वर्ष ऐसा होने से रोकने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने किसानों को दिए जाने वाले फसल ऋणों की मात्रा बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि प्रति एकड़ ऋण राशि बढ़ाई जानी चाहिए. सहकारी ऋण प्रणाली से बाहर रह गए लोगों को इसके दायरे में लाया जाना चाहिए और उन्हें ऋण प्रदान किया जाना चाहिए. किसानों को ऋण देते समय सिबिल स्कोर (क्रेडिट स्कोर) मानदंड लागू नहीं किया जाना चाहिए. यह उनका दृष्टिकोण है और वे इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का प्रयास करेंगे.
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एएसएच/
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