तवांग, 24 अक्टूबर . भव्य तवांग मठ और पूर्वी हिमालय की शांत, बादलों से ढकी घाटियों की मनमोहक पृष्ठभूमि के बीच Friday को पूरे जोश और उत्साह के साथ ‘तवांग मैराथन 3.0’ की शुरुआत हुई. समुद्र तल से लगभग 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित तवांग एक बार फिर से सहनशीलता, एकता और सांस्कृतिक गर्व का उत्सव बन गया.
कार्यक्रम का शुभारंभ गजराज कोर के कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल गंभीर सिंह ने झंडी दिखाकर किया. उन्होंने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन फिटनेस, साहसिकता और राष्ट्रीय एकता को हिमालयी सीमांत क्षेत्रों में बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं.
तवांग पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश में स्थित है. यह उत्तर में तिब्बत और दक्षिण-पश्चिम में भूटान की सीमाओं से घिरा हुआ है. इसका नाम तवांग, ‘त’ अर्थात् ‘घोड़ा’ और ‘वांग’ अर्थात् ‘चुना गया’ से बना है, जो इस अनुश्रुति पर आधारित है कि मठ के लिए स्थान कैसे तय किया गया था. तवांग मठ, तवांग शहर से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है. यह एशिया का सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा मठ है.
इस साल की मैराथन में चार श्रेणियां शामिल थीं, जिसमें 42 किमी (पूर्ण मैराथन), 21 किमी (हाफ मैराथन), 10 किमी और 5 किमी दौड़ हुई. इन प्रतियोगिताओं में सभी स्तरों के धावकों ने हिस्सा लिया. आयोजन में 1,200 महिलाओं और लड़कियों और केन्या के तीन अंतर्राष्ट्रीय धावकों समेत कुल 6,200 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए.
धावकों ने ‘बादलों के ऊपर दौड़ने’ का रोमांच महसूस किया. वे बर्फ से ढके पर्वतों, लहराते ध्वजों और एशिया के सबसे बड़े व सबसे प्रतिष्ठित बौद्ध मठ तवांग मठ की भव्यता से घिरे रास्तों से होकर गुजरे. कठिन पहाड़ी रास्तों और ऊंचाई की चुनौती के बावजूद प्रतिभागियों ने अदम्य साहस, धैर्य और दृढ़ता का परिचय दिया.
तवांग मैराथन 3.0 एक असल कम्युनिटी सेलिब्रेशन था, जिसमें नागरिकों, भारतीय सेना, एसएसबी, आईटीबीपी, छात्रों, स्थानीय निवासियों और सिविल प्रशासन की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई. इन सभी ने मिलकर इस आयोजन को स्वास्थ्य, सद्भाव और हिमालयी भावना का त्योहार बनाया.
तवांग मैराथन 3.0 ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि हौसला, उत्साह और समर्पण के साथ कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती, चाहे वह पहाड़ों की ऊंचाई हो या जीवन की कठिनाइयां.
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डीसीएच/जीकेटी
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