New Delhi, 30 अक्टूबर . हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है. यह दिन देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है. उन्हें हम सभी लौह पुरुष के नाम से जानते हैं. सरदार पटेल ने आजादी के बाद देश के एकीकरण में जो योगदान दिया, वह अद्वितीय और प्रेरणादायक है.
उन्होंने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुई 565 रियासतों में से सभी को India संघ में शामिल करने में सफलता पाई थी. उनके दृढ़ निश्चय, समझदारी और नेतृत्व क्षमता के कारण ही आज India एक अखंड राष्ट्र के रूप में खड़ा है.
साल 2014 में केंद्र Government ने घोषणा की कि हर साल 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन का उद्देश्य लोगों को देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के महत्व को याद दिलाना है. इस साल यह दिवस ‘एक भारत, आत्मनिर्भर भारत’ थीम पर मनाया जा रहा है, जो देश के सशक्त और आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को दर्शाता है.
सरदार पटेल को यह सम्मान सिर्फ इसलिए नहीं मिला कि उन्होंने रियासतों को एक साथ लाया, बल्कि इसलिए भी क्योंकि वे दूरदर्शी नेता थे. जब आजादी के बाद India अनेक छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था, तब उन्होंने धैर्य, दृढ़ता और समझदारी से सबको एक सूत्र में पिरो दिया. उनकी सोच थी कि अगर India को मजबूत बनना है, तो उसे पहले एकजुट होना पड़ेगा. इसीलिए उन्हें India का ‘एकीकरणकर्ता’ कहा जाता है.
सरदार पटेल की जयंती केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता और संकल्प का प्रतीक है. यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने देश की अखंडता और सुरक्षा में योगदान दें. उनके विचार आज भी उतने ही उपयोगी हैं, जितने स्वतंत्रता के समय थे.
राष्ट्रीय एकता दिवस पर पूरे देश में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. Governmentी दफ्तरों, स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में एकता प्रतिज्ञा पढ़ी जाती है. इस प्रतिज्ञा में लोग देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने का संकल्प लेते हैं.
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पीआईएम/एबीएम
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