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राज ठाकरे का सख़्त संदेश: MNS नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ़ हिदायत – 'बिना इजाजत मीडिया से बात ना करें'

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के नेताओं और प्रवक्ताओं को बेहद सख्त और स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने दो टूक कहा है कि बिना उनकी इजाजत के कोई भी नेता या कार्यकर्ता मीडिया में बयानबाज़ी नहीं करेगा, चाहे वो समाचार चैनल हो, अखबार हो या फिर डिजिटल प्लेटफॉर्म। इस सख्ती के पीछे हालिया विवादों की पृष्ठभूमि को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता, जिसने पार्टी की छवि को थोड़ा बहुत झटका दिया है।

राज ठाकरे ने सोशल मीडिया पर दी चेतावनी

राज ठाकरे ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर मराठी में एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, 'एक स्पष्ट निर्देश... पार्टी का कोई भी व्यक्ति अखबार, समाचार चैनल्स या किसी भी डिजिटल मीडिया के साथ संवाद नहीं करेगा। इसी तरह, अपनी प्रतिक्रियाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर बिल्कुल भी पोस्ट न करें। जिन प्रवक्ताओं को आधिकारिक तौर पर मीडिया से बात करने की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें भी मेरे परामर्श के बिना या मेरी अनुमति लिए बिना किसी भी प्रकार के मीडिया से बात नहीं करनी है। न ही उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी राय देनी है।'


यह संदेश उन कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए एक कड़ा संकेत है, जो अक्सर सोशल मीडिया या मीडिया चैनलों पर बगैर सोच-विचार के कुछ भी बोल जाते हैं। ठाकरे के शब्दों में चिंता झलकती है कि पार्टी अनुशासन से भटके तो उसकी साख पर असर पड़ सकता है।

'गुंडागर्दी' के आरोपों के बीच आया यह निर्देश


यह आदेश ऐसे समय में आया है जब MNS के समर्थकों पर मराठी भाषा के मुद्दे को लेकर कथित गुंडागर्दी के आरोप लग रहे हैं। हाल ही में एक मामले में MNS समर्थकों ने एक निवेशक के दफ्तर पर हमला कर दिया था, जिससे पार्टी को काफी आलोचना झेलनी पड़ी। इसके अलावा एक अन्य घटना में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर राजश्री मोरे की कार को एक MNS नेता के बेटे ने टक्कर मार दी, साथ ही गाली-गलौज की बात भी सामने आई। ये घटनाएं सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं, जिससे पार्टी के ऊपर 'गुंडा तत्वों' की छवि बन रही है।

एकनाथ शिंदे को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट पर मचा बवाल

इतना ही नहीं, हाल ही में MNS के एक युवा नेता रोहन पवार ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक पोस्ट कर दी। इस पोस्ट को लेकर शिंदे गुट के समर्थकों में भारी नाराजगी देखी गई और मामला इतना बिगड़ा कि पुलिस को एफआईआर तक दर्ज करनी पड़ी।

इन तमाम घटनाओं ने शायद राज ठाकरे को यह सख्त निर्देश जारी करने पर मजबूर कर दिया कि पार्टी की तरफ से कोई भी गैर-जिम्मेदार बयान या पोस्ट ना आए, जो संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाए।

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