हाल ही में उत्तर प्रदेश के इंटर कॉलेजों में शिक्षकों और व्याख्याताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। अब इन पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता में बदलाव किया गया है, जिसके तहत बी.एड डिग्री के साथ-साथ स्नातकोत्तर (पीजी) की डिग्री भी अनिवार्य कर दी गई है। यह नया नियम गैर-सरकारी मान्यता प्राप्त और सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में लागू होगा। उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव, कृष्ण कुमार गुप्ता ने इस संबंध में एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत पुराने नियमों को रद्द कर दिया गया है.
पुराना आदेश रद्द, नया प्रणाली लागू
22 अप्रैल 2025 को जारी किया गया पुराना आदेश अब पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। इसके स्थान पर एक नया आदेश लागू किया गया है, जो इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के तहत बनाया गया है। इस नए नियम के अनुसार, अब केवल स्नातकोत्तर डिग्री होना व्याख्याता बनने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। उम्मीदवारों को बी.एड डिग्री भी प्राप्त करनी होगी। यह परिवर्तन शिक्षण स्तर को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
उच्च विद्यालय के जीव विज्ञान शिक्षकों पर भी प्रभाव
यह परिवर्तन केवल इंटर कॉलेजों के व्याख्याताओं तक सीमित नहीं है। उच्च विद्यालय में जीव विज्ञान विषय पढ़ाने वाले सहायक शिक्षकों के लिए भी एक नई शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गई है। अब इस पद के लिए बी.एड डिग्री के साथ स्नातक होना आवश्यक होगा। पहले, जहां केवल स्नातक होना पर्याप्त था, अब बी.एड को अनिवार्य बनाकर सरकार ने शिक्षकों के पेशेवर प्रशिक्षण पर जोर दिया है.
इस परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है?
सरकार समय-समय पर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नियमों में बदलाव करती रहती है। बी.एड डिग्री को अनिवार्य बनाने का उद्देश्य शिक्षकों को बेहतर शिक्षण तकनीकों और पाठ्यक्रम की समझ से लैस करना है। बी.एड पाठ्यक्रम में शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने की विधि, कक्षा प्रबंधन और आधुनिक शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे न केवल शिक्षकों की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि छात्रों को भी बेहतर शिक्षा मिलेगी.
शिक्षकों और उम्मीदवारों पर प्रभाव
यह नया नियम उन उम्मीदवारों के लिए कुछ कठिनाई पैदा कर सकता है, जो केवल पीजी या स्नातक के आधार पर शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे थे। अब उन्हें बी.एड डिग्री प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त समय और प्रयास करना होगा; हालाँकि, यह कदम लंबे समय में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सहायक साबित होगा। विशेष रूप से निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों में, जहां पहले नियम कुछ ढीले थे, अब समान और सख्त मानदंड लागू होंगे.
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