नई दिल्ली, 3 मई . बारिश के मौसम में उगने वाला पौधा काला बिछुआ, जिसे बघनखी, बाघनखी या बाघनख के नाम से जाना जाता है वह अपनी खास बनावट और औषधीय गुणों के कारण प्रसिद्ध है. हालांकि, इसको लेकर भ्रांतियां भी कम नहीं हैं.
बघनखी एक मौसमी पौधा है, यह बरसात के मौसम में उगता है और सर्दी आते-आते सूख जाता है. इसके फल सूखने के बाद चटक जाते हैं और इनमें से काले या भूरे रंग का बड़ा बीज निकलता है, जो दिखने में बाघ के मुड़े हुए नाखून जैसा होता है. इसी के चलते इसे ‘बघनखी’ या ‘बाघनख’ कहा जाता है. इस पौधे के पत्ते बड़े और रोएंदार होते हैं. कई लोग इसे ‘हथजोड़ी’ नामक वनस्पति समझ बैठते हैं, जो पूरी तरह से गलत है.
‘हथजोड़ी’ के नाम से पहले बाजार में जो वस्तु बेची जा रही थी, वह मॉनिटर लिजर्ड (गोह) का जननांग था. वैज्ञानिकों की रिसर्च के बाद यह सामने आया कि इस धंधे के चलते मॉनिटर लिज़र्ड की अवैध तस्करी और हत्या की जा रही थी, जिसके चलते इसे प्रतिबंधित कर दिया गया. भ्रम फैलाने वाले लोग कहते थे कि असली हथजोड़ी विंध्याचल के जंगलों, हिमालय या किसी पेड़ की जड़ से मिलती है, जबकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. ऐसे झूठ फैलाकर जंगली जीवन को हानि पहुंचाई जा रही थी.
बघनखी को अंग्रेजी में डेविल्स क्लॉ यानी शैतानी पंजा कहा जाता है. तो वहीं, इसका वैज्ञानिक नाम मार्टिनिया एनुआ है. देसी भाषाओं में इसे कुछ क्षेत्रों में ‘उलट कांटा’ या ‘बिच्छू फल’ भी कहा जाता है. कई लोग इसे ‘बिच्छू झाड़ी’ भी कहते हैं. हालांकि, यह पूरी तरह से एक अलग पौधा है.
नेशनल स्कूल ऑफ लाइब्रेरी के जून 2022 में प्रकाशित शोध में दावा किया गया कि इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेंट्री गुण दर्द और सूजन से राहत दिलाने वाले होते हैं. साक्ष्यों से पता चला कि डेविल्स क्लॉ पौधे में कोलेस्ट्रॉल रोधी, एंटीऑक्सीडेंट, सूजन रोधी और दर्द निवारक गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो रूमेटाइड अर्थराइटिस, कमजोर याददाश्त, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, ऑस्टियोआर्थराइटिस, कटिवात, मधुमेह, अपच और सीने में जलन सहित अनगिनत बीमारियों के इलाज में मददगार साबित होते हैं, साथ ही यह विषहरण और टॉनिक एजेंट के रूप में भी कार्य करते हैं.
यह पौधा औषधीय गुणों से भी भरपूर है. इसमें सूजन और दर्द निवारक गुण होते हैं. यह गठिया रोग में काफी उपयोगी माना जाता है. इसके पत्तों को सरसों के तेल में पकाकर तैयार किया गया तेल जोड़ों के दर्द में अत्यंत लाभकारी है. साथ ही इसके सूखे फलों को कूटकर भी तेल में पकाया जा सकता है जिससे एक प्रभावी दर्द निवारक तेल तैयार होता है.
इसके फलों से निकले तेल को बालों में लगाने से समय से पहले सफेदी की समस्या से राहत मिलती है. वहीं इसकी जड़ का चूर्ण, अश्वगंधा के चूर्ण के साथ समान मात्रा में मिलाकर एक से दो ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम लेने से गठिया में राहत मिलती है.
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पीएसके/केआर
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