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विष्णु नागर का व्यंग्यः देश में आज ऊटपटांगवाद का दौर, हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज रहेगा मोदी जी का नाम!

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देश में आजकल ऊटपटांगवाद फंसा हुआ है। नरेंद्र मोदी को जब भी इतिहास याद करेगा, इस वाद के प्रवर्तक के रूप में उन्हें याद करेगा। इस तरह उनका नाम इतिहास में हमेशा दर्ज रहेगा। दुनिया की कोई ताकत उनका नाम इस रूप में मिटा नहीं सकती। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी और संघ में यह वाद लोकप्रियता के नये से नये शिखर हर दिन छू रहा है।

मोदी जी की ऊटपटांग अभिव्यक्तियों का डंका सारी दुनिया में बज रहा है और हम भारतीय उनके कारण हंसी का पात्र बने हुए हैं। आजकल वे राग स्वदेशी गा रहे हैं। उधर अमेरिका से संबंध बेहतर करने के लिए भी लालायित हैं। रिश्ते मान लो, ठीक हो गए तो राग स्वदेशी भी गायब हो जाएगा। वह किसी भी नारे को प्रकट करने और उसे गायब करने के मास्टर माइंड हैं।तो अभी स्वदेशी पर काफी ज्ञान बघार रहे हैं और जब वे ज्ञान बघारना शुरू करते हैं तो फिर उसकी कोई हद नहीं होती!

उन्होंने यहां तक कहा कि मेरी स्वदेशी की परिभाषा इतनी सिंपल है कि पैसा किसका लगता है, इससे मुझे कोई लेना-देना नहीं। पैसा काला है या गोरा, इससे भी मुझे कोई लेना-देना नहीं।' देश का प्रधानमंत्री इतना बेशर्म हो जाए और किसी को इस पर गुस्सा तक न आए, ऐसा भारत में ही हो सकता है। इसका कारण शायद यह है कि इनके ऊटपटांगवाद से लोग अब इतना ऊब चुके हैं कि लोग क्रोध करना और हंसना तक भूल चुके हैं। इतनी बेहूदगियों का वितरण ऊपर से नीचे तक प्रतिदिन होता रहता है कि लोगों ने इन पर ध्यान देना ही बंद कर दिया है। लोग मान चुके हैं कि ये हैं तो बेहूदगी है। बेहूदगी और इनका चोली-दामन का साथ है!

हाल ही में जीवन के 75 वर्ष पूरे कर चुके संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मोदी जी से पीछे नहीं हैं। बल्कि मूर्ख बनाने में दो कदम आगे हैं। उन्होंने फरमाया है कि भारत नंबर वन देश बनने जा रहा है। इससे अमेरिका, रूस और चीन चिंतित हैं। यह पढ़कर मेरा तो सिर फोड़ने का मन हुआ।अगर फोड़ लेता तो अस्पताल में होता और आपसे मन की यह बात कह नहीं पाता!

इन दोनों बड़े ज्ञानियों के अनुसरण में हर मंत्री ऊटपटांगवाद को मजबूत करने में व्यस्त है। जितना ऊटपटांग बोलोगे, जितनी बेहूदगियां करोगे, मोदी जी के उतने ही निकट पहुंचते जाओगे। उनके प्रति अपनी लायल्टी सिद्ध करने की सबसे उत्तम विधि यही है। जिनकी लायल्टी पुरानी होने के कारण सिद्ध और प्रसिद्ध है, उन्हें भी यह काम करना पड़ता है वरना साहेब का मूड बिगड़ जाता है। सुबह का शिड्यूल बिगड़ जाता है। पेट में मरोड़ें उठने लगती हैं!

मोदी जी के सबसे विश्वस्त या तो अमित शाह हैं या गौतम अडानी! शाह साहब को भी अपने साहेब की स्तुति में ऊटपटांगवाद चलाना पड़ता है। उन्होंने कुछ समय पहले कहा था- 'आज दुनिया में कोई भी समस्या हो, जब तक नरेंद्र मोदी जी का बयान नहीं आ जाता, दुनिया समस्या पर विचार तय नहीं करती'! हद है न! इस कोटि की चमचागीरी और बेहूदगी मोदी युग की विशेषता है। इस बीच स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा का मुंह बंद कर दिया गया है वरना वह ऐसी उत्तम कोटि की चमचागीरी पर हंसता और हंसाता रहता। हंसता तो वह अब भी होगा मगर हंसा नहीं पाता!

