चेन्नई, 1 नवंबर . तमिलनाडु शहर को बाढ़ से बचाने के लिए कोयंबटूर सिटी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (सीसीएमसी) ने सभी 100 वार्डों में स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज नेटवर्क को सुधारने और बढ़ाने के लिए 2,200 करोड़ रुपए की परियोजना तैयार की है.
इस पहल का मकसद मानसून के दौरान जलभराव और बाढ़ की समस्या को खत्म करना है, जो सालों से शहर की एक बड़ी समस्या रही है.
फिलहाल, कई इलाकों में अंडरग्राउंड ड्रेनेज का काम चल रहा है, लेकिन कई रिहायशी और कमर्शियल इलाकों में खराब स्टॉर्म वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण अभी भी गंभीर जलजमाव और ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है.
शहर के कई हिस्सों में, बारिश का पानी सही से नालियों में जाने के बजाय सड़कों पर बहता रहता है, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं और सड़कों को नुकसान होता है.
कॉर्पोरेशन में नए जोड़े गए इलाकों में स्थिति और भी खराब है.
स्टॉर्म वाटर ड्रेन न होने के कारण बारिश के दौरान कच्ची सड़कें कीचड़ वाली और फिसलन भरी हो जाती हैं, जिससे मोटर चालकों और पैदल चलने वालों दोनों के लिए मुश्किल हो जाती है.
गाद और कचरे से भरी मौजूदा बंद नालियों ने समस्या को और बढ़ा दिया है, जिससे बारिश के पानी का बहाव रुक जाता है और निचले इलाकों में पानी भर जाता है.
इन पुरानी समस्याओं से निपटने के लिए, सीसीएमसी के इंजीनियरिंग विंग ने सभी वार्डों में एक बड़ा फील्ड सर्वे किया ताकि उन इलाकों का पता लगाया जा सके जहां नई नालियों की जरूरत है और मौजूदा नालियों की पहचान की जा सके जिन्हें मरम्मत या गाद निकालने की जरूरत है.
इस सर्वे के आधार पर, एक विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले इलाकों को पहले चरण में लागू करने के लिए प्राथमिकता दी गई है.
कॉर्पोरेशन के अधिकारियों के अनुसार, प्रोजेक्ट के पहले चरण में विभिन्न जोन में कुल 116.29 किलोमीटर लंबी 49 नई नालियों का निर्माण किया जाएगा. इस चरण के लिए, नगर निगम ने नगर प्रशासन निदेशालय से 274 करोड़ रुपए मांगे हैं.
कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “पहले चरण में, हमने 116.29 किमी लंबी 49 सड़कों की पहचान की है और राज्य Government से 274 करोड़ रुपए मांगे हैं. एक बार मंजूरी मिलने के बाद, यह बाढ़ प्रतिरोधी कोयंबटूर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.”
यह प्रोजेक्ट, जो शहर के लॉन्ग-टर्म अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडर्नाइजेशन प्लान का हिस्सा है, कई चरणों में लागू होने की उम्मीद है. इससे यह पक्का होगा कि पुराने और नए मर्ज किए गए दोनों इलाकों को एक कॉम्प्रिहेंसिव स्टॉर्म वाटर मैनेजमेंट सिस्टम का फायदा मिले, जो भविष्य में आने वाले मानसून का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है.
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वीकेयू/डीकेपी
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