बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने एक अहम फैसला लिया है, जिसमें बुर्का या पर्दा पहनने वाली महिलाओं के लिए 1994 में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी. एन. शेषन द्वारा जारी विशेष दिशानिर्देशों को फिर से लागू किया जाएगा। आयोग का कहना है कि यह निर्णय महिला मतदाताओं की पहचान और सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
क्यों ज़रूरी हैं ये दिशानिर्देश?
भारत में कुछ समुदायों की महिलाएं पारंपरिक रूप से बुर्का या घूंघट पहनती हैं, जिससे उनकी पहचान करना चुनाव अधिकारियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में उन्हें वोटिंग के दौरान किसी तरह की असहजता न हो, इसीलिए 1994 में टीएन शेषन ने यह आदेश दिए थे कि महिला स्टाफ की मौजूदगी में ही उनकी पहचान की जाए।
क्या कहता है 1994 का आदेश?
टी. एन. शेषन द्वारा जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया था कि:
—जहां महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है (50% या उससे अधिक) और वहां पर्दा प्रथा या बुर्का पहनने की परंपरा है, वहां प्रत्येक मतदान केंद्र पर कम से कम एक महिला मतदान अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य होगी।
—अगर पर्याप्त महिला स्टाफ उपलब्ध नहीं हो पाता, तो प्रेसाइडिंग ऑफिसर को नियम 34(2) के अंतर्गत किसी स्थानीय महिला को अस्थायी सहायक के रूप में नियुक्त करने की सुविधा दी गई है।
—जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग ऑफिसर, और सहायक रिटर्निंग ऑफिसर यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे कि महिलाएं बिना किसी डर या संकोच के अपना मत दे सकें।
बिहार में कब और कैसे होंगे चुनाव?
बिहार में इस बार दो चरणों में मतदान की योजना है:
—पहला चरण: 6 नवंबर
—दूसरा चरण: 11 नवंबर
—चुनाव परिणाम घोषित होंगे: 14 नवंबर
यह फैसला ना सिर्फ पारंपरिक और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी महिला मतदाता सिर्फ परंपरा या असहजता की वजह से मतदान के अपने अधिकार से वंचित न रहे।
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