श्रीनगर, 20 अप्रैल . जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में रविवार सुबह भारी बारिश के बाद सेरी बागना इलाके में बादल फटने की दुखद घटना सामने आई. इसमें जनहानि की भी खबरें आ रही हैं. इस आपदा के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई. स्थानीय पुलिस और राहत दलों ने तेजी से मोर्चा संभाला और करीब 100 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया.
राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस त्रासदी पर गहरा दुख जताया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “रामबन में हुए दुखद भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ से बेहद दुखी हूं, जिससे जान-माल का काफी नुकसान हुआ है. मेरी संवेदनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं.” उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार स्थानीय प्रशासन के संपर्क में है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जहां भी जरूरत हो, वहां तत्काल बचाव और राहत कार्य पहुंचे.
मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि वे जल्द ही बहाली, राहत और मरम्मत योजनाओं की समीक्षा करेंगे. फिलहाल प्रशासन का पूरा ध्यान जमीनी स्तर पर हालात को संभालने पर है. उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे मौसम और यात्रा संबंधी सलाहों का पालन करें तथा संवेदनशील और जोखिम भरे क्षेत्रों में अनावश्यक रूप से आवाजाही से बचें.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जिससे भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं का खतरा बना हुआ है. प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. मौसम विभाग के मुताबिक 20 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के अधिकांश इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश और ऊंचे क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना है. पूरे दिन आसमान में आमतौर पर बादल छाए रहेंगे, जबकि देर शाम तक कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश या बर्फबारी भी हो सकती है. वहीं, 21 अप्रैल को भी कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश और गर्जन के साथ बादल छाए रहने की संभावना जताई गई है. 22 से 28 अप्रैल के बीच मौसम सामान्य रूप से शुष्क रहेगा, हालांकि 25 अप्रैल को आसमान में बादल छाए रह सकते हैं.
मौसम विभाग ने सभी संबंधित विभागों और आम जनता से अपील की है कि वे अपने कार्यक्रम मौसम पूर्वानुमान के अनुसार तय करें और प्रशासन या यातायात विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें. खासतौर पर किसानों को सलाह दी गई है कि वे 21 अप्रैल तक कोई भी कृषि कार्य स्थगित रखें, ताकि मौसम जनित जोखिम से बचा जा सके.
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पीएसएम/केआर
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