Patna, 14 अक्टूबर . बिहार के सिवान जिले में स्थित बड़हरिया विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की राजनीति में एक अहम पहचान रखता है. यह क्षेत्र मुख्य रूप से बड़हरिया और पचरुखी प्रखंडों के 23 ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करता है और पूरी तरह कृषि प्रधान है.
गंडक नदी की सहायक नदियों से सिंचित यह इलाका गंगा के उपजाऊ मैदानों में फैला हुआ है, जहां कृषि आज भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. यहां के किसान धान, गेहूं और दलहन की खेती करते हैं, जबकि बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन कर चुके हैं.
बड़हरिया का निकटतम रेलवे स्टेशन सिवान जिला मुख्यालय में है, जो लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है. इसके उत्तर में गोपालगंज 40 किमी, दक्षिण-पूर्व में छपरा 50 किमी, जबकि उत्तर प्रदेश की सीमा पर देवरिया (70 किमी) और बलिया (85 किमी) जैसे प्रमुख शहर स्थित हैं. राज्य की राजधानी Patna यहां से लगभग 145 किलोमीटर दूर है.
बड़हरिया में हाल के वर्षों में सड़क, बिजली और शिक्षा जैसी आधारभूत सुविधाओं में धीरे-धीरे सुधार देखा गया है. हालांकि, रोजगार, पलायन और कृषि संकट आज भी यहां के प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं.
इस सीट की स्थापना साल 1951 में हुई थी. शुरुआती वर्षों में यहां कांग्रेस का दबदबा था. पार्टी ने 1951 से 1957 तक लगातार तीन बार जीत दर्ज की. लेकिन, 1957 के बाद Political माहौल में बदलाव आया. इस दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने दो बार, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय जनसंघ ने एक-एक बार जीत दर्ज की.
साल 1972 के विधानसभा चुनाव के बाद बड़हरिया सीट को समाप्त कर दिया गया. यह क्षेत्र करीब तीन दशकों तक Political नक्शे से गायब रहा. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद यह सीट एक बार फिर अस्तित्व में आई. इसके बाद 2010 में जब यहां चुनाव हुए, तो जनता दल (यूनाइटेड) ने वापसी करते हुए इस सीट पर जीत हासिल की. जेडीयू ने 2010 और 2015, दोनों चुनावों में जीत दर्ज की. हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जेडीयू को हराकर इस सीट को अपने कब्जे में ले लिया.
2024 में चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बड़हरिया विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,29,497 है, जिसमें पुरुष 2,73,093 और महिलाएं 2,56,404 हैं. वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 3,15,304 है, इसमें 1,65,202 पुरुष, 1,50,093 महिला और 9 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं. यहां के मतदाता मुख्य रूप से ग्रामीण और किसान वर्ग से आते हैं. जातीय समीकरणों में यादव, पासवान, राजभर, कुर्मी, मुस्लिम और सवर्ण वर्गों की उल्लेखनीय भागीदारी है.
बड़हरिया विधानसभा में कृषि, सिंचाई, सड़क और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दे काफी अहम हैं. इसके अलावा, रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी बड़ी चुनौतियां हैं.
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पीएसके/एबीएम
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