राजस्थान के जैसलमेर के पास मंगलवार (14 अक्टूबर) को हुए भीषण बस अग्निकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस त्रासदी में महिलाओं और बच्चों समेत 21 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि गंभीर रूप से झुलसे कई लोग वेंटिलेटर पर हैं। इस मामले में अब एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की एंट्री हो गई है। preliminary जांच में सामने आया कि बस का फिटनेस सर्टिफिकेट नियमों के खिलाफ जारी किया गया था।
चित्तौड़गढ़ में हुआ था बस का रजिस्ट्रेशन
जानकारी के अनुसार, जिस प्राइवेट बस (RJ 09 PA 8040) में हादसा हुआ, उसका रजिस्ट्रेशन चित्तौड़गढ़ जिला परिवहन कार्यालय में हुआ था। चित्तौड़गढ़ के जिला कलक्टर ने RTO कार्यालय में पहुंचकर गहनता से निरीक्षण किया। जांच में सामने आया कि यह बस मूल रूप से नॉन-एसी के रूप में पंजीकृत थी, लेकिन बस मालिक ने नियमों की अवहेलना कर इसे एसी में मोडिफाई करवा लिया था।
जब जैसलमेर में बस हादसा हुआ, तो चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग के अधिकारी सकते में आ गए। अब इस बस मालिक की अन्य बसों की भी जांच की जा रही है। परिवहन विभाग ने मुख्यालय के निर्देशानुसार पंजीयन से जुड़े दस्तावेजों का निरीक्षण किया, जिसमें कई खामियां उजागर हुईं।
बस मालिक ने नियमों की अवहेलना की
जांच में यह भी सामने आया कि बस मालिक ने नॉन-एसी बस को एसी में बदलवाया। चित्तौड़गढ़ RTO कार्यालय में जब इस बस पंजीयन की जानकारी जुटाई गई, तो पता चला कि बस का संचालन 1 अक्टूबर से शुरू हुआ और मात्र 14 अक्टूबर को ही यह हादसा घटित हो गया।
भीषण अग्निकांड के बाद उठ रहे सवाल
नई बस में इतनी गंभीर घटना होना कई सवाल खड़े कर रहा है। हादसे के बाद राज्य सरकार ने निर्देश जारी किए और चित्तौड़गढ़ जिला कलक्टर आलोक रंजन ने प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कार्यालय का निरीक्षण किया। यहां RTO और DTO अधिकारियों से बस पंजीयन के संबंध में जानकारी ली गई। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बस का रजिस्ट्रेशन नॉन-एसी के रूप में हुआ था, लेकिन मालिक ने नियमों के खिलाफ इसे एसी में मोडिफाई करवा दिया।
बस की बॉडी 3 महीने में तैयार हुई थी
जिला परिवहन अधिकारी नीरज शाह ने बताया कि बस की बिलिंग 21 मई की है और तीन महीने में बस की बॉडी तैयार हुई। इसके 15 दिन बाद वाहन मालिक ने मोडिफिकेशन करवाया। डीटीओ ने स्पष्ट किया कि चित्तौड़गढ़ में बस का पंजीयन नॉन-एसी के रूप में हुआ था।
कार्रवाई और निलंबन
सीएम भजन लाल शर्मा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए चित्तौड़गढ़ के DTO सुरेंद्र सिंह गहलोत और सहायक प्रशासनिक अधिकारी चुन्नी लाल को निलंबित कर दिया। इस जांच के तहत अब एसीबी अधिकारी यह देख रहे हैं कि किन किन मानदंडों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया और अन्य जिम्मेदारों की भूमिका क्या रही।
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