एक हैं, जिन्हें कुछ लोग योगी जी और कुछ लोग बुलडोजर बाबा कहते हैं। उनकी बौद्धिकता का उत्कर्ष देखना हो तो उनके इस बयान में देखिए। उन्हें कंगना रनौत में मीरा बाई जैसी भक्ति, पद्मिनी जैसा तेज, रानी लक्ष्मीबाई जैसा शौर्य और वीरांगना भाव दिखता है। इस बात की संभावना शून्य से भी कम है कि योगी जी उन पर व्यंग्य कर रहे हों! भाजपाइयों की ट्रेजेडी यह है कि उन्हें व्यंग्य करना तक नहीं आता! जब भी कोई नायाब सी बात कहना चाहते हैं इनके फूहड़पन का उगालदान खुल जाता है!

इन्हें अपने सामने चुनौती बन कर खड़े राहुल गांधी पर भी ढंग का व्यंग्य करना नहीं आता! इनकी पार्टी के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस कहते हैं कि राहुल गांधी को अपना दिमाग चैक करवाना चाहिए। उनका दिमाग चोरी हो गया है या उनके दिमाग की चिप चोरी चली गई है। महाराज कुछ नहीं तो आपने मराठी के शीर्ष हास्यकार पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे को पढ़कर ही कुछ हास्यबोध सीखा होता! वैसे सीखना चाहते तो  आप नागपुर के हैं, आपको इतनी हिंदी तो आती होगी कि परसाई जी या शरद जोशी से भी सीख सकते थे मगर इन तीनों से थोड़ा-थोड़ा भी सीखा होता तो उनका नुकसान हो जाता! वे फिर चड्डी धारण नहीं कर पाते और चड्डी नहीं पहन पाते तो मुख्यमंत्री भी नहीं बन पाते और मुख्यमंत्री नहीं बन पाते तो उनका यह जीवन अकारथ चला जाता! और अगला जन्म होता नहीं!

इनके राजस्थानी संस्करण मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा हैं, जो उन्हीं मोदी जी को श्रद्धांजलि दे चुके हैं, जिन्होंने यह नायाब रत्न इस प्रदेश को सौंपा है! उनका कथन है कि कांग्रेस धर्मांतरण तथा लव-जिहाद के साथ है। इनकी बुद्धि इतनी दूर चली गई, यही बहुत है। इनकी समस्या तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से भी विकट है। उन्होंने कम से कम पु.ल. देशपांडे का नाम तो अवश्य सुना होगा मगर ये शुरू से हिंदुत्व की सेवा में इतने रत रहे हैं कि परसाई जी और शरद जी का नाम इनके दृष्टिपथ में कभी गुजरा नहीं होगा!

एक चीज इन्हें थमा दी गई है कि नेहरू जी को देश के हर मर्ज का कारण बताओ और फिर सोनिया गांधी से होते हुए राहुल और प्रियंका पर आ जाओ। यह मोर्चा बड़ी मुस्तैदी से किरण रिजूजी ने संभाल रखा है। वह उन नमूनों में हैं, जिन्हें इतना आता है कि राहुल गांधी राष्ट्रविरोधी ताकतों से मिले हुए हैं!

इतिहास संघियों-भाजपाइयों का इतना प्रिय विषय है कि ये मुगलों को इतिहास से ही निष्कासन दे चुके हैं। अकबर से राणा प्रताप को विजय दिलवा चुके हैं, हालांकि जिस बाबर को ये दशकों से गाली देते आए हैं, जिस बाबरी मस्जिद को लेकर इतना बड़ा तूमार खड़ा किया था, वह भी मुगल ही था! अभी मध्य प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री ने यह ज्ञान दिया है कि भारत की खोज वास्कोडिगामा ने नहीं बल्कि चंदन नामक एक व्यापारी ने की थी!

आपको इनमें से किसी भी बात पर गुस्सा आया? नहीं आया! मुझे आया? नहीं आया! इरफान हबीब तो इन बातों को हंसी में भी नहीं उड़ाएंगे! तो ये है मेरा देश कि जिसके प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख इतने अधिक 'बुद्धिमान' हैं। इन्हें ज्ञान के लिए किसी की जरूरत नहीं। ये तो पैदा होते ही ज्ञानी हो जाते हैं। ये नेता भी हैं, विद्वान भी हैं, वैज्ञानिक भी हैं। रक्षा विशेषज्ञ भी और भी न जाने क्या-क्या हैं!

इन्होंने ही यह महान आइडिया दिया था कि बादल होंगे तो रडार हमारे विमानों को पकड़ नहीं पाएंगे। और नाली के पानी से चाय बनाने का ब्रांड न्यू आइडिया भी इन्हीं की देन है। इनके ईश्वर ने इनके मुंह से यह भी निकलवाया था कि मैं नान बायोलॉजिकल हूं। इनकी विश्व प्रसिद्धि में इनके इस कथन का अतुलनीय योगदान है! नॉन बायोलॉजिकल इनसे ऐसा चिपक गया है कि जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी इनका साथ देगा!

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