गोवा में चुनाव आयोग (ECI) द्वारा नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की घोषणा के तुरंत बाद राज्य सरकार ने 34 जूनियर स्केल अधिकारियों का तबादला कर दिया, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इन तबादलों को चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बताते हुए इसे “चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप” करार दिया है।
कांग्रेस ने जताया विरोध, मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखा पत्र
गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमित पाटकर ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को लिखे पत्र में कहा कि जिन अधिकारियों का तबादला किया गया है, उनमें कई ऐसे अधिकारी शामिल हैं जो सीधे चुनावी प्रक्रिया या SIR के संचालन से जुड़े थे। पाटकर ने आरोप लगाया कि यह कदम चुनाव आयोग की अनुमति के बिना उठाया गया है, जो उसके नियमों का खुला उल्लंघन है।
उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार, किसी भी अधिकारी का तबादला आयोग की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता जो चुनावी कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो। इस प्रकार के तबादले चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हैं।”
चुनाव आयोग के अधिकारी भी हुए सतर्क
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजय गोयल ने बताया कि तबादला किए गए कुछ अधिकारियों में निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वे इस पूरे मामले को राज्य सरकार के समक्ष रखेंगे ताकि चुनाव आयोग की मंशा के अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि SIR का उद्देश्य मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता को बढ़ाना है, इसलिए इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की स्थिरता अत्यंत आवश्यक है।
राज्य सरकार ने बताया ‘नियमित प्रक्रिया’
वहीं, गोवा सरकार ने इन तबादलों को नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया बताया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, कुछ अधिकारी लंबे समय से एक ही पद पर थे या नई नियुक्ति की प्रतीक्षा में थे, इसलिए उनका स्थानांतरण किया गया।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इस निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि “सरकार चुनावी पारदर्शिता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा घोषित SIR प्रक्रिया का स्वागत करते हुए एक्स (X) पर लिखा, “एक स्वच्छ और सटीक मतदाता सूची लोकतंत्र की बुनियाद है। इस अभियान से मतदाता सूची में मौजूद विसंगतियों को दूर किया जा सकेगा और अपात्र प्रविष्टियों को हटाया जाएगा।”
राजनीतिक हलचल और निष्पक्षता पर सवाल
कांग्रेस ने हालांकि इस कदम को चुनावी निष्पक्षता के लिए खतरा बताया है। पार्टी का कहना है कि राज्य सरकार का यह कदम प्रशासनिक निष्पक्षता को प्रभावित कर सकता है, खासकर तब जब SIR की प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है। कांग्रेस ने मांग की है कि चुनाव आयोग इस मामले में हस्तक्षेप करे और तबादलों को तुरंत निरस्त किया जाए।
गोवा में होने वाले इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राज्यों की प्रशासनिक कार्रवाई चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब चुनावी तैयारियां औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी हों।
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