Mumbai , 19 जुलाई . सेबी अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स पार्टिसिपेंट्स को मूल्य अनिश्चितता का प्रबंधन कर, राजस्व जोखिमों को कम कर और बिजली क्षेत्र में निवेश आकर्षित कर अधिक प्रभावी ढंग से योजना बनाने में मदद करेंगे.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई) ने कमोडिटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट के तहत मंथली इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट और नए स्पॉट मार्केट डैशबोर्ड के औपचारिक शुभारंभ के अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया.
इस प्रोडक्ट का उद्देश्य भारत के बढ़ते बिजली क्षेत्र में पार्टिसिपेंट्स के लिए अत्यंत आवश्यक हेजिंग और प्राइस विजिबिलिटी लाना है.
इस अवसर पर पांडे ने कहा, “ये भारत के पावर मार्केट सुधारों के अगले चरण का प्रतीक हैं. एक विश्वसनीय, सस्टेनेबल और निवेशक-अनुकूल बिजली क्षेत्र के लिए एक गहन और लिक्विड इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स मार्केट आवश्यक होगा.”
एनएसई के एमडी और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने कहा कि यह लॉन्च भारत के बिजली बाजार में एक महत्वपूर्ण मोड़ है.
उन्होंने कहा, “यह हमारे वित्तीय बाजारों को अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बनाता है और साथ ही हमारे घरेलू बिजली क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को भी पूरा करता है. सेबी, सीईआरसी और कई बाजार सहभागियों की मदद से यह प्रोडक्ट भारत के ऊर्जा उपभोक्ताओं और आपूर्तिकर्ताओं के लिए एक जोखिम प्रबंधन उपकरण के रूप में काम करेगा.”
इसके अलावा, चौहान ने बताया कि एनएसई में इसके शुभारंभ के शुरुआती सप्ताह में ही इस उत्पाद में अच्छी भागीदारी देखी गई.
17 जुलाई तक तीन कॉन्ट्रैक्ट महीनों अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में 14 जुलाई से कुल मिलाकर 20,822 लॉट का कारोबार हुआ, जिसमें कुल कारोबार मूल्य 450 करोड़ रुपए को पार कर गया.
अगस्त महीने के कॉन्ट्रैक्ट के लिए, 17 जुलाई तक, 20,421 लॉट का कारोबार हुआ, जिनकी कीमतें 4,356 रुपए/एमडब्ल्यूएच से लेकर 4,364 रुपए/एमडब्ल्यूएच तक थीं.
इलेक्ट्रिसिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट नकद-निपटान वाले होते हैं, 50 एमडब्ल्यूएच के लॉट आकार में उपलब्ध होते हैं और वर्तमान और तीन फ्यूचर मंथ के लिए लिस्ट होते हैं. यह सेटलमेंट तीनों पावर एक्सचेंजों में डे-अहेड मार्केट (डीएएम) के वॉल्यूम-भारित औसत मूल्य पर आधारित है.
एनएसई के अनुसार, इस प्रोडक्ट को वर्तमान में 31 दिसंबर, 2025 तक लेनदेन शुल्क से मुक्त रखा गया है, ताकि शीघ्र भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सके.
सीईआरसी के अध्यक्ष जिष्णु बरुआ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इलेक्ट्रिसिटी डेरिवेटिव्स पर एक दशक से अधिक समय से चर्चा चल रही है और यह प्रोडक्ट डिस्कॉम, औद्योगिक उपयोगकर्ताओं और रिन्यूएबल जनरेटर्स की आवश्यकताओं के अनुरूप फाइनेंशियल इनोवेशन लाता है.
उन्होंने आगे कहा, “15 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत फिजिकल पावर एक्सचेंजों द्वारा समर्थित, यह फ्यूचर प्रोडक्ट जोखिम से बचाव और सूचित निवेश योजना को प्रोत्साहित करने में मदद करता है.”
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एसकेटी/
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