उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच बढ़ती दूरियों ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। बताया जा रहा है कि जेल से रिहा होने के बाद से ही आजम खान लगातार अखिलेश यादव से नाराज हैं। इसी बीच खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब रामपुर जाकर आजम खान से मुलाकात करने वाले हैं — लेकिन यह मुलाकात इतनी सरल नहीं होगी।
आजम खान ने रखीं सख्त शर्तें: “अगर आना है तो अकेले आएं”
रामपुर में मीडिया से बात करते हुए आजम खान ने साफ कहा कि अगर अखिलेश यादव उनसे मिलना चाहते हैं, तो उन्हें बिना किसी राजनीतिक प्रतिनिधि या अन्य नेता के अकेले आना होगा। उन्होंने कहा — “न मेरी पत्नी तंजीम फातिमा अखिलेश से मिलेंगी, न मेरा बेटा अब्दुल्ला आजम। मेरे घर में अखिलेश यादव के अलावा केवल उनकी सुरक्षा टीम को आने की अनुमति होगी, और कोई नहीं।” आजम खान के इस बयान ने पार्टी के भीतर एक बार फिर असहज स्थिति पैदा कर दी है। उनकी नाराजगी यह इशारा करती है कि सपा के भीतर रिश्ते पहले जैसे नहीं रह गए हैं।
“ईद के दिन मेरी पत्नी अकेली रोई, किसी ने हाल तक नहीं पूछा”
अपने दर्द का जिक्र करते हुए आजम खान भावुक हो उठे। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव का अधिकार सिर्फ मुझ पर है। ईद के दिन मेरी बीवी घर में अकेली बैठकर रोती रही। किसी ने हाल नहीं पूछा, न फोन किया, न मिलने आया। तो अब क्यों आएंगे? अखिलेश यादव आएंगे तो यह उनका बड़प्पन होगा, लेकिन उनसे मिलने का हक अब सिर्फ उनका ही है।” आजम खान ने यह भी बताया कि हाल के दिनों में उनकी अखिलेश यादव से कोई बातचीत नहीं हुई है, क्योंकि उनका फोन बंद था।
“मुलाकात में कोई तीसरा व्यक्ति नहीं होना चाहिए”
आजम खान ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर यह मुलाकात होती है, तो वह सिर्फ दो लोगों के बीच की निजी बातचीत होगी — किसी तीसरे व्यक्ति को इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यह बैठक किसी राजनीतिक दिखावे के लिए नहीं, बल्कि “दिल से मिलने” के लिए होनी चाहिए।
जेल से बाहर आने के बाद भी पार्टी से दूरी
गौरतलब है कि जेल से बाहर आने के बाद से आजम खान पार्टी नेतृत्व से दूरी बनाए हुए हैं। समाजवादी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी अब तक उनसे मिलने नहीं पहुंचे हैं। केवल कुछ स्थानीय विधायक और सांसद ही शिष्टाचार मुलाकात के लिए रामपुर आए थे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आजम खान का यह रुख सपा के लिए एक संकेत है — पार्टी के पुराने नेताओं और नेतृत्व के बीच संवाद की कमी भविष्य में बड़ी चुनौती बन सकती है।
राजनीतिक हलचल तेज, सपा में नई परीक्षा
अखिलेश यादव की रामपुर यात्रा को लेकर राजनीतिक गलियारों में उत्सुकता बढ़ गई है। क्या यह मुलाकात रिश्तों में आई दरार को भर पाएगी, या फिर समाजवादी पार्टी के भीतर एक नया मोड़ लाएगी — यह देखने वाली बात होगी।
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