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ईरान और पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों के खिलाफ एक्शन, एक दिन में 12000 से ज्यादा लोग निर्वासित

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काबुल, 9 नवंबर . Pakistan और अफगानिस्तान के बीच तनाव के बीच एक ही दिन में 12,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को ईरान और Pakistan से जबरन वापस भेज दिया गया है. यह जानकारी Sunday को स्थानीय मीडिया ने तालिबान के एक अधिकारी के हवाले से दी.

पझवोक अफगान न्यूज के मुताबिक तालिबान के डिप्टी प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत ने कहा कि Saturday को 2,098 परिवारों के 12,455 लोगों को ईरान और Pakistan से अफगानिस्तान डिपोर्ट कर दिया गया. उन्होंने बताया कि अफगान शरणार्थी कंधार में स्पिन बोल्डक, हेलमंद में बहरामचा, नंगरहार में तोरखम क्रॉसिंग, हेरात में इस्लाम कला क्रॉसिंग और निमरोज में पुल-ए-अब रेशम के रास्ते अपने घर लौटे.

लौटने वाले लोगों को उनके इलाकों में ले जाया गया, जबकि 2,051 लोगों को मानवीय सहायता दी गई. टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों ने ईरान और Pakistan से डिपोर्ट किए गए शरणार्थियों को 1,652 सिम कार्ड बांटे.

Pakistan और अफगानिस्तान के बीच अक्टूबर के महीने से तनाव काफी बढ़ा हुआ है. स्थानीय मीडिया ने बताया कि अफगान शरणार्थियों ने Pakistan में चल रही दमनकारी कार्रवाई के बीच बढ़ती चुनौतियों और अपने डर को लेकर पहले ही चिंता जाहिर की थी.

उन्होंने आरोप लगाया कि Pakistanी Police ने हाल ही में कुछ मस्जिदों में घोषणाएं की हैं, जिसमें चेतावनी दी गई है कि जो भी Pakistan में घरों या दुकानों को किराये पर देकर शरणार्थियों की मदद करेगा, उसे Government अपराधी मानेगी.

इससे पहले अक्टूबर में ही Pakistan ने अफगान शरणार्थियों को सात दिनों के अंदर वहां से जाने का आदेश दिया था. स्थानीय मीडिया ने डिप्टी कमिश्नर मंसूर अहमद के हवाले से बताया कि जिन मकान मालिकों और दुकानदारों ने अफगानियों को अपनी संपत्तियां किराये पर दी हैं, उन्हें सात दिनों के भीतर खाली करने का निर्देश दिया गया.

Pakistanी अधिकारियों ने मकान मालिकों/संपत्ति मालिकों को चेतावनी दी है कि अगर वे आदेश का पालन नहीं करते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. यह आदेश उन अफगान प्रवासियों पर चल रही कार्रवाई से जुड़ा है जिनके पास Pakistan में रहने के लिए कानूनी दस्तावेज नहीं हैं.

माइग्रेंट राइट्स एक्टिविस्ट नजर नज़ारी ने कहा, “इस संकट का समाधान अफगानिस्तान और Pakistan की Governmentों के बीच डिप्लोमैटिक बातचीत में ही है, ऐसी बातचीत जिसका मकसद घरों को तोड़ने से रोकना और जबरदस्ती डिपोर्टेशन को रोकना है.

साथ ही शेल्टर, खाना, हेल्थकेयर और नौकरी के मौके देने के लिए इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन के साथ कोऑर्डिनेशन जरूरी है.

केके/वीसी

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