राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास सोमवार शाम एक शक्तिशाली धमाका हुआ, जिसे पुलिस ने आतंकी हमला करार दिया है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और विस्फोटक अधिनियम (Explosives Act) के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस ने अब तक चार संदिग्धों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। इस घटना में अब तक नौ लोगों की मौत और 20 से अधिक लोग घायल होने की पुष्टि हो चुकी है।
डीसीपी नार्थ का बयान
डीसीपी नार्थ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि लालकिला ब्लास्ट की जांच हर पहलू से की जा रही है। पुलिस घटनास्थल, सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों की गहन पड़ताल कर रही है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा और जांच दोनों स्तर पर पूरी सावधानी बरती जा रही है।
अस्पताल में सुरक्षा कड़ी
घायलों को तुरंत लोक नायक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई। अस्पताल का मुख्य इमरजेंसी गेट बंद कर दिया गया है और वहां पुलिस और सुरक्षा बल तैनात हैं।
धमाका कब और कैसे हुआ
सूत्रों के अनुसार धमाका सोमवार शाम 6:52 बजे हुआ। राजधानी में 14 साल बाद इतना बड़ा विस्फोट हुआ है। इससे पहले 2011 में उच्च न्यायालय के गेट के पास विस्फोट हुआ था।
धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि चार किलोमीटर दूर तक इसकी आवाज सुनाई दी।
जिस आइ-20 कार में विस्फोट हुआ, वह हरियाणा नंबर की थी और बार-बार बिकी हुई पाई गई।
धमाके के बाद घटनास्थल से करीब 250 मीटर दूर तक कारों के पार्ट्स और मलबा फैला।
लाल किले के सामने चांदनी चौक की कई दुकानों के शीशे टूट गए।
विस्फोटक की प्रकृति इतनी गंभीर थी कि पुलिस के शुरुआती अनुमान के अनुसार इसमें सामान्य इंधन रिसाव नहीं, बल्कि उच्च तीव्रता वाला विस्फोटक, संभवतः RDX का इस्तेमाल हुआ।
आतंकी हमला होने की आशंका
पुलिस का मानना है कि यह एक सुनियोजित आतंकी हमला था। पूछताछ और फॉरेंसिक जांच के आधार पर आगे की जानकारी सामने आएगी। इस धमाके ने न केवल राजधानी में डर का माहौल पैदा किया है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क भी कर दिया है।
इस मामले में हर कदम पर जांच तेज है और जनता से अपील की गई है कि अफवाहों पर भरोसा न करें और अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें।
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