New Delhi, 14 अक्टूबर . बदलते मौसम या हार्मोन के असंतुलन होने से शरीर में कई तरह के बदलाव महसूस होते हैं. कभी मुंह सूखने लगने लगता है, जीभ कसैली हो जाती है, या बार-बार पानी पीने के बाद भी मुंह में सूखापन लगता है.
इसे डिहाइड्रेशन भी माना जा सकता है, लेकिन इसके अलावा भी ये लक्षण शरीर में कई तरह की बीमारियों के संकेत देते हैं.
आयुर्वेद में मुंह के शुष्क होने को “मुख शोष” कहा गया है, जिसे शरीर में पित्त और वात के असंतुलन से जोड़कर देखा गया है. इसके अलावा पाचन की प्रक्रिया में किसी तरह की गड़बड़ी से भी मुंह सूखने लगता है और शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता है. साथ ही बार-बार प्यास लगना निर्जलीकरण का संकेत देता है, लेकिन अगर ये समस्या ज्यादा लंबे समय तक बनी रहती है तो मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है.
मुख शुष्क होने पर कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. निगलने में परेशानी होती है, बोलने में परेशानी होती है, मुंह में छाले भी हो जाते हैं और पेट में जलन भी होती है. अगर पेट में लगातार जलन बनी रहती है और मुख शुष्क रहता है तो ये अल्सर के लक्षण हो सकते हैं. आयुर्वेद में मुख के शुष्क होने की स्थिति से निपटने के लिए घरेलू उपाय बताए गए हैं, जो इन सभी लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करेंगे. शहद का सेवन मुख शुष्क की स्थिति में अच्छा रहता है. शहद में नमी और मिठास होती है, जो मुख के पीएच को बनाए रखती है और मुख कम चटकता है.
मुख के शुष्क होने की स्थिति में ऑयल पुलिंग करना भी अच्छा रहेगा. इसके लिए नारियल तेल या बादाम तेल को एक चम्मच लेकर मुंह में घुमाएं और बाहर निकाल दें. इससे मुंह की शुष्कता भी कम होगी और ओरल हाइजीन भी बनी रहेगी. इसके अलावा गुनगुना पानी पीना भी अच्छा रहेगा. अगर पानी में धनिए के बीज मिला दिए जाएं तो शुष्कता में जल्दी आराम मिलेगा.
शरीर के लिए सही मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है. ऐसी स्थिति में पानी थोड़े-थोड़े समय में पीते रहें और रोजाना नारियल पानी का सेवन करें. नारियल पानी पीने से पेट का पाचन भी ठीक रहेगा और शरीर ठंडा बना रहेगा.
मुख शुष्क होने पर घी का सेवन करना लाभकारी होगा. घी में अपना चिकनापन और नमी होती है, जो मुख को शुष्क होने नहीं देती. घी का इस्तेमाल खाने में या दूध के साथ किया जा सकता है. कुछ ऐसी सावधानियां भी हैं जिन्हें मुख शुष्क होने पर बरतना चाहिए. मुख के शुष्क होने की स्थिति में चाय, कॉफी, डिब्बाबंद पेय पदार्थ, ज्यादा मसालेदार खाना, हाई डोज की दवाइयां और तनाव लेने से बचें.
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पीएस/एएस
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